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भारत
बांग्लादेश में फिर हिंदू मंदिर सरकार के निशाने पर आया है. बांग्लादेश हिंदू बौद्ध ईसाई एकता परिषद ने इस तरह के विनाशकारी और हिंसक धार्मिक उन्माद की निंदा की, जबकि भारत ने बांग्लादेशी सरकार की आलोचना की.
बांग्लादेश में अल्पसंख्यक समूह (हिंदू) सड़कों पर हैं और इनके द्वारा राजधानी ढाका में विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है. ऐसा क्यों हो रहा है इसकी वजह बना है वो एक्शन जो बांग्लादेश के रेल अधिकारियों द्वारा लिया गया और जिसके चलते देवी दुर्गा को समर्पित एक अस्थायी मंदिर को ध्वस्त कर दिया गया. भारत ने विध्वंस की निंदा करते हुए कहा कि चरमपंथी समूह बीते कुछ वक़्त से इस मंदिर को ध्वस्त करने की साजिश रच रहे थे. मामले के सामने आने के बाद भारत ने मुहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार की कार्यप्रणाली की तीखी आलोचना की.
बांग्लादेश में दुर्गा मंदिर के साथ हुआ क्या?
ढाका के खिलखेत में स्थित दुर्गा मंदिर को गुरुवार को बांग्लादेश रेलवे अधिकारियों ने ध्वस्त कर दिया. रिपोर्टों के अनुसार, अधिकारियों ने दावा किया कि मंदिर को रेलवे की ज़मीन पर अवैध रूप से बनाया गया था. मंदिर समिति के सचिव अर्जुन रॉय ने कहा कि इस बारे में पहले से कोई सूचना नहीं दी गई थी, उन्होंने कहा, 'हम इस घटना से बहुत निराश हैं.'
रिपोर्ट के अनुसार, मंदिर को ध्वस्त करने से पहले 500 से ज़्यादा लोग लाठी-डंडे लेकर मंदिर को घेरकर खड़े थे. भीड़ मंदिर को हटाने की मांग कर रही थी. रिपोर्ट के अनुसार, घटनास्थल पर बुलडोजर पहुंचे और भारी पुलिस बल की मौजूदगी में दुर्गा मंदिर को ध्वस्त कर दिया गया. मंदिर के विध्वंस से बांग्लादेशी हिंदुओं में व्यापक आक्रोश फैल गया.
मंदिर के विध्वंस से आहत लोगों ने शुरू किया विरोध प्रदर्शन
शुक्रवार को, बांग्लादेश सनातनी समूह और शाहबाग में सनातनी आंदोलन जैसे अल्पसंख्यक संगठनों द्वारा ढाका में मानव श्रृंखला बनाकर विरोध प्रदर्शन किया गया. विध्वंस को 'क्रूर दृश्य जिसने हमारी भावनाओं को ठेसपहुंचाई' बताते हुए, बांग्लादेश हिंदू बौद्ध ईसाई एकता परिषद के मनिंद्र कुमार नाथ ने कहा, 'हम इस तरह के विनाशकारी और हिंसक धार्मिक उन्माद की निंदा करते हैं. इसके विरोध में, सनातनी समाज आज जाग उठा है.'
प्रदर्शनकारियों ने मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार की चुप्पी की निंदा करने के लिए ढाका प्रेस क्लब में एक रैली आयोजित करने की योजना बनाई है. समाचार एजेंसी एएनआई ने नाथ के हवाले से कहा, 'दुर्भाग्य से, यह सरकार ऐसी निंदनीय हरकतें कर रही है... इन घटनाओं को अफवाह बता रही है.'
बांग्लादेश पूजा उडजापान परिषद, महानगर सर्बोजनिन पूजा समिति और अल्पसंख्यक अधिकार आंदोलन जैसे संगठनों ने इस घटना की निंदा की. आलोचकों ने कहा कि मंदिर को निशाना बनाए जाने के बावजूद आस-पास की अन्य अवैध संरचनाओं को ध्वस्तीकरण अभियान से बचा लिया गया.
मामले पर क्या बोला भारत ?
गुरुवार को भारत ने बांग्लादेश में हिंदू मंदिर के ध्वस्तीकरण पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए अंतरिम सरकार की आलोचना की. अपने साप्ताहिक प्रेस ब्रीफिंग के दौरान, भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा, 'हमें पता चला है कि चरमपंथी ढाका के खिलखेत में दुर्गा मंदिर को ध्वस्त करने के लिए शोर मचा रहे थे.
जायसवाल ने कहा कि,'अंतरिम सरकार ने मंदिर को सुरक्षा प्रदान करने के बजाय इस घटना को अवैध भूमि उपयोग के रूप में पेश किया...जिसके परिणामस्वरूप देवता को स्थानांतरित करने से पहले ही नुकसान पहुंचा.'
उन्होंने बांग्लादेश की अंतरिम सरकार को हिंदुओं, उनकी संपत्तियों और धार्मिक संस्थानों की रक्षा करने के अपने कर्तव्य की याद दिलाई. 2024 में लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित शेख हसीना के सत्ता से बाहर होने के बाद से, बांग्लादेश में हिंदुओं और अल्पसंख्यक समुदायों पर कई हमले हुए हैं.