लाइफस्टाइल
ऋतु सिंह | Aug 02, 2025, 11:47 AM IST
1.डूबने से बचाने के लिए शुरू हुई हैं परियोजनाएं
मानसून का मौसम जलभराव, नदियों, नहरों और तालाबों में बाढ़ और डूबने से होने वाली मौतों में वृद्धि का आंकड़ा बढ़ जाता है. देश में डूब कर मरने के मामले में तो यह स्थिति चिंताजनक है. WHO ने डूबने से बचने के लिए एक स्पेशल डे भी मनाता है ताकि लोगों को जागरूरक किया जा सके इसके लिए कुछ परियोजनाएं भी शुरू हुई हैं.
2. हर साल लगभग 3 लाख लोग डूबने से मरते हैं
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, दुनिया में हर साल लगभग 3 लाख लोग डूबने से मरते हैं, जिनमें से 18% मौतें भारत में होती हैं. इस भयावह स्थिति के प्रति जागरूकता और निवारक उपाय समय की मांग हैं. इसी उद्देश्य से, चाइल्ड इन नीड इंस्टीट्यूट (CINI) राज्य में कई परियोजनाएँ चला रहा है, जिनमें से एक सुंदरवन स्थित 'कवच केंद्र' है.
3.दोपहर 12 बजे से 2 बजे तक सबसे खराब समय
दोपहर 12 बजे से 2 बजे तक, सिर्फ़ दो घंटों में सबसे ज़्यादा दुर्घटनाएं होती हैं. चाइल्ड इन नीड इंस्टीट्यूट (सीआईएन) के संस्थापक डॉ. समीर चौधरी ने हाल ही में कोलकाता के रोटरी हाउस में आयोजित एक समारोह में ये आंकड़े प्रस्तुत किए.
4.डूबने से बचाने के लिए शुरू हुआ 'कवच केंद्र
इस खतरे को रोकने के लिए सीआईएन के राष्ट्रीय एडवोकेसी अधिकारी सुजॉय रॉय ने वास्तविक जीवन के अनुभवों से सीख लेकर डूबने जैसी दुर्घटनाओं से बचने के तरीकों पर भी बात की. सीआईएन के संस्थापक ने सुंदरवन में सीआईएन की पहल पर शुरू किए गए 'कवच केंद्र' की प्रगति का भी खुलासा किया.
5.CINI द्वारा शुरू किए गए निवारक उपाय
पिछले डेढ़ साल में संस्था की पहल से 72 बच्चों को सुरक्षित स्वास्थ्य, पोषण और शिक्षा प्रदान की गई है. इसके अलावा, स्थानीय पंचायतों की मदद से खतरनाक तालाबों के किनारों की मरम्मत और बाड़बंदी करके 100 से ज़्यादा बच्चों की जान बचाई गई है. जागरूकता बढ़ाने के लिए, सरकार के सहयोग से 5 अगस्त तक पूरे राज्य में 75 से ज़्यादा कार्यक्रम चलाए जा चुके हैं.
6.डूबने से बचना है तो...
तो अगर आपको पानी में रहना, मौज-मस्ती करना पसंद है या जलभराव में डूबने से बचना चहाते हैं तो आपको लिए जरूरी है कि आ स्वीमिंग सीखें और खतरों के खिलाड़ी बनने की कोशिश न करें.
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