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Pahalgam Terror Attack से पहले 3 और जगह हुई थी रेकी, Z-Morh Attack 2024 के पीछे भी था यही मॉड्यूल, पढ़ें 5 पॉइंट्स

Pahalgam Terror Attack: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले की जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) को सौंप दी गई है, जिसने कई नए पहलू का पता लगाया है.

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Pahalgam Terror Attack से पहले 3 और जगह हुई थी रेकी, Z-Morh Attack 2024 के पीछे भी था यही मॉड्यूल, पढ़ें 5 पॉइंट्स

Pahalgam Terror Attack की लोकेशन पर मौजूद भारतीय सेना का जवान. (फाइल फोटो)

Pahalgam Terror Attack: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले की राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने जांच शुरू कर दी है. NIA को अपनी जांच में इस हमले से जुड़े कई ऐसे फैक्ट्स मिले हैं, जिनसे कुछ नई बातें सामने आ रही हैं. जांच में सामने आया है कि पहलगाम ही नहीं आतंकियों के निशाने पर 2 और ठिकाने भी थे. इसके अलावा हमले में शामिल टैरर मॉड्यूल के बारे में भी कई जानकारी मिली हैं. यह सामने आया है कि इसी टैरर मॉड्यूल ने पिछले साल भी जम्मू-कश्मीर में एक घातक आतंकी हमले को अंजाम दिया था. तब इस मॉड्यूल ने जम्मू-कश्मीर से सटी इंटरनेशनल सीमा पर पूरा साल आवाजाही के लिए रणनीतिक नजरिये से बनाई जा रही Z-Morh टनल को निशाना बनाते हुए कई लोगों की हत्या की थी.

आइए आपको 5 पॉइंट्स में बताते हैं कि क्या-क्या नई बातें सामने आई हैं-

1. घाटी में इस्तेमाल हुए थे तीन सैटेलाइट फोन
जम्मू-कश्मीर में सैटेलाइट फोन चलाने की इजाजत केवल भारतीय सेना और अन्य सुरक्षा बलों को है. NIA के सूत्रों के हवाले से एनडीटीवी की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि पहलगाम हमले से ठीक पहले कश्मीर घाटी में तीन अंजान सैटेलाइट फोन एक्टिव हुए थे. इनमें से 2 सैटेलाइट फोन के सिग्नल्स को ट्रेस करके इनके एक्टिव होने की लोकेशन का पता लगा लिया गया है. माना जा रहा है कि इन सैटेलाइट फोन के जरिये आतंकी अपने आकाओं से संपर्क साधे हुए थे.

2. आतंकी 15 अप्रैल को पहुंचे थे पहलगाम, तीन लोकेशन की हुई रेकी
रिपोर्ट में दावा किया गया है कि पहलगाम हमले को अंजाम देने वाले आतंकी वहां 15 अप्रैल से ही मौजूद थे. इस बात की जानकारी लश्कर के उन ओवर ग्राउंड वर्कर्स (OGW) ने दी है, जिन्हें खुफिया एजेंसियों ने आतंकी हमले के बाद हिरासत में लेकर पूछताछ की है. बैसरन घाटी में भी आतंकी हमले से 2 दिन पहले ही एक्टिव हो गए थे. आतंकियों का पहला टारगेट बैसरन घाटी नहीं थी बल्कि उन्होंने तीन अन्य टारगेट की भी रेकी की थी. एनआईए जांच में सामने आया है कि आतंकियों ने हमले के लिए आरु घाटी, बेताब घाटी और एम्यूजमेंट पार्क की रेकी की थी, लेकिन वहां सुरक्षा व्यवस्था ज्यादा टाइट थी. इस कारण आखिर में बैसरन घाटी को टारगेट के तौर पर तय किया गया.

3. पिछले साल Z-Morh में भी इसी ग्रुप ने किया था नरसंहार
जांच में सामने आया है कि पहलगाम हमले को अंजाम देने वाले आतंकियों ने पिछले साल भी कश्मीर घाटी में एक नरसंहार किया था. पहलगाम हमले में शामिल कई ऑपरेटिव्स अक्टूबर, 2024 में गांदेरबल जिले के सोनमर्ग (Sonmarg) में Z-Morh Attack में भी शामिल थे. उस हमले में सामरिक रूप से बेहद अहम Z-Morh Tunnel Project के करीब आतंकियों ने 6 मजदूरों और एक डॉक्टर को गोलियों से भून दिया था. श्रीनगर को कारगिल से करीब 8,562 फुट की ऊंचाई पर जोड़ने वाली Z-Morh टनल 6.5 किलोमीटर लंबी है, जिसके बनने से दोनों के बीच पूरा साल आवाजाही जारी रह सकती है. अभी इस हाइवे पर सर्दियों में बर्फबारी के कारण कई महीने के लिए बंद रहता है.

4. जेड-मोड़ अटैक में शामिल हासिम मूसा ने किया पहलगाम हमला
पहलगाम हमले और जेड-मोड़ टनल हमले के पीछे पाकिस्तानी आतंकी संगठन लश्कर-ए-ताइबा (Lashkar-e-Taiba) की एक ही यूनिट शामिल होने की जानकारी मिली है. जे-मोड़ टनल हमले में शामिल एक आतंकी जुनैद अहमद भट को सुरक्षा बल पिछले साल दिसंबर में मार चुके हैं. उसके अलावा भी उस हमले में शामिल दो आतंकी मारे जा चुके हैं, लेकिन LeT आतंकी हाशिम मूसा उर्फ सुलेमान अभी बचा हुआ है. खुफिया एजेंसियों की जांच में यह सामने आ चुका है कि हाशिम मूसा ही पहलगाम आतंकी हमले के दौरान मुख्य भूमिका में था.

5. रेकी में मदद करने वाले OGW की हो चुकी पहचान
रिपोर्ट में दावा किया गया है कि NIA की जांच में उन OGW की पहचान हो चुकी है, जिन्होंने आतंकियों को इस हमले के लिए रेकी करने में मदद की है. इनकी संख्या 4 है. इसके अलावा लश्कर के कुल 20 ओजीडब्ल्यू पहचाने गए हैं, जिनमें से कई को हिरासत में लिया जा चुका है और बाकी की तलाश जारी है. जांच एजेंसियों ने आतंकवादियों के मददगारों के तौर पर 2500 संदिग्धों की सूची तैयार की है, जिनमें से 186 को हिरासत में लेकर पूछताछ की जा रही है. 

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