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Sawan Kanwar Yatra 2025: इस दिन से शुरू हो रही कांवड़ यात्रा, जान लें आरंभ तिथियां, समय, मार्ग, अनुष्ठान और पूजा सामग्री तक

शिव भक्त अपनी मनोकामनाएं पूरी करने तथा भगवान का आशीर्वाद पाने के लिए कांवड़ यात्रा करते हैं, लेकिन कांवड़ के कुछ नियम होते हैं, उसे पालन करना जरूरी है. तो चलिए सावन में होने वाली कांवड़ यात्रा से जुड़े नियम, रास्ते, तिथियां आदि जान लें.

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Sawan Kanwar Yatra 2025: इस दिन से शुरू हो रही कांवड़ यात्रा, जान लें आरंभ तिथियां, समय, मार्ग, अनुष्ठान और पूजा सामग्री तक

कावड़ यात्रा नियम

11 जुलाई 2025 को एक बार फिर "बोल बम!" का पवित्र नारा गूंजेगा, जब कांवड़ियों की पहली भगवा लहरें वार्षिक कांवड़ यात्रा शुरू करने के लिए रवाना होंगी. श्रावण के अगले चार सप्ताहों में, लाखों भक्त नंगे पांव हरिद्वार गौमुख, गंगोत्री और सुल्तानगंज से गंगाजल एकत्र करेंगे और इसे सावधानीपूर्वक अलंकृत कांवड़ों में लटकाकर नीलकंठ महादेव, बाबा बैद्यनाथ धाम और काशी विश्वनाथ जैसे पवित्र शिवलिंगों तक ले जाएंगे.

यह यात्रा भगवान शिव द्वारा समुद्र मंथन के बाद अपने अग्निमय कंठ को ठंडा करने की पौराणिक कथा पर आधारित है, और यह यात्रा तपस्या और एकता की तीर्थयात्रा दोनों है, इसलिए इस यात्रा को नियम के साथ करें, और चलिए सावन में कांवड़ यात्रा से जुड़ी पूरी डिटेल जान लें.

कांवड़ यात्रा के लिए आवश्यक सामग्री 

लकड़ी का कांवड़, भगवान शिव का चित्र, कांवड़ सजाने के लिए श्रृंगार सामग्री, गंगा जल या नदी का जल भरने के लिए कोई भी बर्तन या कंटेनर, भक्तों के लिए भगवा वस्त्र, धूप-बत्ती, कपूर और माचिस, रुद्राक्ष की माला, चंदन, भस्म या गोपी चंदन, एक छोटा घंटा, सफेद रंग के फूल और प्रसाद(इलायचीदाना),पूजा की थाली.
 
कांवड़ यात्रा के नियम 
 
1- कांवड़ यात्रा के दौरान मन, कर्म और वचन से पवित्र रहना चाहिए. ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए. मन में कांवड़ के प्रति श्रद्धा हो तभी कांवड़ यात्रा करनी चाहिए, अन्यथा यात्रा व्यर्थ होगी.

2-इस दौरान शराब, पान, गुटखा, तंबाकू, सिगरेट का सेवन नहीं करना चाहिए.

3- कांवड़ यात्रा में आपकी आस्था और भक्ति के साथ-साथ आपके मन के संकल्प की भी परीक्षा होती है. इसमें आपका एक ही लक्ष्य होता है, भगवान भोलेनाथ का आशीर्वाद प्राप्त करना. आपको इस लक्ष्य से विचलित नहीं होना चाहिए.

4-एक बार कांवड़ उठा लेने के बाद आप उसे ज़मीन पर नहीं रख सकते. जब आप थक जाएं तो आप उसे किसी पेड़ या किसी स्टैंड पर रख सकते हैं.

5-कांवड़ यात्रा अपनी शारीरिक क्षमता के अनुसार ही करें. अगर आप पहली बार कांवड़ यात्रा कर रहे हैं तो आप लंबी दूरी की यात्रा करने से बच सकते हैं. बीमार या अस्वस्थ लोगों को इस यात्रा से बचना चाहिए.

कांवड़ यात्रा के दौरान क्या न करें  

1-यात्रा के दौरान जोर से बोलना, अपशब्द या लड़ाई-झगड़ा करने से बचें वरना आपके सारे पुण्यकर्म खत्म होंगे और कांवड़ यात्रा भी खंडित मानी जाएगी

2-कांवड़ यात्रा करते हुए अपने साथी-संगी से भेद या किसी का अपमान न करें.

3- कांवड़ यात्रा के दौरान बिखर के न चलें, बल्कि एक साथ लाइन से चलें.

4- बहुत तेज आवज में नाच-गाना, या किसी से छेड़छाड़ न करें.

कांवड़ यात्रा 2025 तिथि सारणी

कावड़ यात्रा तिथि

 नोट:  क्षेत्रीय कैलेंडर और चांद के दिखने के आधार पर तिथियां थोड़ी भिन्न हो सकती हैं. अंतिम पुष्टि के लिए हमेशा अपने स्थानीय मंदिर या पंचांग से जांच लें.

कांवड़ यात्रा मार्ग 2025 ये रहे

हरिद्वार रूट (उत्तराखंड)

• सबसे लोकप्रिय मार्ग और पहली बार कांवड़ यात्रा करने वाले लोगों के लिए सबसे उपयुक्त.

• तीर्थयात्री हर की पौड़ी से गंगाजल लेकर लगभग 55 किमी दूर नीलकंठ महादेव की ओर पैदल या कार से जाते हैं, या यदि उसी दिशा में रहते हैं तो घर वापस आते हैं.

• यह सबसे सुरक्षित मार्ग है, यहां राजमार्ग हैं, 24 घंटे लंगर स्टाल खुले रहते हैं, तथा पूरी दूरी तय करने के दौरान पुलिस और चिकित्सा सहायता भी निरंतर उपलब्ध रहती है.

गौमुख मार्ग (गंगा नदी का स्रोत)

• अनुभवी ट्रेकर्स के लिए जो गंगा नदी के स्रोत से पानी लेना चाहते हैं.

• यह ट्रेक 18 किमी का है, गंगोत्री (3,048 मीटर) से आप गौमुख तक ट्रेक करते हैं और सड़क मार्ग से अपने गंतव्य मंदिरों तक जाते हैं.

• आपको परमिट की आवश्यकता होगी और ऊंचाई के कारण दो या तीन दिनों के लिए अनुकूलन की अनुमति देनी होगी.

गंगोत्री मार्ग

• उन लोगों के लिए जो ग्लेशियर तक की यात्रा से बचना चाहते हैं और फिर भी गंगोत्री मंदिर से जल लेना चाहते हैं.

• घर वापसी के लिए लगभग 270-290 किलोमीटर पहाड़ी सड़कें तय करनी पड़ती हैं जो स्थानीय शिव मंदिरों में जलाभिषेक के लिए वापस मैदानी इलाकों की ओर जाती हैं.

• यह बहुत सुंदर है, यहां सरकार द्वारा लगातार शिविर और चिकित्सा बूथ चलाए जाते हैं.

सुल्तानगंज → देवघर मार्ग (झारखंड/बिहार)

• पूर्वी भारत का सबसे बड़ा कांवड़ मार्ग.

• तीर्थयात्री सुल्तानगंज के अजगैवीनाथ घाट से पैदल घड़े लेकर नंगे पैर लगभग 105 किमी चलकर बाबा बैद्यनाथ धाम पहुंचते हैं, जो देवघर में एक ज्योतिर्लिंग है.

• मार्ग पर आवरण के लिए बांस की विभिन्न संरचनाएं हैं तथा 24 घंटे खुले रहने वाले खाद्य पदार्थ के स्टॉल हैं, तथा पूरे मार्ग में जिला स्तर पर पुलिस बल की मजबूत व्यवस्था है.

(Disclaimer: यह खबर सामान्य जानकारी और लोक मान्यताओं पर आधारित है. अधिक जानकारी के लिए विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लें.)

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