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लाइफस्टाइल
Abhay Sharma | Jul 31, 2025, 02:11 PM IST
1.कैसे काम करती है पिल्स?
हेल्थ एक्सपर्ट्स के मुताबिक इमरजेंसी पिल्स हार्मोन आधारित दवाएं होती हैं और इनमें प्रोजेस्टेरोन या एस्ट्रोजन जैसे हॉर्मोन शामिल होते हैं. बता दें कि ये ओव्यूलेशन को रोकने, फर्टिलाइजेशन को बाधित करने या गर्भाशय की लाइनिंग को इस तरह प्रभावित करने का काम करती हैं, ताकि बच्चा आपके पेट में न रह सके.
2.क्या है एक्सपर्ट्स की राय?
हेल्थ एक्सपर्ट्स के मुताबिक एमेरजेंसी कॉन्ट्रासेप्टिव सिर्फ आपातकाल की स्थिति में ही लेना चाहिए, अगर आपने असुरक्षित संबंध बनाए हैं और आपको गर्भधारण से बचना है तो इस स्थिति में आप पिल ले सकती हैं. लेकिन, महीने में 1 या 2 पिल्स ले सकती हैं, 3 से 4 बार या इससे ज्यादा बार पिल्स लेना खतरनाक हो सकता है.
3.हार्मोनल असंतुलन
एक्सपर्ट्स के मुताबिक अगर आप अनचाही प्रेग्नेंसी से बचना चाहती हैं तो इस स्थिति में प्रोटेक्शन का इस्तेमाल करें, पिल्स लगातार लेने की वजह से हार्मोनल असंतुलन हो सकता है. इनका बहुत ज्यादा सेवन नहीं करना चाहिए, इससे फर्टिलिटी को नुकसान हो सकता है. इससे सेहत पर गंभीर असर पड़ सकता है. इसपर ध्यान देना जरूरी है..
4.गर्भावस्था को रोकने में करता है मदद
यह गर्भावस्था को रोकने में मदद करता है और इससे ओवुलेशन में देरी या रोकथाम होती है. बता दें कि ये फर्टिलाइजेशन और इंप्लांटेशन होने के बाद आई-पिल्स प्रभावी नहीं होती हैं और ये पहले से हो चुकी गर्भावस्था को समाप्त नहीं करती हैं.
5.क्या होता है इसका असर?
एमेरजेंसी गर्भनिरोधक गोलियों में ऐसे हार्मोन होते हैं जो महिलाओं के शरीर में हार्मोनल संतुलन को बिगाड़ सकते हैं और यह ओव्यूलेशन और फर्टिलाइजेशन को रोकते है. ऐसी स्थिति में आपको गर्भ निरोधक के अन्य विकल्पों के बारे में सोचना चाहिए.
6.नैचुरली कंसीव करने में आती है दिक्कत
एक्सपर्ट्स के मुताबिक इन पिल्स में हार्मोंस का स्तर बहुत ज्यादा होता है, ऐसे में यह अनियमित मासिक धर्म का कारण बनते हैं. ऐसे में जो औरते कंसीव करना चाहती हैं, उन्हें इससे दिक्कत हो सकती है. इन महिलाओं को आगे चलकर नैचुरली कंसीव करने में दिक्कत आ सकती है.
7.एक्टोपिक प्रेग्नेंसी
हेल्थ एक्सपर्ट्स के मुताबिक इससे एक्टोपिक प्रेग्नेंसी का खतरा बढ़ जाता है, इसका सही समय पर इलाज न किया जाए तो इसकी वजह से प्रेग्नेंसी मे महिला की जान के लिए भी खतरा रहता है. यह प्रजनन अंगों को ऐसा नुकसान पहुंचा सकती है जिसे ठीक न किया जा सकता हो.