Viral News: ABCD सीखना है तो महीने के देने होंगे 21 हजार रुपये? नर्सरी की फीस देख लोगों के उड़े होश
Samantha की ग्लोइंग स्किन और फिट बॉडी का क्या है सीक्रेट? जानिए एक्ट्रेस का डेली रूटीन
Micro Walking Benefits: हेल्दी रहने का आसान तरीका है माइक्रो वॉकिंग, जानें इससे मिलने वाले फायदे
कहीं Vitamin D की कमी से तो नहीं जूझ रहा आपका लाडला? इन लक्षणों से पहचानें
भारत पर ट्रंप का टैरिफ वार से किस सेक्टर को लगेगा सबसे बड़ा झटका? यहां समझिए पूरी डिटेल
1 परफॉर्मेंस के लिए 2 करोड़ चार्ज करता है ये Bollywood सिंगर, नेटवर्थ जान कर लगेगा झटका
अचानक रूस का नाम लेकर भारत पर क्यों भड़क गए ट्रंप, ट्रेड डील पर दबाव या तेल का खेल है वजह?
UPPRPB OTR 2025: यूपी पुलिस की नई भर्ती से पहले करना होगा यह काम, UPPRPB ने लागू किया नया नियम
भारत
ऋतु सिंह | Jul 30, 2025, 08:39 AM IST
1.तिब्बत-चीन ब्रह्मपुत्र बांध जलविद्युत परियोजना का भारत पर क्या प्रभाव पड़ सकता है?
चीन ने तिब्बत में ब्रह्मपुत्र नदी के ऊपरी हिस्से पर एक बाँध बनाना शुरू कर दिया है. यह बाँध 'ग्रेट बेंड' नामक स्थान पर बनाया जा रहा है, जहाँ नदी एक बड़ा मोड़ लेती है और भारत के अरुणाचल प्रदेश में प्रवेश करती है. इस क्षेत्र में, इस नदी को 'सियांग' के नाम से जाना जाता है.
2.यह वाटर बम साबित होगा:
अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने इसे एक बड़ा खतरा बताया है. उनका कहना है कि अगर चीन कभी अचानक इस बांध से पानी छोड़ देता है, तो पूरा सियांग क्षेत्र जलमग्न हो सकता है. उन्होंने इसे 'वाटर बम' कहा है. उन्हें यह भी आशंका है कि आने वाले समय में इस बांध के कारण ब्रह्मपुत्र और सियांग नदियों में पानी की कमी हो सकती है, जिसका सीधा असर वहां रहने वाले लोगों की आजीविका और जीवनशैली पर पड़ेगा.
3.भूकंप का खतरा:
कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि यह बांध भूकंप-प्रवण क्षेत्र में बनाया जा रहा है. अगर कभी भूस्खलन या भूकंप आया, तो यह बांध टूट सकता है, जिससे नीचे के इलाकों में भारी तबाही मच सकती है. साथ ही, यह क्षेत्र पारिस्थितिक रूप से बेहद नाज़ुक है, जिससे वहाँ का प्राकृतिक संतुलन बिगड़ सकता है.
4.चीन से बात है जरूरी
असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने इस मुद्दे पर थोड़ा अलग रुख अपनाया है. उन्होंने कहा कि ब्रह्मपुत्र नदी बहुत चौड़ी है और इसमें न सिर्फ़ तिब्बत का पानी, बल्कि भूटान, अरुणाचल और असम की भारी बारिश का पानी भी भरता है. उन्होंने यह भी कहा कि अगर चीन पानी का बहाव कम कर दे, तो इससे असम में हर साल आने वाली बाढ़ की समस्या कम हो सकती है. हालांकि, उन्होंने यह भी माना कि केंद्र सरकार को इस परियोजना पर चीन से ज़रूर बात करनी चाहिए.
5.भारत का दृष्टिकोण
भारत सरकार ने इस परियोजना पर कोई औपचारिक बयान नहीं दिया है, लेकिन उसने साफ़ तौर पर कहा है कि वह इस परियोजना पर नज़र रख रही है और चीन के समक्ष अपनी चिंताएं व्यक्त कर दी हैं. विदेश मंत्रालय ने यह भी कहा कि चीन को इस तरह के काम में पारदर्शिता बनाए रखनी चाहिए और भारत व बांग्लादेश जैसे निचले इलाकों के देशों से बातचीत जारी रखनी चाहिए.
6.चीन ने क्या कहा:
चीन ने कहा है कि यह परियोजना पूरी तरह से उसकी संप्रभुता के अधीन है, लेकिन वह बाढ़ नियंत्रण और जल आंकड़ों के आदान-प्रदान में भारत और बांग्लादेश के साथ सहयोग करना जारी रखेगा.
7.भारत भी बांध बनाने की तैयारी में:
भारत ने भी इस स्थिति से निपटने के लिए कुछ रणनीतियाँ बनाई हैं. अरुणाचल प्रदेश में 'अपर सियांग प्रोजेक्ट' नाम से एक और बड़ा बांध बनाने की योजना है, जो न सिर्फ़ बिजली पैदा करेगा, बल्कि चीन द्वारा पानी रोकने या छोड़ने पर सुरक्षा कवच का काम भी करेगा. हालाँकि, स्थानीय लोगों के विरोध और पर्यावरणीय चिंताओं के कारण इस भारतीय परियोजना को अभी तक पूरी मंज़ूरी नहीं मिली है.
8.जल विशेषज्ञ क्या कहते हैं:
जल विशेषज्ञों का मानना है कि भारत को प्राकृतिक आपदाओं या चीन द्वारा लिए गए किसी भी अचानक फैसले से निपटने के लिए अपने स्तर पर जल भंडारण की योजना बनानी चाहिए. इसके अलावा, भारत को बांग्लादेश और भूटान जैसे पड़ोसी देशों के साथ मिलकर चीन से लगातार जल आँकड़े इकट्ठा करने, वैज्ञानिक अध्ययन करने और एक पूर्व चेतावनी प्रणाली विकसित करने की भी आवश्यकता है.
देश-दुनिया की ताज़ा खबरों Latest News पर अलग नज़रिया, अब हिंदी में Hindi News पढ़ने के लिए फ़ॉलो करें डीएनए हिंदी को गूगल, फ़ेसबुक, ट्विटर और इंस्टाग्राम पर.