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जानिए कौन है माधवी लता? चिनाब ब्रिज की नींव को मजबूत करने में निभाई अहम भूमिका

आज हम आपको एक ऐसे इंजीनियर के बारे में बताने जा रहे हैं कि जिन्होंने चिनाब रेल ब्रिज की नींव को मजबूत करने में अहम भूमिका निभाई है. आइए जातने हैं इजीनियर माधवी लता के बारे में.

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जानिए कौन है माधवी लता? चिनाब ब्रिज की नींव को मजबूत करने में निभाई अहम भूमिका

G madhavi latha

6 जून 2025 को दुनिया के सबसे ऊंचे रेलवे पुल को पीएम मोदी ने देश के समर्पित कर दिया. चिनाब नदी पर पुल ये रेलवे पुल बनाकर भारत ने एक बार फिर से दुनिया के सामने इंजीनियरिंग का एक सबसे नायब नमूना पेश किया है. यह ब्रिज न सिर्फ तकनीकी चमत्कार है, बल्कि कश्मीर घाटी को देश के बाकी हिस्सों से जोड़ने वाला एक अहम कदम भी है.  इस ब्रिज की नींव को तैयार करने में कई इंजीनियरों ने अपनी अहम भूमिका निभाई है. इस सब में एक नाम खास है. जिसके बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं. 

सफल भूमिका
प्रोफेसर जी माधवी लता ने इस प्रोजेक्ट को सफल बनाने में अहम भूमिका निभाई है. इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस (IISc), बेंगलुरु की प्रोफेसर माधवी लता इस प्रोजेक्ट से 17 साल तक जुड़ी रहीं और उन्होंने भू-तकनीकी सलाहकार के रुप में काम किया. उन्होंने 1992 में जवाहरलाल नेहरू टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी से सिविल इंजीनियरिंग में बीटेक किया. इसके बाद NIT वारंगल से एमटेक में गोल्ड मेडल हासिल किया और IIT मद्रास से 2000 में PhD पूरी की. वर्तमान में वो वरिष्ठ प्रोफेसर है. 

नींव को की मजबूती प्रदान
इनता ही नहीं उन्होंने  बेस्ट वुमन जियोटेक्निकल रिसर्चर और 2022 में टॉप 75 वीमेन in STEAM का खिताब भी मिला. चिनाब ब्रिज के निर्माण के लिए यहां कि जमीन, जलवायु और दुर्गमता के चलते बड़ी मुसीबत हो रही थी. प्रो. लता की टीम ने 'डिजाइन-एज-यू-गो' मॉडल अपनाया यानी रियल-टाइम में जमीन की स्थिति देखकर डिजाइन में बदलाव करना. उन्होंने रॉक एंकर की एंट्री की और इस ब्रिज की नींव को मजबूती प्रदान की. 

कई बार बनाई गई इसकी डिजाइन
इन्होंने "इंडियन जियोटेक्निकल जर्नल" के महिला विशेषांक में एक पेपर प्रकाशित किया है जिसका शीर्षक हैं- “डिजाइन एज यू गो: द केस स्टडी ऑफ चिनाब रेलवे ब्रिज.” इस पेपर में बताया कि समय के अनुसार किस तरीके से चिनाब ब्रिज की डीजाइन बदलती गई, ताकि यहां के वातावरण, जमीन और भौगोलिक स्थिति के अनुसार इस ब्रिज फाइनल डिजाइन तैयार की गई. बता दें कि ये ब्रिज 359 मीटर है, यानी की आइफिल टावर से 35 मीटर ऊंचा हैं. इस ब्रिज को बनाने में 1486 करोड़ की लागत आई है. 

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