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क्यों चर्चा में आई ईरान की एविन जेल? क्या है इजरायली हमले के दौरान कैदियों के भाग निकलने की कहानी?

ईरानी अधिकारियों ने पुष्टि की है कि 23 जून को इजरायली हमले के बाद हुई अफरा-तफरी में कम से कम पांच कैदी मारे गए और कुछ कैदी एविन जेल से भाग गए. इजरायल ने इस हमले को ईरान सरकार के ख़िलाफ़ एक प्रतीकात्मक प्रहार बताया है.

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क्यों चर्चा में आई ईरान की एविन जेल? क्या है इजरायली हमले के दौरान कैदियों के भाग निकलने की कहानी?

ईरानी अधिकारियों ने शनिवार को कहा कि 23 जून को हुए इजरायली हमले के बाद, एविन जेल में बंद एक राजनीतिक कैदी भाग गया. इससे पहले की रिपोर्टों में बताया गया था कि कम से कम 71 लोग मारे गए हैं, जिनमें कर्मचारी, सैनिक, और आस-पास के लोग शामिल हैं. ईरानी अधिकारियों ने पुष्टि की है कि इनमें से कम से कम पांच कैदी थे. ईरान के लोकतंत्र समर्थक और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने दावा किया है कि इससे 'दमनकारी अधिकारियों' ने राजनीतिक कैदियों के परिवारों में दहशत फैला दी है, जो अपनी जान बचाने के लिए संघर्ष कर रहे थे.

न्यायपालिका के प्रवक्ता असगर जहांगीर ने बताया कि लगभग तीन हफ़्ते पहले हुए बम विस्फोट के बाद कुछ कैदी भागने में कामयाब रहे. उन्होंने सटीक संख्या नहीं बताई. यूरोपीय राजनयिकों के अनुसार, माना जाता है कि ईरान ने एविन जेल में 20 यूरोपीय नागरिकों को बंद कर रखा है, जो पश्चिमी देशों से रियायतें हासिल करने के उद्देश्य से उनकी बंधक बनाने की रणनीति मानी जा रही है.

ध्यान रहे एविन जेल को ईरान की सबसे कुख्यात जेल माना जाता है. इसे लंबे समय से राजनीतिक दमन के हथियार के रूप में इस्तेमाल किया जाता रहा है.

विपक्षी नेताओं, लोकतंत्र समर्थकों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिया जाता है और उन्हें मानसिक और शारीरिक यातनाएं दी जाती हैं, लंबे समय तक एकांत कारावास में रखा जाता है, जबरन स्वीकारोक्ति करवाई जाती है और कानूनी प्रतिनिधित्व से वंचित रखा जाता है.यह दंगों, आगजनी और साइबर हमलों का केंद्र रहा है.

2021 में हैकरों ने कैदियों की पिटाई करते हुए सुरक्षाकर्मियों के फुटेज जारी किए थे. 

हालांकि ईरानी न्यायपालिका ने एक जांच शुरू कर दी है, लेकिन सच्चाई शायद कभी स्पष्ट रूप से सामने न आए. इस विस्फोट ने उन राजनीतिक कैदियों की आज़ादी की सारी संभावनाएं खत्म कर दी हैं. मृतक या भागने वाले कैदी की कोई सही पहचान उजागर नहीं की गई, जिससे राजनीतिक कैदी के परिवार अनजान रह गए.

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