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टेक-ऑटो
Abhay Sharma | Jul 28, 2025, 04:38 PM IST
1.क्या है Who-Fi?
बता दें कि Who-Fi एक नई और एडवांस्ड टेक्नोलॉजी है जो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी AI की मदद से किसी भी इंसान की पहचान और उसकी गतिविधियों को ट्रैक कर सकती है. बताया जा रहा है कि यह टेक्नोलॉजी बिना कैमरा-माइक्रोफोन के काम करती है और शरीर से टकराए सिग्नल को बायोमेट्रिक सिग्नेचर की तरह पहचानती है.
2.एक्सपेरिमेंटल टेक्नोलॉजी
यह फिलहाल एक एक्सपेरिमेंटल टेक्नोलॉजी है और अभी इसे बड़े स्तर पर रियल वर्ल्ड में टेस्ट किया जाना बाकी है. हालांकि एक रिसर्च पेपर के मुताबिक, यह किसी सामान्य Wi-Fi नेटवर्क को एक बायोमेट्रिक स्कैनर की तरह इस्तेमाल कर सकती है. बता दें कि इसपर एक रिसर्च arXiv नाम की जर्नल में प्रकाशित हुई है.
3.बायोमेट्रिक स्कैनर
रिसर्च के मुताबिक ये किसी भी सामान्य Wi-Fi सिग्नल को एक बायोमेट्रिक स्कैनर में बदल सकता है, जो न केवल व्यक्ति की मूवमेंट और एक्टिव पोजिशन को ट्रैक करता है बल्कि यह व्यक्ति की यूनिक बायोमेट्रिक सिग्नेचर को भी आइडेंटिफाई कर सकता है. ये टेक्नोलॉजी डिजिटल प्राइवेसी और सुरक्षा को लेकर नई चिंताएं भी पैदा करती है.
4.कैसे करता है काम?
Who-Fi सिस्टम एक ट्रांसफॉर्मर बेस्ड न्यूरल नेटवर्क यानि AI मॉडल का इस्तेमाल करता है और CSI (Channel State Information) नाम की चीज को एनालाइज करता है. यह जिस तरह रडार या सोनार सिस्टम का करते हैं, वैसे ही CSI Wi-Fi सिग्नल के स्पीड और दिशा में इंसान के शरीर से टकराकर आने वाले बदलावों को मापता है.
5.Wi-Fi सिग्नल का यूनिक पैटर्न
बता दें कि हर इंसान के शरीर से टकराकर आने वाला Wi-Fi सिग्नल एक यूनिक पैटर्न बनाता है, यह फिंगरप्रिंट या रेटिना जितना ही पर्सनल होता है. यही पैटर्न इस टेक्नोलॉजी को किसी की पहचान करने में मदद करता है. यानी Who-Fi सिस्टम इस पैटर्न को पहचान सकता है और उसे व्यक्ति से जोड़ सकता है.
6.Who-Fi क्या-क्या कर सकता है?
यह इंसान की पहचान और उसकी गतिविधियों को ट्रैक कर सकता है. इसमें अगर कोई व्यक्ति बाद में नेटवर्क एरिया में फिर से आता है तो भी उसकी पहचान की जा सकती है. इतना ही नहीं यह सिस्टम साइन लैंग्वेज को भी पहचान सकता है. इसके अलावा एक बार ट्रेन होने के बाद यह दीवार के पीछे चल रहे इंसान को भी 95.5% एक्युरेसी से ट्रैक कर सकता है. वहीं कपड़े बदलने या बैग पहनने पर भी इसका रिजल्ट नहीं बदलता है.
7.निगरानी
इसे डिटेक्ट करना मुश्किल है. क्योंकि इसमें कोई खास तरह का रेडिएशन, कैमरा, माइक्रोफोन या रेडार सिग्नल नहीं होता. यह Passive RF Sensing करता है. ऐसे में इसकी उपस्थिति का पता चलना मुश्किल हो जाता है. हालांकि यह प्राइवेसी को लेकर एक नया डर भी पैदा कर रहा है, क्योंकि यह बिना किसी विजुअल डिवाइस के भी व्यक्ति पर निगरानी रख सकता है.