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जब भारत के इस खिलाड़ी ने पेले को नहीं करने दिया गोल तो खुश होकर लगा था लिया गले

Brazil Football Legend Pele Death: पेले ने कहा था ,‘मैने भारत आने का न्योता इसलिए स्वीकार किया, क्योंकि मुझे यहां के लोग बहुत पसंद हैं.’

जब भारत के इस खिलाड़ी ने पेले को नहीं करने दिया गोल तो खुश होकर लगा था लिया गले

pele

डीएनए हिंदी: दुनिया के महान फुटबॉलर्स में शुमार पेले (Pele) का 82 साल की उम्र में निधन हो गया. पेले कैंसर से पीड़ित थे और वह खुछ दिनों से अस्पताल में भर्ती थे. पेले के निधन पर खेल जगत गमगीन हैं. ब्राजील के इस खिलाड़ी के चाहने वाले दुनिया भर में थे. भारत में ब्राजील के इस महान फुटबॉलर का क्रेज ऐसा था कि 45 साल पहले कलकत्ता (कोलकाता) में करीब 30 से 40 हजार दर्शक उन्हें देखने के लिए आधी रात को दमदम एयरपोर्ट पर पहुंच गए थे. 

खचाखच भरे ईडन गार्डंस पर 24 सितंबर 1977 को न्यूयॉर्क कोस्मोस के लिए मोहन बागान के खिलाफ खेलने वाले 3 बार के वर्ल्ड कप चैंपियन पेले क्लब के खिलाड़ियों के हुनर के कायल हो गए थे. ईस्ट बंगाल के बढते दबदबे से चिंतित मोहन बागान ने फुटबॉल के इस किंग को गोल नहीं करने दिया और लगभग 2-1 से मैच जीत ही लिया था लेकिन विवादित पेनल्टी के कारण स्कोर 2-2 से बराबर हो गया. कोच पीके बनर्जी ने गौतम सरकार को पेले को रोके रखने का जिम्मा सौंपा था. गौतम सरकार ने भी इस जिम्मेदारी को बखूबी निभाया था. मोहन बागान ने शाम को पेले का सम्मान समारोह रखा था, जहां उन्हें डायमंड की रिंग दी जानी थी लेकिन ‘ब्लैक पर्ल’ की रूचि खिलाड़ियों से मिलने में ज्यादा थी.

भारत के इस खिलाडी को पेले ने लगाया था गले
गोलकीपर शिवाजी बनर्जी सबसे पहले उनसे मिले. जब छठे खिलाड़ी के नाम की घोषणा हुई तो कई लोगों से घिरे पेले बैरीकेड के बाहर आए और उस खिलाड़ी को गले लगा लिया. गौतम सरकार ने 45 बरस बाद की उन यादों को ताजा रखा है. उन्होंने कहा, 'तुम 14 नंबर की जर्सी वाले हो जिसने मुझे गोल नहीं करने दिया. मैं स्तब्ध रह गया.’ उन्होंने कहा ,‘चुन्नीदा (चुन्नी गोस्वामी) भी मेरे पास खड़े थे जिन्होंने यह सुना. उन्होंने मुझसे कहा कि गौतम अब फुटबॉल खेलना छोड़ दो. अब यह तारीफ सुनने के बाद क्या हासिल करना बचा है. यह मेरे कैरियर की सबसे बड़ी उपलब्धि थी, वाकई.’ 

ये भी पढ़ें- पेले: वह खिलाड़ी जिसका मैच देखने के लिए 48 घंटे तक थम गया था नाइजीरिया का गृहयुद्ध

यह मैच कोलकाता मैदान के मशहूर फुटबॉल प्रशासक धिरेन डे के प्रयासों का नतीजा था जो उस समय मोहन बागान के महासचिव थे. गौतम सरकार ने कहा ,‘मैं विश्वास ही नहीं कर पाया जब धिरेन दा ने हमसे कहा कि पेले हमारे खिलाफ खेलेंगे. हमने कहा कि झूठ मत बोलो लेकिन बाद में पता चला कि यह सही में होने जा रहा था. हमारी रातों की नींद ही उड़ गई.’ तीन हफ्ते पहले ही से तैयारियां शुरू हो गई थी. 

ईडन गार्डंस पर 24 सितंबर 1977 में खेला गया था फुटबॉल मैच

उस मैच में पहला गोल करने वाले श्याम थापा ने कहा कि पेले के खिलाफ खेलने के लिए ही मैं ईस्ट बंगाल से मोहन बागान में आया. इस मैच ने हमारे क्लब की तकदीर बदल दी. मोहन बागान ने इस मैच के चार दिन बाद आईएफए शील्ड फाइनल में ईस्ट बंगाल को हराया. इसके बाद रोवर्स कप और डूरंड कप भी जीता. 7 साल पहले पेले दुर्गापूजा के दौरान फिर बंगाल आए लेकिन इस बार उनके हाथ में छड़ी थी. बढती उम्र के बावजूद उनकी दीवानगी जस की तस थी और उनके मुरीदों में ‘प्रिंस आफ कोलकाता’ सौरव गांगुली भी शामिल थे.

मुझे भारत आना लगता है अच्छा- पेले
सौरव गांगुली ने नेताजी इंडोर स्टेडियम पर पेले के स्वागत समारोह में कहा था ,‘मैने तीन विश्व कप खेले हैं और विजेता और उपविजेता होने में काफी फर्क होता है. तीन विश्व कप और गोल्डन बूट जीतना बहुत बड़ी बात है.’ पेले ने कहा था ,‘मैने भारत आने का न्योता इसलिय स्वीकार किया क्योंकि मुझे यहां के लोग बहुत पसंद है.’ उन्होंने जाते हुए यह भी कहा था  कि अगर मैं किसी तरह से मदद कर सकूं तो फिर आऊंगा.

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