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लाइफस्टाइल
ऋतु सिंह | Jul 01, 2025, 09:08 AM IST
1.क्या ये परंपरा आज भी प्रासंगिक है?
शाही परंपरा में भोजन चखने वाले राजा या महाराजाओं के भोजन को परोसने से पहले चखते थे. यह परंपरा ऐतिहासिक रूप से शाही परिवारों में लोकप्रिय थी, खासकर राजाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए. भोजन चखने वालों का काम यह सुनिश्चित करना था कि भोजन में ज़हर न हो, क्योंकि राजनीतिक दुश्मनों द्वारा ज़हर देकर उनकी हत्या करने की कोशिश करना आम बात थी! लेकिन क्या वह परंपरा आज भी प्रासंगिक है? आज भले ही कोई राजा या महाराजा न हों, लेकिन राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री ज़रूर हैं. तो, क्या वह परंपरा आज भी प्रासंगिक है? यहां उत्तर दिया गया है:
2.कब नहीं परोसा जाता था राजा को खाना
अतीत में, खाद्य निरीक्षक भोजन का स्वाद चखते थे और उसकी गुणवत्ता, सुरक्षा और स्वाद की जांच करते थे. कभी-कभी यह काम राजा के बहुत करीबी भरोसेमंद सेवकों या विशेष रूप से चुने गए व्यक्तियों द्वारा किया जाता था. अगर ज़हर के लक्षण जैसे उल्टी, चक्कर आना या अन्य स्वास्थ्य समस्याएं देखी जाती थीं, तो राजा को भोजन नहीं परोसा जाता था. क्या यह व्यवस्था आज भी लागू है?
3.राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और अन्य वीवीआईपी के खाने की जांच होती है?
देश के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और अन्य वीवीआईपी की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए उनके लिए तैयार किए जाने वाले भोजन की भी कड़ी जांच की जाती है. इसी के तहत प्रधानमंत्री का भोजन उनकी पसंद के हिसाब से खास तौर पर तैयार किया जाता है. हालांकि, प्रधानमंत्री के खाने से पहले उसे सुरक्षा के लिहाज से किसी और व्यक्ति द्वारा चखा और परखा जाता है.
4.कोई खाना सीधे नहीं परोसा जाता है
सिर्फ प्रधानमंत्री ही नहीं, बल्कि राष्ट्रपति और उनके साथ मौजूद अन्य वीवीआईपी के खाने की भी सुरक्षा कारणों से तैयारी के बाद एक बार जांच की जाती है. इसलिए सुरक्षा प्रोटोकॉल के मुताबिक तैयार किया गया भोजन सीधे प्रधानमंत्री को नहीं परोसा जाता.
5.बाहर भी खाना यूं ही नहीं खा सकते हैं
इसी के तहत दुनिया भर में वीवीआईपी लोगों के खाने में जहर मिलाकर हत्या की कोशिश की कई घटनाएं हो चुकी हैं. इसलिए राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री के दौरे के दौरान उनके आवास के बाहर उनके द्वारा खाए जाने वाले खाने की पूरी तरह से जांच की जाती है.
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