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यमन में फांसी की कगार पर भारतीय नर्स, शरिया कानून के तहत बच सकती है जान, जानें कैसे?

केरल की भारतीय नर्स निमिषा प्रिया, जो यमन में हत्या के आरोप में मौत की सजा का सामना कर रही हैं, की फांसी 16 जुलाई को तय है। सुप्रीम कोर्ट ने इस पर तत्काल सुनवाई के लिए 14 जुलाई की तारीख तय की है.

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यमन में फांसी की कगार पर भारतीय नर्स, शरिया कानून के तहत बच सकती है जान, जानें कैसे?

Nimisha Priya case

केरल की निवासी और पेशे से नर्स निमिषा प्रिया को यमन में 2017 में स्थानीय नागरिक तलाल अब्दो महदी की हत्या के आरोप में मौत की सजा सुनाई गई थी. उन पर आरोप है कि उन्होंने महदी को बेहोश करने के लिए दवा दी, जिससे उसकी मौत हो गई. बताया जा रहा है कि निमिषा ने यह कदम महदी से प्रताड़ना और पासपोर्ट वापस लेने के प्रयास में उठाया. 

सुप्रीम कोर्ट की तत्काल सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट ने इस संवेदनशील मामले में गुरुवार, 14 जुलाई को तत्काल सुनवाई करने की सहमति दे दी है. न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की अवकाशकालीन पीठ ने मामले को गंभीरता से लिया और अटॉर्नी जनरल को नोटिस जारी कर केंद्र सरकार से जवाब मांगा है. 

16 जुलाई को फांसी निर्धारित

सुनवाई की अहमियत इसलिए भी बढ़ जाती है क्योंकि निमिषा की फांसी की तारीख 16 जुलाई तय की गई है. ऐसे में अगली सुनवाई तक का हर दिन बेहद निर्णायक है. 

“खून के पैसे” से बच सकती है जान? 

याचिकाकर्ता पक्ष ने कोर्ट को बताया कि यमन में शरिया कानून के तहत "खून के पैसे" (Blood Money) का भुगतान कर पीड़ित परिवार से समझौता किया जा सकता है. अगर पीड़ित के परिजन यह धन स्वीकार कर लें, तो सजा को माफ किया जा सकता है. 

क्या है याचिका की मांग? 

"सेव निमिषा प्रिया एक्शन काउंसिल" द्वारा दायर याचिका में केंद्र सरकार को यह निर्देश देने की मांग की गई है कि वह राजनयिक माध्यमों से हस्तक्षेप कर पीड़ित परिवार से बातचीत करे और "रक्तदान" के माध्यम से निमिषा की सजा रुकवाए. 

हाईकोर्ट का पूर्व फैसला  

इससे पहले हाईकोर्ट ने केंद्र को खून के पैसे की बातचीत के लिए बाध्य नहीं किया, लेकिन कानूनी उपायों के जरिए मदद की सलाह दी थी. अब सुप्रीम कोर्ट के दखल से इस मामले में नया मोड़ आ सकता है. 

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