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सिंधु समझौते पर 'फर्जी कोर्ट' के जरिये धमकाने की कोशिश कर रहा था पाक, भारत ने निकाली हेकड़ी

एक बार फिर से भारत ने पाकिस्तान को तगड़ा झटका दिया है. पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर में किशनगंगा और रतले हाइड्रोइलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट्स पर आपत्ति जताई थी, जिसका भारत ने करारा जवाब दिया है.

सिंधु समझौते पर 'फर्जी कोर्ट' के जरिये धमकाने की कोशिश कर रहा था पाक, भारत ने निकाली हेकड़ी

Indus dispute

भारत ने एक बार फिर से आतंकियों के पनाह देने वाले पाकिस्तान की अक्ल ठिकाने लगा दी है. भारत ने शुक्रवार (27 जून 2025) को सिंधु जल संधि के तहत बनी मध्यस्थता कोर्ट को अवैध बताया और उसकी अधिकारिता को खारिज कर दिया. दरअसल पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर में किशनगंगा और रतले हाइड्रोइलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट्स को लेकर कोर्ट ऑफ ऑर्बेटेशन में शिकायत दर्ज की थी. इसके बाद कोर्ट को फैसले को नकारते हुए भारत ने इस कोर्ट को कानूनी अस्तित्व न होने का दावा किया है. 

अवैध कोर्ट
भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा कि यह तथाकथित कोर्ट अवैध है, क्योंकि इसका गठन 1960 की सिंधु जल संधि का उल्लंघन करके किया गया था. मंत्रालय ने कहा, "भारत ने कभी भी इसके अस्तित्व या इसके किसी भी पिछले फैसले को स्वीकार नहीं किया है. हमने कभी भी इस कोर्ट को कानूनी रूप से मान्यता नहीं दी है. इस कोर्ट की ओर से लिया गया कोई भी फैसला अवैध है."

जब तक सीमा पर आंतक तब तक...
विदेश मंत्रालय की तरफ से कहा गया है कि जब तक पाकिस्तान सीमा पर आंतक का समर्थन करना बंद नहीं कर देता तब इस संधि से जुड़े किसी भी दायित्व को नहीं माना जाएगा. बयान में आगे कहा गया कि किसी भी गैर-कानूनी अदालत को इस तरह से भारत के संप्रभु अधिकारों की समीक्षा करने का हक नहीं है.

पाक की सबसे बड़ी टेंशन
पाकिस्तान लंबे समय से भारत की किशननंगा और रतले हाइड्रोइलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट पर सवाल उठाता आया है. पाक का कहना है कि यह प्रोजेक्ट सिंधू जल संधि के विरुद्ध है और यहीं प्रोजेक्ट है जिसकी वजह से पाकिस्तान की टेंशन बढ़ी हुई हैं, क्योंकि इस प्रोजेक्ट के कराण पाक को मिलने वाला पानी प्रभावित होता है.  भारत का कहना है कि यह प्रोजेक्ट 'रन ऑफ द रीवर' टेक्नीक पर आधारित है, जो समझौतों के नियमों के हिसाब से पूरी तरह वैध है.

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