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क्यों सावन में बाल या दाढ़ी नहीं कटवानी चाहिए? क्या है इसके पीछे की परंपरा और वैज्ञानिक कारण?

हिंदू धर्म में श्रावण मास में दाढ़ी न बनवाने की परंपरा धार्मिक मान्यताओं और सांस्कृतिक प्रथाओं से जुड़ी है, लेकिन क्या इसके पीछे कोई वैज्ञानिक कारण है?

क्यों सावन में बाल या दाढ़ी नहीं कटवानी चाहिए? क्या है इसके पीछे की परंपरा और वैज्ञानिक कारण?

Sawan Month 2025

Sawan 2025: उत्तर भारत में 11 जुलाई से सावन मास शुरू हो गया है. यह 9 अगस्त तक चलेगा. भारतीय संस्कृति में सावन मास को भगवान शिव का पवित्र महीना माना जाता है. यह वर्षा का समय भी है, इसलिए कृषि और समृद्धि का इससे सीधा संबंध है. धार्मिक दृष्टि से लोग इस महीने में कई कामों की मनाही करते हैं, जिनमें से एक है दाढ़ी न बनवाना. लेकिन क्या विज्ञान भी इसे सच मानता है?

हालाँकि, हमारा मानना है कि सावन मास में खान-पान और दैनिक जीवन से जुड़े कुछ स्वैच्छिक प्रतिबंध हिंदू धर्म की पुरानी मान्यताओं और धार्मिक प्रथाओं से जुड़े हो सकते हैं. कई लोग पूरे 30 दिनों तक दाढ़ी नहीं कटवाते. वे उसे बढ़ने देते हैं. क्या इसके पीछे कोई वैज्ञानिक या व्यावहारिक कारण हो सकते हैं? हाँ, इसके कुछ वैज्ञानिक निष्कर्ष ज़रूर हैं. विज्ञान भी इसे सही मानता है.
 
यह स्वास्थ्य और त्वचा की रक्षा करता है.

सावन में बारिश होने से उमस और फंगस का खतरा बढ़ जाता है. शेविंग करने से त्वचा पर छोटे-छोटे कट या घाव हो सकते हैं, जिससे संक्रमण (जैसे दाद, छाले) का खतरा बढ़ सकता है. नम हवा के कारण रेजर से शेविंग करते समय त्वचा पर जलन या रैशेज होने की संभावना रहती है. शायद यही वजह है कि प्राचीन काल में लोग त्वचा संबंधी समस्याओं से बचने के लिए इस मौसम में शेविंग करने से बचते थे. प्राचीन काल में, जब आधुनिक सैनिटाइजेशन और शेविंग उपकरण उपलब्ध नहीं थे, तो बारिश के मौसम में शेविंग करने से संक्रमण का खतरा रहता था. शायद इसी वजह से यह परंपरा शुरू हुई होगी.

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हार्मोनल परिवर्तन

कुछ अध्ययनों के अनुसार, मौसमी बदलाव शरीर के हार्मोन (जैसे टेस्टोस्टेरोन) को प्रभावित करते हैं, जिससे बालों की वृद्धि भी प्रभावित होती है. मानसून के मौसम में दाढ़ी बढ़ाने से इस प्राकृतिक चक्र को सहारा मिल सकता है.

आयुर्वेद क्या कहता है?

आयुर्वेद के अनुसार, श्रावण मास में शरीर की पाचन शक्ति (चयापचय) कमज़ोर हो जाती है और शरीर संवेदनशील रहता है. इस दौरान बाल कटवाने जैसे अनावश्यक शारीरिक बदलावों से बचने की सलाह दी जाती है.

इसमें परंपरा भी है.

श्रावण मास भगवान शिव की भक्ति और तपस्या का महीना माना जाता है. दाढ़ी न कटवाने से व्यक्ति बाहरी श्रृंगार के बजाय आध्यात्मिक चिंतन पर ध्यान केंद्रित कर पाता है. दाढ़ी या बाल न कटवाना तपस्या और संयम का प्रतीक माना जाता है. यह संयम और सादगी का पालन करने का एक तरीका है. कई समुदायों में यह माना जाता है कि श्रावण के दौरान दाढ़ी या बाल कटवाने से नकारात्मक ऊर्जा आकर्षित होती है या इसे भगवान शिव का अपमान माना जाता है.

अगर विज्ञान की बात करें तो श्रावण मास में और क्या नहीं करना चाहिए?

1. भारी या बासी खाना न खाएं - इसका वैज्ञानिक कारण यह है कि मानसून में नमी के कारण पाचन तंत्र कमज़ोर हो जाता है और पाचक एंजाइमों की क्रिया धीमी पड़ जाती है. तला हुआ, ज़्यादा मसालेदार या बासी खाना भी नहीं खाना चाहिए क्योंकि इससे बैक्टीरिया और फंगस का ख़तरा रहता है. कच्चा सलाद या बाज़ार से कटी हुई सब्ज़ियाँ खाने से बचना चाहिए क्योंकि इनसे संक्रमण का ख़तरा ज़्यादा होता है.

2. खुले पानी में नहाने या तैरने से बचें - इसके पीछे वैज्ञानिक कारण यह है कि बारिश के पानी से लेप्टोस्पायरोसिस, हैजा या त्वचा संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है. इसलिए, नदियों, झीलों या जलभराव वाली जगहों पर न नहाएँ. साफ़, गुनगुने पानी से नहाएँ और अपने पैरों को सूखा रखें.

3. नम या गीले कपड़े न पहनें - इसके पीछे वैज्ञानिक कारण यह है कि नमी से फंगल इन्फेक्शन (दाद, दाद, खुजली) हो सकता है. इसलिए ज़्यादा देर तक नम कपड़े या जूते न पहनें.

(Disclaimer: यह खबर सामान्य जानकारी पर आधारित है. अधिक जानकारी के लिए विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लें.)

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