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अब बिना सुई के लगाए जा सकेंगे इंजेक्शन, इस नई तकनीक बच्चों का डर और इंफेक्शन का खतरा होगा खत्म

What is Painless Needle Free Injection Technology?: अब बिना सुई के इंजेक्शन देना संभव होगा. बच्चों में सुई के डर को खत्म करने के लिए चिकित्सा क्षेत्र में एक नई तकनीक अपनाई गई है.

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अब बिना सुई के लगाए जा सकेंगे इंजेक्शन, इस नई तकनीक बच्चों का डर और इंफेक्शन का खतरा होगा खत्म

नीडल फ्री इंजेक्शन तकनीक विकसित
 

How the Risk of Infection from Injections be Eliminated Now?: नीडल फ्री इंजेक्शन तकनीक विकसित, बच्चों को नहीं होगा दर्द, जानें कैसे काम करती है मराठी समाचार में अब बिना सुई का इस्तेमाल किए दिए जा सकेंगे इंजेक्शन, बच्चों का डर होगा गायब; कैसी है नई तकनीक?

सुई मुक्त इंजेक्शन तकनीक विकसित की गई
 
अब बिना सुई के इंजेक्शन देना संभव है और यह तकनीक चिकित्सा क्षेत्र में क्रांति ला सकती है. चूंकि छोटे बच्चे सुइयों से खास तौर पर डरते हैं, इसलिए यह तरीका उनके लिए वरदान साबित होगा. 'नीडल फ्री इंजेक्शन' नाम से जानी जाने वाली यह नई प्रणाली, इंट्रामस्क्युलर और सबक्यूटेनियस इंजेक्शन के मामले में कारगर साबित हो रही है. इस विधि में सुई के इस्तेमाल से पूरी तरह बचा जाता है. इसके बजाय, त्वचा के नीचे दवा पहुंचाने के लिए उच्च दबाव का इस्तेमाल किया जाता है. दवा सीधे मांसपेशियों में या त्वचा के नीचे पहुंचती है, जिससे दर्द, सूजन कम होती है और संक्रमण का खतरा कम होता है.

बच्चों में सुई का डर होगा खत्म, बदलेगा इंजेक्शन देने का तरीका 

सरकारी मेडिकल अस्पताल के अधीक्षक और शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. अविनाश गावंडे कहते हैं, "यह एक क्रांतिकारी प्रणाली है. यह पद्धति उन लोगों के लिए बहुत उपयोगी है जो सुइयों से डरते हैं, खासकर छोटे बच्चों के लिए. इंसुलिन, टीकाकरण, डायलिसिस जैसे उपचारों में इसका उपयोग बढ़ रहा है. इससे समय की बचत होती है, मरीज का अनुभव अधिक सकारात्मक होता है और सुरक्षा सुनिश्चित होती है."

नई तकनीक से संक्रमण का खतरा कम होगा 

यह प्रणाली 'जेट प्रेरित' तकनीक पर आधारित है, और उच्च दबाव दवा को शरीर में 4 सेंटीमीटर तक प्रवेश करने में सक्षम बनाता है. सुई के उपयोग से बचने से न केवल ऊतकों को नुकसान नहीं पहुँचता, बल्कि स्वास्थ्य कर्मियों और रोगियों के लिए संक्रमण का खतरा भी टल जाता है.

कौन से इंजेक्शन नए तरीके से नहीं दिए जा सकते?

भारत में छह महीने से ज़्यादा उम्र के बच्चों पर इस प्रणाली का सफलतापूर्वक परीक्षण किया जा चुका है. इस विधि से लिक्विड बेस इंजेक्शन और सभी प्रकार के टीके दिए जा सकते हैं. इसका इस्तेमाल शिशुओं से लेकर वयस्कों तक किया जा सकता है. हालाँकि, इस तकनीक का इस्तेमाल करके तेल आधारित इंजेक्शन लगाना अभी संभव नहीं है. यह प्रणाली विदेशों में पहले से ही इस्तेमाल की जा रही है और सामूहिक टीकाकरण के लिए एक अच्छे और सुरक्षित विकल्प के रूप में उभर रही है.

यह खबर सामान्य जानकारी पर आधारित है. अधिक जानकारी के लिए आप डॉक्टर से संपर्क करें.

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