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भारत
Iran-Israel War को लेकर भारत ने 10 दिन पहले चीन के नेतृत्व वाले शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के बयान से किनारा कर लिया था, लेकिन अब चीनी मौजूदगी वाले BRICS के ईरान में घुसपैठ को लेकर जताई गई चिंता में भारत ने उसका साथ दिया है. उधर, चीन में SCO मीटिंग में Rajnath Singh ने पाकिस्तान को चेतावनी दी है.
Iran-Israel War को लेकर भारत ने अपने रुख में एक अहम बदलाव किया है. भारत ने चीन-रूस की मौजूदगी वाले BRICS समूह के उस बयान का समर्थन किया है, जिसमें 13 जून को ईरान के खिलाफ इजरायली मिलिट्री स्ट्राइक को इंटरनेशनल कानून और यूएन चार्टर का उल्लंघन बताया गया है. BRICS ने यह बयान 5-6 जुलाई को रियो डि जनेरियो में होने जा रहे अपने सदस्य देशों के शिखर सम्मेलन से पहले दिया है, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भी भाग लेने की संभावना है. उधर, भारत ने शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के रक्षा मंत्रियों की बैठक में चीन के सामने पाकिस्तान को आतंक के मुद्दे पर जमकर फटकार लगाई है. साथ ही ऑपरेशन सिंदूर (Operation Sindoor) का जिक्र करते हुए चेतावनी दी है कि यदि फिर से निर्दोषों का खून बहेगा तो वह दोबारा दूसरे देश में घुसकर आतंकियों को मारेगा. SCO की यह बैठक चीन के ही किंगदाओ शहर में हो रही है, जिसमें भाग लेने के लिए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) वहां गए हैं. साल 2020 में पूर्वी लद्दाख में चीनी सेना के घुसपैठ करने और गलवां घाटी में भारतीय जवानों से खूनी झड़प होने के बाद किसी भारतीय नेता की यह पहली चीन यात्रा है.
आइए आपको 5 पॉइंट्स में बताते हैं कि BRICS और SCO में क्या हुआ है-
1. राजनाथ सिंह SCO समिट में बोले- आतंकवाद के खिलाफ जारी रहेगा एक्शन
चीन के किंगदाओ शहर में शंघाई सहयोग संगठन (Shanghai Cooperation Organisation) की रक्षा मंत्रियों की बैठक में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शिरकत की है. उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर का जिक्र करते हुए कहा कि निर्दोषों का खून बहाने वालों को हम नहीं छोड़ेंगे. हमारा आतंकवाद के खिलाफ एक्शन जारी रहेगा. बैठक में मौजूद पाकिस्तानी रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ के सामने ही राजनाथ ने कहा,'कुछ देश आतंकवाद के समर्थक हैं, लेकिन वे सुन लें कि हम निर्दोषों का खून बहने पर फिर घुसकर मारेंगे. भारत का मानना है कि कोई भी देश चाहे कितना शक्तिशाली हो, अकेले काम नहीं कर सकता है. देशों के बीच संघर्ष रोकने के लिए संवाद और सहयोग का सिस्टम बनाने में रिफॉर्म्ड मल्टीलेटरिज्म मदद कर सकता है. हमारे यहां सदियों से कहावत है, सर्वे जना सुखिनो भवन्तु, अर्थात सभी के लिए शांति और समृद्धि. यह दिखाता है कि पारस्परिक और सामूहिक लाभ के लिए एक-दूसरे के साथ मिलकर काम करना पड़ता है.'
#WATCH | Qingdao, China | "...Some countries use cross-border terrorism as an instrument of policy and provide shelter to terrorists. There should be no place for such double standards. SCO should not hesitate to criticise such nations, " says Defence Minister Rajnath Singh at… pic.twitter.com/08Y8vHcv1x
— ANI (@ANI) June 26, 2025
2. 'आतंकवाद को पनाह देने वालों के लिए कोई जगह नहीं'
राजनाथ सिंह ने चीन और पाकिस्तान का नाम लिए बिना उन पर तंज कसा. उन्होंने कहा,'मेरा मानना है कि हमारे क्षेत्र की शांति, सुरक्षा और विश्वास की कमी से जुड़ी समस्याओं का मूल कारण कट्टरपंथ, उग्रवाद और आतंकवाद में इजाफा है. किसी भी तरह से आतंकवाद और शांति-समृद्धि साथ-सात नहीं चल सकते. हमें इन बुराइयों के खिलाफ एकजुट होना चाहिए. आतंकवाद को नीति का साधन बनाने और आतंकियों को पनाह देने के दोहरे मानदंडों के लिए कोई जगह नहीं है. SCO को ऐसा करने वाले देशों की आलोचना में संकोच नहीं करना चाहिए.'
3. पहलगाम हमले का भी किया रक्षा मंत्री ने जिक्र
रक्षा मंत्री ने बैठक को संबोधित करते हुए पहलगाम आतंकी हमले (Pahalgam Terror Attack) का भी जिक्र किया. उन्होंने कहा," द रेजिस्टेंस फ्रंट नाम के आतंकी समूह ने 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में निर्दोष पर्यटकों पर हमला किया, जो नृशंस और जघन्य था. इसमें एक नेपाली नागरिक समेत 26 निर्दोष लोग मारे गए. उन्हें धार्मिक पहचान पूछकर गोली मारी गई. रेजिस्टेंस फ्रंट पाकिस्तानी आतंकी संगठन लश्कर-ए-ताइबा का प्रॉक्सी संगठन है, जिस पर संयुक्त राष्ट्र ने प्रतिबंध लगाया हुआ है.'
4. ईरान-इजरायल को लेकर BRICS ने कही है ये बात
उधर, BRICS देशों की तरफ से जारी साझा बयान में कहा गया,'हम 13 जून को इस्लामी गणराज्य ईरान के खिलाफ मिलिट्री स्ट्राइक को लेकर बेहद चिंतित हैं, जिसने इंटरनेशनल कानून और यूएन चार्टर का उल्लंघन किया है. साथ ही मिडिल ईस्ट में सुरक्षा हालातों को लेकर चिंता पैदा कर दी है. इससे अंतरराष्ट्रीय शांति-सुरक्षा के साथ ही वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए भी बढ़ते तनाव से खतरे के मद्देनजर हम तत्काल शांति बहाली की आवश्यकता जता रहे हैं. दोनों पक्षों को संवाद और कूटनीति के माध्यम से जुड़ना चाहिए ताकि तनाव घट सके और शांतिपूर्ण तरीके से मतभेद सुलझ सकें. शांतिपूर्ण परमाणु प्रतिष्ठानों पर कोई भी हमला गंभीर चिंता की बात है, जो इंटरनेशनल कानून और इंटरनेशनल परमाणु ऊर्जा एजेंसी के प्रस्तावों का उल्लंघन है. लोगों और पर्यावरण को नुकसान से बचाने के लिए सशस्त्र संघर्षों सहित परमाणु सुरक्षा और संरक्षा को हमेशा बरकरार रखना चाहिए. अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानूनों का पालन करते हुए नागरिक जीवन और नागरिक बुनियादी ढांचे की सुरक्षा की जानी चाहिए. हम इस विवाद में पीड़ित परिवारों के प्रति अपनी हार्दिक संवेदना जताते हैं और प्रभावित नागरिकों से एकजुटता व्यक्त करते हैं.' बता दें कि BRICS देशों में भारत, चीन, रूस, ईरान, ब्राजील, साउथ अफ्रीका, सऊदी अरब, मिस्र, यूएई, इथोपिया और इंडोनेशिया शामिल हैं.
5. ईरान ने फिर कहा- थैंक्यू भारत
ईरान ने BRICS देशों के साथ भारत के खड़ा होने पर उसे थैंक्यू कहा है. दिल्ली स्थित ईरानी दूतावास ने एक बयान में कहा,'हम तेहरान का साथ देने के लिए भारत के स्वतंत्रता प्रेमी नागरिकों, राजनीतिक दलों, संगठनों और अन्य लोगों के वास्तविक व अमूल्य समर्थन की सराहना करते हैं. जब ईरानी लोग मिलिट्री अटैक से जूझ रहे थे, तब एकजुटता, समर्थन, सार्वजनिक बयान और शांति की अपील वाली सभाओं में सक्रिय भागीदारी के संदेश गहरी प्रेरणा के स्रोत थे.'
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