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India-US Trade Deal के फाइनल स्टेज में होने का दावा खुद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) ने बुधवार को ही किया है. उन्होंने इसमें बेहद कम टैरिफ होने का दावा किया था. इस बीच आई 500% टैरिफ वाले बिल की खबर ने सभी को चौंका दिया है.
India-US News: एकतरफ अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) भारत-अमेरिका ट्रेड डील (India-US Trade Deal) के फाइनल स्टेज पर पहुंचने का दावा कर रहे थे, वहीं दूसरी तरफ उन्होंने दोगलापन दिखाते हुए भारत के ऊपर 500% टैरिफ थोपने वाले बिल को सीनेट में पेश करने की मंजूदी दे दी है. हालांकि बिल में सीधे भारत का नाम नहीं लिया गया है, लेकिन इसे उन देशों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए लाया जा रहा है, जो रूस के साथ व्यापार कर रहे हैं. रूस-यूक्रेन युद्ध (Russia-Ukraine War) की आड़ लेकर लाए जा रहे इस बिल की कार्रवाई की जद में भारत और चीन जैसे देश आ रहे हैं, जो रूस से सस्ता कच्चा तेल और एनर्जी प्रॉडक्ट्स खरीद रहे हैं. यूएस सीनेटर लिंडसे ग्राहम ने ABC न्यूज को रविवार को दिए इंटरव्यू में कहा कि ट्रंप ने उन्हें प्रतिबंधों वाले बिल को वोटिंग के लिए सीनेट में पेश करने का निर्देश दिया है. ग्राहम रूसके खिलाफ नए सख्त प्रतिबंधों वाले बिल को स्पॉन्सर कर रहे हैं.
रूस को वार्ता की टेबल पर लाने की कवायद में पिसेगा भारत
ग्राहम ने ट्रंप के निर्णय को बिग ब्रेकथ्रू बताया है, जिससे रूसी राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन (Vladimir Putin) को यूक्रेन के साथ वार्ता करने के लिए टेबल पर बैठने को मजबूर किया जा सकेगा. हालांकि इस कवायद में भारत के पिसने के आसार हैं. ग्राहम ने कहा,'यह बड़ा ब्रेकथ्रू है. यह बिल क्या करेगा? यदि आप (भारत) रूस से उत्पाद खरीदता है और आप यूक्रेन की मदद नहीं कर रहे हैं तो अमेरिका आने वाले आपके उत्पादों पर 500% टैरिफ बढ़ा दिया जाएगा भारत और चीन पुतिन का 70% तेल खरीद रहे हैं. वे उनकी वॉर मशीन को लगातार चालू रख रहे हैं. हालांकि ग्राहम ने इस बात पर भी जोर दिया कि कांग्रेस (अमेरिकी संसद) से पारित होने के बाद भी ट्रंप के पास यह तय करने की छूट है कि इस बिल को कानून बनाना है या नहीं. ग्राहम ने इस बिल को चीन और भारत के खिलाफ आर्थिक बंकर बूस्टर बताया है.
भारत को होगा इससे क्या नुकसान?
भारत मई 2025 में रूस से कच्चा तेल खरीदने वाला चीन के बाद दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा खरीदार है. यूक्रेन के साथ युद्ध शुरू होने के बाद अमेरिका ने रूस पर प्रतिबंध लगाए थे, जिसके चलते रूस अपना कच्चा तेल बेहद सस्ते दाम पर बेच रहा है. भारत अपनी जरूरतें पूरी करने के लिए अमेरिका के विरोध के बावजूद रूस से लगातार फॉसिल फ्यूल (Fossil Fuels) खरीद रहा है. सेंटर फॉर रिसर्च ऑन एनर्जी एंड क्लीन एयर के अनुमान के मुताबिक, भारत ने मई में रूस से 4.2 अरब डॉलर का फॉसिल फ्यूल खरीदा है, जिसमें 72% कच्चा तेल (Crude Oil) है. इसका सीधा सा मतलब है कि भारत के लिए रूस से कच्चा तेल खरीदना बेहद अहम है, क्योंकि इसके दाम सस्ते होने से उसे अरबों रुपये की विदेशी मुद्रा की बचत हो रही है. अमेरिका के टैरिफ बढ़ोतरी लागू करने से भारत के रूस से तेल खरीदने पर तो रोक नहीं लगेगी, लेकिन फिर भारत को दूसरे मोर्चे पर अमेरिका में अपने उत्पाद बेचने के लिए मुश्किल का सामना करना पड़ेगा और यह एक बड़ा आर्थिक झटका होगा.
ट्रंप ने बुधवार को ट्रेड डील पर कही है ये बात
भारत-अमेरिका के बीच ट्रेड डील को लेकर ट्रंप ने बुधवार को कहा है कि यह अपने फाइनल फेज में पहुंच चुकी है. ट्रंप ने अपने एयरफोर्स वन विमान में रिपोर्टर्स से बातचीत में कहा,'भारत-अमेरिका ट्रेड डील ऐसी होगी, जिसमें अमेरिकी कंपनियां आगे बढ़कर प्रतिस्पर्धा कर पाएंगी. क्योंकि यह समझौता उत्पादों पर बहुत कम टैरिफ सुनिश्चित करेगा.' उन्होंने कहा,'यह बिल्कुल अलग तरह की डील होगी. फिलहाल भारत किसी भी कंपनी को स्वीकार नहीं करता है. मुझे लगता है कि भारत अब ऐसा करने जा रहा है और अगर वे ऐसा करते हैं, तो हम बहुत कम टैरिफ पर सौदा कर लेंगे.'
9 जुलाई को खत्म हो रही है ट्रंप की टैरिफ छूट वाली मियाद
ट्रंप के बयान से कुछ घंटे पहले ही यूएस ट्रेजरी सेक्रेटरी स्कॉट बेसेंट ने भी कहा था कि भारत-अमेरिका दक्षिण एशियाई देशों में अमेरिका से होने वाले इंपोर्ट पर बेहद कम टैरिफ लगाने वाली डील करने के बेहद करीब हैं. इससे भारत को उस भारी-भरकम शुल्क से बचने का मौका मिलेगा, जो ट्रंप प्रशासन के अगले सप्ताह लागू करने जा रहा है. बता दें कि ट्रंप ने भारत, चीन समेत कई देशों के खिलाफ अपना दूसरा कार्यकाल शुरू होने के बाद भारी-भरकम टैरिफ रेट्स का ऐलान किया था. हालांकि बाद में इस टैरिफ को लागू करने का फैसला 90 दिन के लिए टाल दिया था. ये 90 दिन 9 जुलाई को खत्म होने जा रहे हैं.
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