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एंटरटेनमेंट
वेव्स ओटीटी प्लेटफॉर्म पर लगातार दो महीनों तक नंबर 1 ट्रेंडिंग स्पॉट पर बनी 'सरपंच साहब' आपने अगर अब तक नहीं देखी तो समझ लें एक बेहतरीन सीरीज से आप चूक रहे हैं. शाहिद खान द्वारा निर्देशित ये सीरीज राजनीतिक ड्रामा से भरी ग्रामीण परिवेश की वो कहानी है जिससे आप खुद से कनेक्ट कर सकते हैं.
वेव्स ओटीटी प्लेटफॉर्म पर 30 अप्रैल, 2025 को रिलीज़ हुई वेब सीरीज़ सरपंच साहब को दर्शकों का काफ़ी ध्यान और सकारात्मक प्रतिक्रिया मिल रही है. शाहिद खान द्वारा निर्देशित यह ग्रामीण राजनीतिक ड्रामा, ग्रामीण जीवन के यथार्थवादी चित्रण, मनोरंजक कथानक और कलाकारों के शानदार अभिनय आपको पूरे समय इस सीरीज से बांधे रखेगा. 7 एपिसोड की राजनीतिक ड्रामा सीरीज ग्रामीण भारत की सियासत, सामाजिक बदलाव, और युवा सपनों की कहानी को इतने प्रभावशाली ढंग से पेश करती है कि पंचायत और दुपहिया जैसी लोकप्रिय ग्रामीण पृष्ठभूमि वाली सीरीज को भी पीछे छोड़ रही है.
कहानी
रामपुरा (काल्पनिक गांव) की ये सीरीज़ हमें शक्तिशाली और लंबे समय से ग्राम प्रधान रहे महेंद्र सिंह को अपने 30 साल के शासन को तब चुनौती मिलती है जब एक युवा कॉलेज स्नातक संजू अपने जीवन की कुछ घटनाओं के बाद व्यवस्था पर सवाल उठाने के लिए मजबूर होना पड़ता है. इसके बाद आता है गांव की राजनीति में खिंचाव. यह सीरीज़ संजू के सफ़र को दर्शाती है क्योंकि वह बदलाव लाने के लिए संघर्ष करता है और महेंद्र सिंह और उसके प्रतिद्वंद्वियों के प्रतिरोध का सामना करता है. कहानी सत्ता, भ्रष्टाचार और ग्रामीणों के संघर्षों और आकांक्षाओं की जटिलताओं को उजागर करती है.
क्यों देखें ये सीरीज
यथार्थवादी कहानी: "सरपंच साहब" ग्रामीण भारत के सामाजिक-राजनीतिक ताने-बाने की एक प्रामाणिक झलक पेश करता है, जो जमीनी कहानियों को पसंद करने वाले दर्शकों को पसंद आता है.
मज़बूत किरदार: इस शो में एक सुविकसित कलाकारों की टोली है, जिसमें महेंद्र सिंह के रूप में विनीत कुमार, संजू के रूप में अनुज सिंह ढाका, भूरी के रूप में सुनीता राजवार और एक ताज़ा, हल्के-फुल्के किरदार में पंकज झा शामिल हैं. हर किरदार गाँव की समृद्ध ताने-बाने में अपना योगदान देता है, अपने सपनों, संघर्षों और लचीलेपन को दर्शाता है.
हास्य और भावनाओं का संतुलन: गंभीर विषयों पर आधारित होने के बावजूद, यह शो एक आकर्षक लहजे को बनाए रखता है, जिसमें हास्य को मार्मिक भावनात्मक क्षणों के साथ मिलाया गया है.
पहली फिल्म की प्रतिभा: निर्देशक शाहिद खान ने फिल्म निर्माण के प्रति एक आत्मविश्वास और परिपक्व दृष्टिकोण दिखाया है, और अपनी पहली फिल्म में एक आकर्षक श्रृंखला पेश करके कई लोगों को आश्चर्यचकित कर दिया है.
सभी के लिए सुलभ: "सरपंच साहब" वेव्स ओटीटी पर मुफ्त में स्ट्रीम करने के लिए उपलब्ध है, जिससे यह व्यापक दर्शकों के लिए सुलभ हो गया है और इसकी व्यापक लोकप्रियता में योगदान दे रहा है.
हास्य और संवेदना का मिश्रण
सरपंच साहब की खासियत है इसका हास्य और संवेदना का शानदार मिश्रण. चुटीले संवाद और भावनात्मक पल कहानी को बोझिल नहीं होने देते. यह सीरीज गाँव की हकीकत को इतने विश्वसनीय ढंग से दिखाती है कि हर दर्शक इसे अपने से जोड़ लेता है. रामपुरा का हर किरदार – चाहे वह सत्ता में बैठा महेंद्र सिंह हो, बदलाव का सपना देखने वाला संजू हो, या आत्मसम्मान की लड़ाई लड़ती भूरी – भारतीय लोकतंत्र का प्रतीक बन जाता है.
शानदार कास्टिंग: किरदारों को जीवंत करने वाली टोली में कौन क्या किरदार निभाया है
कास्टिंग डायरेक्टर साबिर अली ने इस सीरीज के लिए ऐसी टोली चुनी है, जो हर किरदार को जीवंत कर देती है. हर अभिनेता का प्रदर्शन ऐसा है, मानो वे गाँव के असली लोग हों:
विनीत कुमार (महेंद्र सिंह): सत्ता और छल के किरदार को उन्होंने इतनी गंभीरता और गरिमा दी है कि उनकी आँखों से सियासत बोलती है.
पंकज झा: गंभीर किरदारों से हटकर यहाँ मज़ेदार रंग में नज़र आए, जो दर्शकों को खूब भाए.
सुनीता राजवार (भूरी): गाँव की सशक्त महिला के रूप में उनका अभिनय लंबे समय तक याद रहेगा.
अनुज सिंह ढाका (संजू): मासूमियत और विद्रोह का शानदार मिश्रण, जो युवा जोश को दर्शाता है.
युक्ति कपूर: राजनीति में महिला भागीदारी की प्रेरक तस्वीर पेश की.
नीरज सूद: एक ईमानदार शिक्षक के रूप में सरल लेकिन प्रभावशाली.
विजय पांडे (लठ्ठन): हास्य के ऐसे पल दिए, जो कहानी को हल्का नहीं, बल्कि और गहरा बनाते हैं.
बता दें कि यह सीरीज़ सिर्फ़ एक राजनीतिक ड्रामा नहीं है; यह ग्रामीण भारत के हृदय में मानवीय भावना, न्याय की लड़ाई और बेहतर कल की आशा पर एक टिप्पणी है. अगर आप एक दिलचस्प और विचारोत्तेजक फ़िल्म की तलाश में हैं, तो वेव्स ओटीटी पर "सरपंच साहब" निश्चित रूप से आपके समय के लायक है.
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