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भारत
भारत के ग्रैंड मुफ्ती शेख अबुबकर अहमद ने निमिषा प्रिया की फांसी टलवाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. निमिषा प्रिया को 16 जुलाई को फांसी होनी थी, जो अब टल गई है.
यमन में हत्या के आरोप में केरल की नर्स निमिषा प्रिया को मौत की सज़ा सुनाई गई है. निमिषा प्रिया अपने एम्प्लॉयर तलाल अब्दो महदी की हत्या की दोषी पाई गई हैं, तलाल परिवार ने ब्लड मनी लेने से इनकार कर दिया था. जिसके बाद 16 जुलाई को उनकी फांसी तय मानी जा रही थी. अब भारत के ग्रैंड मुफ्ती शेख अबुबकर अहमद ने यह फांसी टलवा दी है.
ग्रैंड मुफ्ती ने यमन के मौलवी शेख उमर बिन हाफिज़ से बात की. उनसे कहा कि वो तलाल अब्दो के परिवार से बात करें. उमर बिन हाफिज़ ने अपने छात्रों को तलाल से बात करने के लिए भेजा. कई घंटों तक दोनों के बीच बातचीत चली और तलाल के परिवार ने फांसी टालने पर सहमति जताई.
भारत के ग्रैंड मुफ्ती हैं शेख अबुबकर अहमद. वह 94 साल के हैं. वह केरल के रहने वाले हैं. वह भारत और एशिया के प्रमुख सुन्नी धर्मगुरु हैं.मुफ्ती का मतलब होता है इस्लामिक कानून के ज्ञाता. साल 2019-20 में वो तब सुर्खियों में आए थे जब उन्होंने महिलाओं से कहा था कि वो CAA के विरोध में घर से बाहर निकलकर प्रोटेस्ट न करें. भारत के ग्रैंड मुफ्ती केरल के कोझ़ीकोड़ में रहते हैं.
निमिषा प्रिया मामले में उन्होंने हाल ही में कहा था, 'इस्लाम अलग कानून है. अगर हत्या के दोषी को मौत की सज़ा सुनाई जाती है तो उसके परिवार को पार्डन का अधिकार मिलता है. मैं उनके परिवार को नहीं जानता, लेकिन मैंने यमन के जिम्मेदार स्कॉलर्स को कॉन्टैक्ट किया है. मैंने उन्हें पूरा मामला समझाया है. उन्हें बताया है कि इस्लाम में मानवता बेहद महत्वपूर्ण है.'
निमीषा प्रिया एक ट्रेन्ड नर्स हैं. वह साल 2008 में काम के लिए यमन गई थी. शुरुआत में निमिषा ने वहां के अस्पतालों में नौकरी की. इसके बाद निमिषा ने अपना खुद का क्लिनिक शुरू किया. इस क्लिनिक में तलाल अब्दो महदी निमिषा के सहयोगी बने. कुछ वक्त के बाद महदी ने निमिषा को परेशान करना शुरू कर दिया. महदी ने निमिषा के पैसे चुराए और निमिषा का पासपोर्ट जब्त करके रख लिया. अपना पासपोर्ट छुड़ाने के लिए निमिषा ने तलाल को नशे का इंजेक्शन दे दिया. लेकिन ओवरडोज़ की वजह से तलाल की मौत हो गई. इसके बाद निमिषा ने तलाल के शवों के कई टुकड़े किए और मामले को छुपाने की कोशिश की. निमिषा ने अपना पासपोर्ट लेकर यमन से भागने की कोशिश की, भागने की कोशिश के दौरान निमिषा को गिरफ्तार कर लिया. 2017 में निमिषा को दोषी माना गया. हत्या की दोषी पाए जाने के बाद निमिषा को फांसी की सज़ा सुनाई गई. फांसी के लिए 16 जुलाई, 2025 की तारीख तय की गई थी.
यमन के कानून के मुताबिक, ब्लड मनी से निमिषा की जान बचाई जा सकती है. अगर तलाल अब्दो का परिवार ब्लड मनी स्वीकार करता तो निमिषा को माफी मिल सकती थी. निमिषा को बचाने के लिए करीब 1 मिलियन डॉलर की ब्लड मनी रेज़ की गई थी. हालांकि, तलाल के परिवार ने ब्लड मनी लेने से इनकार कर दिया था.
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