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दुनिया
बौद्ध आस्था और मार्शल आर्ट के केंद्र के रूप में मशहूर यह टेंपल इन दिनों विवादों में है. इसकी वजह है टेंपल के प्रमुख मठाधीश शी योंगजीन पर शारीरिक संबंध, बच्चे पैदा करने और भ्रष्टाचार आरोप लगे है.
चीन का शाओलिन टेंपल. बौद्ध आस्था और मार्शल आर्ट के केंद्र के रूप में मशहूर यह टेंपल इन दिनों विवादों में है. इसकी वजह है टेंपल के प्रमुख मठाधीश शी योंगजीन पर लगे आरोप. पहले भी विवादों में रह चुके योंगजीन पर कई महिलाओं से शारीरिक संबंध, बच्चे पैदा करने और भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं. आरोपों के सामने आने के बाद योंगजीन के खिलाफ जांच शुरू हो गई है. योंगजीन से जुड़ी कंपनियों का रजिस्ट्रेशन खत्म कर दिया गया है और उनकी बौद्ध पहचान भी रद्द कर दी गई है. मंदिर की आधिकारिक वेबसाइट पर बताया गया है कि योंगजीन पर आपराधिक गतिविधियों में शामिल होने का संदेह है. आशंका है कि उसने लंबे समय तक कई महिलाओं के साथ अनुचित संबंध बनाए और बच्चे भी पैदा किए. यह बौद्ध धर्म के सिद्धांतों का गंभीर उल्लंघन है. यह भी आरोप है कि उसने परियोजना निधि और मंदिर की संपत्ति का गबन और दुरुपयोग किया है.
यहीं हुआ कुंग फू का जन्म
मध्य चीन के हेनान प्रांत में स्थित 1,500 साल पुराना शाओलिन मंदिर न सिर्फ बौद्ध आस्था का केंद्र है, बल्कि यहां पर मार्शल आर्ट का विकास भी साथ साथ हुआ. इसे कुंग फू मार्शल आर्ट का जन्म स्थान माना जाता है. यहां का मार्शल आर्ट आत्मरक्षा, स्वास्थ्य, और आध्यात्मिक विकास पर जोर देता है. शाओलिन टेंपल के भिक्षु मार्शल आर्ट के दक्ष खिलाड़ी होते थे. शाओलिन टेंपल में पूरी दुनिया से हर साल लाखों पर्यटक पहुंचते हैं. इनमें बौद्ध धर्म के अनुयायी होते हैं. साथ ही मार्शल आर्ट को पसंद करने वाले भी बड़ी तादाद में यहां आते हैं.
टेंपल को बनाया ग्लोबल ब्रांड
शी योंगजीन 1999 से शाओलिन टेंपल के मुखिया हैं. योंगजीन ने ही चीन के बाहर स्कूल खोलने की शुरुआत की. उन्होंने भिक्षुओं का एक समूह बनाया जो घूम-घूमकर शाओलिन कुंग फू शो करते थे. 1981 में दीक्षा प्राप्त करने के बाद योंगजीन 1998 में हेनान प्रांतीय बौद्ध संघ के प्रमुख बने. 1998 से 2018 तक वे नेशनल पीपुल्स कांग्रेस के उप प्रमुख रहे. 1999 में जब उसने शाओलिन टेंपल का नियंत्रण अपने हाथों में लिया था, तब इसकी हालत बेहद खराब थी. योंगजीन ने आधुनिक प्रबंधन और तकनीक की मदद से टेंपल का कायापलट कर इसे एक ग्लोबल ब्रांड में तब्दील कर दिया. उसने 80 से ज्यादा देशों में शाओलिन ट्रेडमार्क का मोनेटाइजेशन किया. इसके तहत वीडियो गेम से लेकर बोतलबंद पानी तक के लाइसेंस दिए गए. मंदिर को एक बिजनेस ब्रांड के रूप में स्थापित करने के लिए उसे सीईओ मॉन्क नाम दिया गया है.
पहले भी रहे विवादों में
योंगजीन को लेकर इससे पहले भी विवाद सामने आते रहे हैं. 2015 में उस पर मंदिर की धनराशि का गलत इस्तेमाल करने, महंगी कारों का बेड़ा रखने और अवैध रूप से कई बच्चों के पिता होने जैसे आरोप लगे थे. हालांकि, तब जांच में वह बरी हो गया था. मंदिर प्रशासन ने आरोपों को दुष्प्रचार कहकर खारिज कर दिया था. हालांकि इस बार मामला बेहद गंभीर है, क्योंकि जांच में औपचारिक रूप से राज्य के अधिकारी शामिल हैं. चीन में धार्मिक नेताओं की नियुक्ति सरकार की मंजूरी से होती है. यदि कोई नैतिक या अनुशासनात्मक दोष मिले तो उसे पद से हटाया जा सकता है.
मंदिर पर भी उठे सवाल
योंगजीन के खिलाफ आरोपों के सामने आने के बाद शाओलिन मंदिर को लेकर भी तरह-तरह की चर्चाएं शुरू हो गई हैं. सवाल उठ रहे हैं कि क्या यह अब भी एक धार्मिक स्थल है या फिर इसे एक व्यावसायिक स्थल के रूप में बदल दिया गया है। इसकी वजह ये है कि आध्यात्म से ज्यादा शाओलिन टेंपल अब व्यावसायिक गतिविधियों का केंद्र बन चुका है. मंदिर और उसके आसपास के क्षेत्र में बड़े पैमाने पर मार्शल आर्ट्स ट्रेनिंग सेंटर हैं. इन सेंटरों में प्रशिक्षण लेने के लिए छात्रों को बड़ी रकम अदा करनी पड़ती है. यह मंदिर के वास्तविक उद्देश्य से मेल नहीं खाता.
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