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Raksha Bandhan 2025: साल के 364 दिन में सिर्फ रक्षाबंधन पर खुलता है ये मंदिर, दिन निकलने से पहले ही लग जाती है भक्तों की कतार

भारत में कई अलग अलग मंदिर हैं. इनकी कथाएं भी एक दूसरे से अलग है. इन्हीं में से एक देवभूमि पर स्थित भगवान विष्णु का मंदिर है, जो साल में मात्र 1 दिन के लिए खुलता है. इस​ ​एक दिन दर्शन के लिए यहां भक्तों की भारी भीड़ जमा होती है.

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Raksha Bandhan 2025: साल के 364 दिन में सिर्फ रक्षाबंधन पर खुलता है ये मंदिर, दिन निकलने से पहले ही लग जाती है भक्तों की कतार

भारत में मंदिरों की कहानियां, उनकी अनोखी वास्तुकला और उनसे जुड़े चमत्कारी अनुभव आपकी यात्रा को एक अलग ही रोमांच देते हैं. देवभूमि उत्तराखंड में देखने लायक कई अद्भुत और चमत्कारी मंदिर हैं. इन्हीं खूबसूरत पर्वत श्रृंखलाओं में एक ऐसा मंदिर भी है जो साल भर बंद रहता है. यह रक्षा बंधन के खास मौके पर सिर्फ 12 घंटों के लिए ही खुलता है. आइए जानते हैं कहां है यह अनोखा मंदिर, इसके पीछे की पौराणिक कथा...

चमोली जिले में स्थित यह मंदिर साल भर बंद रहता है

उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित बंशी नारायण मंदिर एक प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है. इस मंदिर की विशेषता यह है कि यह साल के 364 दिन बंद रहता है. इस कारण भक्तों को यहां नियमित पूजा-अर्चना करने का अवसर नहीं मिल पाता. हालांकि, एक विशेष दिन ऐसा भी होता है, जब मंदिर के कपाट केवल 12 घंटों के लिए ही खुले रहते हैं. उस दिन यहां हज़ारों भक्त उमड़ते हैं और सभी बंशी नारायण भगवान के दर्शन कर उनका आशीर्वाद प्राप्त करते हैं.

मंदिर के दरवाजे कब खुलते हैं

यह मंदिर केवल रक्षाबंधन के दिन ही खुलता है. उस दिन मंदिर सूर्योदय से सूर्यास्त तक खुला रहता है. सूर्यास्त के बाद मंदिर फिर से बंद कर दिया जाता है. भक्त सुबह से ही दूर-दूर से यहां पहुंचते हैं और कपाट खुलने का इंतज़ार करते हैं.

बंशी नारायण मंदिर की पौराणिक कथा

यह मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है. ऐसा माना जाता है कि वामन अवतार से मुक्ति पाने के बाद भगवान विष्णु सबसे पहले इसी स्थान पर आए थे. यहां नारद मुनि ने भगवान नारायण की पूजा की थी, इसलिए माना जाता है कि इस मंदिर के द्वार वर्ष में केवल एक दिन ही खुलते हैं.

मंदिर केवल रक्षाबंधन पर ही क्यों खुलता है

इस परंपरा के पीछे एक कहानी राजा बलि और भगवान विष्णु से जुड़ी है. ऐसा कहा जाता है कि राजा बलि ने भगवान विष्णु से अपने द्वार का रक्षक बनने का अनुरोध किया था. भगवान विष्णु ने अनुरोध स्वीकार कर लिया और राजा बलि के साथ पाताल चले गए. उनकी अनुपस्थिति में, देवी लक्ष्मी ने नारद मुनि की सलाह के अनुसार श्रावण पूर्णिमा के दिन राजा बलि को राखी बांधी और उनसे भगवान विष्णु को वापस भेजने का अनुरोध किया. राजा बलि मान गए और भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी का इस स्थान पर पुनर्मिलन हुआ. इसलिए, मंदिर हर साल रक्षा बंधन के दिन खोला जाता है. यह भी माना जाता है कि पांडवों ने इस मंदिर की स्थापना की थी. इस दिन, यहां आने वाली महिलाएं भगवान बंशी नारायण को राखी बांधती हैं और अपने परिवार के लिए प्रार्थना करती हैं.

प्राकृतिक सौंदर्य और विशेष पौधे

इस मंदिर के आसपास दुर्लभ फूल और पौधे पाए जाते हैं. पूरा क्षेत्र अत्यंत दर्शनीय और शांत है. मंदिर क्षेत्र पहाड़ियों से घिरा हुआ है और यहाँ आने पर आध्यात्मिक और सकारात्मक ऊर्जा का अनुभव होता है. उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित बंशी नारायण मंदिर एक अद्वितीय धार्मिक और प्राकृतिक स्थल है. रक्षाबंधन के दिन इस मंदिर के दर्शन करना एक अनोखा अनुभव होता है. अगर आप धर्म के साथ-साथ प्रकृति का भी अनुभव करना चाहते हैं, तो यहां की यात्रा निश्चित रूप से अविस्मरणीय रहेगी.

Disclaimer: यह खबर सामान्य जानकारी गणनाओं पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.

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