धर्म
Masik Durga Ashtami August 2025: आज 1 अगस्त को मासिक दुर्गा अष्टमी का व्रत रखा जाएगा. यह दिन मां दुर्गा की पूजा-अर्चना के लिए विशेष होता है. चलिए आपको पूजा विधि के बारे में बताते हैं.
Masik Durga Ashtami 2025: हर महीने की शुक्ल पक्ष अष्टमी तिथि को मासिक दुर्गा अष्टमी का व्रत रखा जाता है. सावन महीने की शुक्ल पक्ष अष्टमी तिथि आज है. ऐसे में आज दुर्गा अष्टमी का व्रत रखा जाएगा. यह दिन देवी दुर्गा की पूजा-अर्चना के लिए खास होता है. यह व्रत करना अत्यंत शुभ और फलदायी इसे करे से घर में सुख-समृद्धि आती है. चलिए आपको मासिक दुर्गा अष्टमी व्रत की पूजा विधि के बारे में बताते हैं.
- सुबह स्नान आदि करके साफ कपड़े पहनें और घर को गंगाजल छिड़कर शुद्ध करें.
- घर का मंदिर साफ करें और चौकी लगाकर मां दुर्गा की तस्वीर स्थापित करें. इसके बाद घी का दीपक जलाएं और व्रत का संकल्प लें.
- देवी दुर्गा को लाल वस्त्र, फूल, सिंदूर, कुमकुम, अक्षत और सोलह श्रृंगार का सामान चढ़ाएं. फल और मिठाई का भोग लगाएं.
- पूजा के दौरान "ॐ दुं दुर्गायै नमः" मंत्र का 108 बार जाप करें. पूजा संपन्न होने के बाद मां दुर्गा की आरती करें. आरती के बिना व्रत और पूजन अधूरा रहता है.
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ॐ जय अम्बे गौरी…
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी ।
तुमको निशदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिवरी ॥
ॐ जय अम्बे गौरी...
मांग सिंदूर विराजत, टीको मृगमद को ।
उज्ज्वल से दोउ नैना, चंद्रवदन नीको ॥
ॐ जय अम्बे गौरी...
कनक समान कलेवर, रक्ताम्बर राजै ।
रक्तपुष्प गल माला, कंठन पर साजै ॥
ॐ जय अम्बे गौरी...
केहरि वाहन राजत, खड्ग खप्पर धारी ।
सुर-नर-मुनिजन सेवत, तिनके दुखहारी ॥
ॐ जय अम्बे गौरी...
कानन कुण्डल शोभित, नासाग्रे मोती ।
कोटिक चंद्र दिवाकर, सम राजत ज्योती ॥
ॐ जय अम्बे गौरी...
शुंभ-निशुंभ बिदारे, महिषासुर घाती ।
धूम्र विलोचन नैना, निशदिन मदमाती ॥
ॐ जय अम्बे गौरी...
चण्ड-मुण्ड संहारे, शोणित बीज हरे ।
मधु-कैटभ दोउ मारे, सुर भयहीन करे ॥
ॐ जय अम्बे गौरी...
ब्रह्माणी, रूद्राणी, तुम कमला रानी ।
आगम निगम बखानी, तुम शिव पटरानी ॥
ॐ जय अम्बे गौरी...
चौंसठ योगिनी मंगल गावत, नृत्य करत भैरों ।
बाजत ताल मृदंगा, अरू बाजत डमरू ॥
ॐ जय अम्बे गौरी...
तुम ही जग की माता, तुम ही हो भरता,
भक्तन की दुख हरता । सुख संपति करता ॥
ॐ जय अम्बे गौरी...
भुजा चार अति शोभित, खडग खप्पर धारी ।
मनवांछित फल पावत, सेवत नर नारी ॥
ॐ जय अम्बे गौरी...
कंचन थाल विराजत, अगर कपूर बाती ।
श्रीमालकेतु में राजत, कोटि रतन ज्योती ॥
ॐ जय अम्बे गौरी...
श्री अंबेजी की आरति, जो कोइ नर गावे ।
कहत शिवानंद स्वामी, सुख-संपति पावे ॥
ॐ जय अम्बे गौरी...
Disclaimer: यह खबर सामान्य जानकारी और धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.
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