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Delimitation के खिलाफ विपक्षी दलों ने पारित किया ऐसा प्रस्ताव, जो देश को ले जाएगा 55 साल पीछे, पढ़ें 5 पॉइंट्स

JAC on Delimitation: तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने केंद्र सरकार के साथ भाषा विवाद के बीच लोकसभा सीटों के परिसीमन का भी विरोध शुरू किया है. इसके लिए उन्होंने सर्वदलीय बैठक बुलाई थी, जिसमें एक जॉइंट एक्शन कमेटी गठित की गई है.

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Delimitation के खिलाफ विपक्षी दलों ने पारित किया ऐसा प्रस्ताव, जो देश को ले जाएगा 55 साल पीछे, पढ़ें 5 पॉइंट्स

Delimitation का विरोध दक्षिण भारतीय राज्य कर रहे हैं, लेकिन मीटिंग में Punjab के मुख्यमंत्री Bhagwant Mann भी दिखाई दिए.

JAC on Delimitation: तमिलनाडु की तरफ से भाषा विवाद के चलते केंद्र सरकार के खिलाफ बने माहौल के बीच लोकसभा सीटों के परिसीमन की खिलाफत को भी तेज करने का निर्णय लिया है. इसके लिए तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने शनिवार को सर्वदलीय बैठक बुलाई थी, जिसमें विपक्षी दलों ने परिसीमन का विरोध करने के लिए एक जॉइंट एक्शन कमेटी (JAC) गठित की है. इस जॉइंट एक्शन कमेटी ने केंद्र सरकार की परिसीमन प्रक्रिया (Lok Sabha Seat Delimitation Process) में कमी बताई है. साथ ही एक प्रस्ताव पारित किया है, जिसमें केंद्र सरकार को परिसीमन प्रक्रिया रोकते हुए 55 साल पहले की आबादी के आधार पर ही लोकसभा में सीटों की संख्या बनाए रखने की अपील की गई है. प्रस्ताव में सरकार से 1971 की जनगणना पर आधारित संसदीय सीटों की संख्या को अगले 25 साल तक लागू रखने के लिए संविधान संशोधन करने की अपील की गई है.

आइए आपको 5 पॉइंट्स में वह रणनीति बताते हैं, जो JAC ने अपने प्रस्ताव में पारित की है-

1. सभी राज्य सरकारों को भी शामिल करके प्रक्रिया को बनाए पारदर्शी
JAC ने परिसीमन प्रक्रिया को गैर पारदर्शी और अस्पष्ट बताया है. साथ ही इसमें राज्य सरकारों को शामिल नहीं करने को लेकर भी आपत्ति जताई है. प्रस्ताव में इस प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने की मांग की गई है ताकि लोकतंत्र को बेहतर बनाए जाने के लिए केंद्र सरकार का कोई भी कदम पारदर्शी तरीके से उठे. साथ ही इस प्रक्रिया में राज्य सरकारों, सभी राजनीतिक दलों और अन्य हितधारकों को भी शामिल करने की मांग की गई है.

2. संविधान में किया जाए संशोधन
JAC ने अपने प्रस्ताव में संविधान संशोधनों का जिक्र किया है. प्रस्ताव में संविधान के 42वें, 84वें और 87वें संशोधन की याद केंद्र सरकार को दिलाई गई है और कहा गया है कि इनके पीछे विधायिका की मंशा उन राज्यों का संरक्षण करने की थी, जिन्होंने जनसंख्या नियंत्रण के उपायों को अच्छी तरह लागू किया था. प्रस्ताव में राष्ट्रीय आबादी को स्थिर रखने का गोल अभी तक पूरा नहीं होने की बात कही गई है और इसी खे चलते 1971 की जनगणना पर आधारित संसदीय क्षेत्रों की सीमा बदलने पर लगी रोक को अगले 25 साल तक बढ़ाने की मांग की गई है.

3. पॉपुलेशन कंट्रोल करने वाले राज्यों को ना दीजिए सजा
जॉइंट कमेटी ने अपने प्रस्ताव में केंद्र सरकार से अपील की है कि जनसंख्या पर लगाम लगाने वाले राज्यों को 'सजा' नहीं दी जानी चाहिए. JAC ने कहा,'अपने यहां प्रभावी पॉपुलेशन कंट्रोल प्रोग्राम लागू करने वाले राज्यों की जनसंख्या का हिस्सा घट गया है. उन्हें इस बात की सजा नहीं दी जानी चाहिए. चाहे इसके लिए केंद्र सरकार को आवश्यक संवैधानिक संशोधन करने पड़ें.'

4. विधानसभाओं में भी लाएंगे विरोध प्रस्ताव
JAC ने यह भी तय किया है कि अलग-अलग राज्यों से बैठक में शामिल हुई पार्टियां अपनी-अपनी विधानसभाओं में भी परिसीमन का विरोध करेंगी. साथ ही विधानसभाओं में इसके खिलाफ प्रस्ताव पारित करके केंद्र सरकार को भेजा जाएगा. JAC अपने-अपने राज्यों के नागरिकों के बीच भी परिसीमन के मुद्दे को लेकर जाएगी और इसके विरोध में जनमत जुटाने की रणनीति अपनाएगी. जनता को पहले हो चुके परिसीमन के इतिहास और आगे होने वाले परिसीमन के परिणामों के लिए जागरूक करने की कोशिश की जाएगी.

5. संसद में भी मुद्दा उठाने के लिए बनेगी कोर कमेटी
JAC ने यह भी तय किया है कि बैठक में शामिल दलों के सांसदों की एक कोर कमेटी बनाई जाएगी, जो संसद में भी परिसीमन का विरोध करेगी. कोर कमेटी में शामिल सांसद केंद्र सरकार के हर उस कदम का विरोध करेंगे, जिसमें उनके राज्य के हितों के विपरीत परिसीमन लाने की कोशिश की जाएगी. कोर कमेटी के सांसद प्रधानमंत्री को मौजूदा संसदीय सत्र के दौरान ही एक संयुक्त प्रतिनिधि पत्र भी सौंपेंगे, जिसमें परिसीमन प्रक्रिया का विरोध किया जाएगा.

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