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धर्म
मैसूर में दशहरे पर राम रावण नहीं दिखते, रावण दहन नहीं होता, सड़कों पर हाथी सजकर निकलते हैं, क्या है राजाओं की ये परंपरा
डीएनए हिंदी: Mysore Dussehra 2022- दशहरे के दिन रावण दहन (Ravan Dahan) की परंपरा सालों से चली आ रही है, कई जगहों पर रावण दहन बहुत ही धूमधाम से करते हैं और लोग दूर दूर से देखने आते हैं. मैसूर का रावण दहन बिल्कुल ही अलग तरह से होता है. यहां रावण का दहन नहीं करते बल्कि उस दिन हाथियों को सजाकर उनका काफिला निकालते हैं. अगर इस साल आप देखने जाना चाहते हैं तो कुछ रोचक बातें जरूर जान लें
क्या है 600 साल पुरानी परंपरा
मैसूर एक ऐसा शहर है जहां रावण के पुतले का दहन नहीं होता,बल्कि विजयादशमी का दिन अलग तरह से मनाया जाता है.यहां मनाई जाने वाली विजयादशमी में न तो राम होते हैं और न हीं रावण. इस दिन मैसूर के राजपरिवार (मैसूर पैलेस) की ओर से हाथी पर 750 किलो शुद्ध सोने का अम्बारी (सिंहासन) रखा जाता है,जिस पर माता चामुंडेश्वरी की प्रतिमा रखी जाती है और पूरे शहर में घुमाया जाता है. साल 1970 के पहले इस इस अम्बारी पर मैसूर के राजा बैठा करते थे लेकिन 26वें संविधान संसोधन के बाद साल 1971 से इस पर माता की प्रतिमा विराजित की जाने लगी और तब से लेकर आज तक ये प्रथा चली आ रही है
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ये परंपरा पिछले 600 सालों से चली आ रही है. इस दौरान आपको पूरा शहर रौशनी से सराबोर सा लगेगा. सोने-चांदी से सजे हुए हाथियों का काफिला और 6 किमी तक का सफर तय करते हैं.
क्या हैं खास बातें (Interesting Facts)
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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