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भारत
क्या ट्रंप की कार्रवाई की वही वजह है जो उन्होंने सोशल मीडिया पोस्ट में बताई है. कहीं ऐसा तो नहीं कि अपनी आदत के मुताबिक वे ट्रेड डील को अमेरिका के हित में फायदेमंद बनाने के लिए भारत पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहे हैं.
डोनाल्ड ट्रंप एक बार फिर गुस्से में हैं. इस बार उनके निशाने पर भारत है. भारत और अमेरिका के बीच ट्रेड डील को लेकर चल रही बातचीत के बीच उन्होंने भारत पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगाने का ऐलान कर दिया है. ट्रंप के सोशल मीडिया पोस्ट से लगता है कि भारत और रूस के बीच बढ़ते व्यापार से खुश नहीं हैं. उन्होंने कहा भी है कि भारत और रूस की अर्थव्यवस्थाएं मृत हैं. दोनों देश चाहें तो इसे गर्त में ले जाएं, उन्हें इससे कोई लेना-देना नहीं है. ट्रंप की इस कार्रवाई से इतना तो स्पष्ट है कि ट्रेड डील को लेकर दोनों देशों के बीच अब तक अंतिम सहमति नहीं बन पाई है. लेकिन सवाल है कि क्या ट्रंप की कार्रवाई की वही वजह है जो उन्होंने सोशल मीडिया पोस्ट में बताई है. कहीं ऐसा तो नहीं कि अपनी आदत के मुताबिक वे ट्रेड डील को अमेरिका के हित में फायदेमंद बनाने के लिए भारत पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहे हैं. इसकी असली वजह जानने से पहले ये समझना जरूरी है कि भारत और रूस के बीच ऐसा क्या है जिससे ट्रंप को इतनी परेशानी है.
भारत और रूस के बीच दशकों पुराने रिश्ते हैं. रूस भारत का सबसे भरोसेमंद हथियार सप्लायर रहा है. स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च के मुताबिक 2019 से 2013 के दौरान भारत ने जितने हथियार आयात किए, उसका 49 फीसदी रूस से आया. 2024-25 में दोनों देशों के बीच कुल द्विपक्षीय व्यापार 68.7 अरब डॉलर रहा जिसमें हथियारों के अलावा तेल की भी अहम हिस्सेदारी रही. रूस-यूक्रेन युद्ध से पहले भारत और रूस के बीच तेल का व्यापार बेहद कम था. उस समय अपने तेल आयात का केवल 2 फीसदी ही भारत रूस से खरीदता था. लेकिन अब यह आंकड़ा 35-40 फीसदी के करीब पहुंच चुका है.
ट्रंप की असली समस्या तेल का ये व्यापार है. उन्हें लगता है कि रूस भारत को तेल बेचकर यूक्रेन युद्ध का खर्च निकाल रहा है. वे हर हाल में रूस को नेस्तनाबूद करना चाहते हैं. उनकी कोशिश है कि रूस, यूक्रेन के साथ शांति समझौता कर ले. इसलिए पिछले दरवाजे से भारत पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहे हैं. ट्रंप टैरिफ के बहाने भारत पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहे हैं, ताकि वह रूस के साथ अपना व्यापार बंद कर दे. भारत रूस से जो सैन्य उपकरण और तेल खरीद रहा है, उससे अमेरिका को परेशानी है. अमेरिका ने रूस के साथ व्यापार करने वाले देशों पर 500% टैरिफ का प्रस्ताव रखा है, इसे भारत पर भी दबाव के तौर पर देखा जा रहा है.
ट्रंप की धमकी का एक सिरा ट्रेड डील तक भी जाता है. 1 अगस्त की समयसीमा से पहले 25 फीसदी टैरिफ के ऐलान का मतलब ही है कि वो भारत पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहे हैं. टैरिफ का तत्काल प्रभाव ऑटोमोबाइल, ऑटो पार्ट्स, स्टील, एल्यूमीनियम, स्मार्टफोन, इलेक्ट्रॉनिक्स, समुद्री उत्पाद, रत्न और आभूषण और कई खाद्य श्रेणियां पर पर नजर आ सकता है. अमेरिका भारत का रणनीतिक साझेदार होने के साथ ही सबसे बड़ा कारोबारी साझेदार देश भी है. दोनों देशों के बीच साल 2024 में द्विपक्षीय कारोबार 132 अरब डॉलर का रहा था. अमेरिकी आयात के मुकाबले भारत ने 41 अरब डॉलर का ज्यादा निर्यात अमेरिका को किया था. राष्ट्रपति ट्रंप इस व्यापार घाटे को पाटना चाहते हैं. वो चाहते हैं कि हथियार से लेकर तमाम अन्य चीजें भारत अमेरिका से खरीदे. उनकी इच्छा है कि अमेरिकी उत्पादों के लिए भारत अपना बाजार खोल दे.
सवाल है कि अब आगे क्या होगा. ट्रंप की धमकी के बाद ट्रेड डील के खटाई में पड़ने का अंदेशा जताने वाले ये जान लें कि वे यू-टर्न के लिए मशहूर हैं. कोई आश्चर्य नहीं कि वो दो-चार दिन बाद वे 25 फीसदी टैरिफ लगाने वाली घोषणा वे वापस ले लें. ट्रंप पहले कई बार ऐसा कर चुके हैं. भारत सरकार ने भी कहा है कि उनकी अमेरिकी प्रतिनिधियों से बातचीत चल रही है. यानी उम्मीदें अभी खत्म नहीं हुई हैं. यदि कहीं ऐसा हो कि ट्रेड डील पर बात नहीं बनती है तो भारत के लिए ज्यादा चिंतित होने की जरूरत नहीं है. पोखरण विस्फोट के बाद अमेरिका ने भारत पर कई तरह के प्रतिबंध लगाए थे, लेकिन इसका खास असर नहीं पड़ा. झख मारकर अमेरिका को ये प्रतिबंध हटाने पड़े.