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धर्म
जो भी भक्त सावन में महादेव की पूजा अर्चना करता है. महादेव उनकी इच्छाओं को पूर्ण करते हैं. सावन का अब आखिरी पड़ाव है. इसके आखिरी दिन ही रक्षा बंधन का त्योहार मानाया जाता है. ये भाई-बहन का त्योहार है और इस दिन बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधती है.
Raksha Bandhan 2025: भगवान शिव का सोमवार के अलावा सावन का महीना सबसे प्रिय होता है. मान्यता है कि इस माह में महादेव मां पार्वती के साथ धरती पर भ्रमण करते हैं. इस दौरान जो भी भक्त उनकी पूजा अर्चना और साधना करता है. महादेव उनकी इच्छाओं को पूर्ण करते हैं. सावन का अब आखिरी पड़ाव है. इसके आखिरी दिन ही रक्षा बंधन का त्योहार मानाया जाता है. ये भाई-बहन का त्योहार है और इस दिन बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधती है. इसके साथ ही भाई की अच्छी सेहत, खुशहाली और लंबी उम्र की कामना करती हैं. वहीं भाई बहन को सारी उम्र रक्षा का वचन देता है. इस बार रक्षाबंधन का यह त्योहार 9 अगस्त 2025 को मनाया जाएगा. हालांकि पिछले कई बार से रक्षा बंधन पर भद्रा का साया रहता है. ऐसे में बहनों को भाई की कलाई पर राखी बांधने के लिए बेहद कम समय मिलता था तो आइए जानते हैं इस बार बहनें कब से कब तक शुभ मुहूर्त रहेगा, जिसमें बहनें भाई को राखी बांधेंगी.
सावन माह की पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 8 अगस्त 2025 को दोपहर 2 बजकर 12 बजे से शुरू होगी. यह अगले दिन शनिवार को 9 अगस्त 2025 को दोपहर 1 बजकर 24 मिनट तक रहेगी. वहीं उदया तिथि के चलते रक्षा बंधन का त्योहार 9 अगस्त को मनाया जाएगा.
रक्षा बंधन के त्योहार पर बहनों को भद्रा के साये में भाई को कलाई नहीं बांधनी चाहिए. इसे अशुभ समय माना जाता है. ऐसे में जान लें कि भद्रा कब है. इस साल भद्रा शुक्रवार को 8 अगस्त 2025 को दोपहर 2 बजकर 12 बजे से लेकर शनिवार 9 अगस्त 2025 की रात 1 बजकर 52 मिनट तक रहेगा. इसमें 9 अगस्त 2025 की सुबह राखी बांधने के समय के आसपास भी भद्रा काल नहीं होगा. राखी बांधने का सबसे अच्छा समय सुबह 5 बजकर 35 मिनट से लेकर दोपहर 1 बजकर 24 मिनट तक रहेगा. इसके अलावा ब्रह्म मुहूर्त सुबह 4 बजकर 22 बजे से 5 बजकर 04 बजे तक रहेगा. वहीं अभिजीत मुहूर्त में राखी बांधने का शुभ समय दोपहर 12 बजकर 17 मिनट से 12 बजकर 53 मिनट तक रहेगा.
रक्षा बंधन भाई बहनों के त्योहार के साथ ही कई मान्यताएं भी जुड़ी हुई हैं. माना जाता है कि अनादि काल में मां लक्ष्मी ने दानवराज बलि को राखी बांधी थी. इसके बाद द्वापर युग में द्रौपदी ने ही श्री कृष्ण को राखी बांधी थी. मां लक्ष्मी राजा बलि को राखी बांधकर श्रीहरि विष्णु को पाताल लोक में वैकुंठ वापस ले आई थी.
Disclaimer: यह खबर सामान्य जानकारी गणनाओं पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.
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