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सांस्कृतिक शिल्पकार भी थे सम्राट अशोक, करवाया था दुनिया के सबसे बड़े स्तूप का निर्माण, जानें अद्भुत कहानी

आज हम आपको दुनिया के सबसे बड़े स्तूप के बारे में बताने जा रहे हैं जो भारत में ही स्थित है. जानें कैसे आज भी केसरिया स्तूप बौद्ध काल के गौरवशाली अतीत की कहानी बयां कर रहा है...

जया पाण्डेय | Jul 30, 2025, 02:31 PM IST

1.दुनिया का सबसे बड़ा बौद्ध स्तूप है केसरिया

दुनिया का सबसे बड़ा बौद्ध स्तूप है केसरिया
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केसरिया स्तूप भारतीय संस्कृति और विरासत को दर्शाने वाली सबसे बेहतरीन और प्राचीन वास्तुकलाओं में से एक है. केसरिया स्तूप को दुनिया के सबसे बड़े बौद्ध स्तूप के रूप में जाना जाता है.

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2.सम्राट अशोक ने करवाया था केसरिया स्तूप का निर्माण

सम्राट अशोक ने करवाया था केसरिया स्तूप का निर्माण
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इस स्तूप का पहला निर्माण तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व में हुआ था. केसरिया स्तूप की परिधि लगभग 400 फीट (120 मीटर) है और इसकी ऊंचाई लगभग 104 फीट है. मूल केसरिया स्तूप का निर्माण सम्राट अशोक ने 250 ईसा पूर्व में करवाया था.

3.बिहार के चंपारण में स्थित है यह स्तूप

बिहार के चंपारण में स्थित है यह स्तूप
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केसरिया स्तूप बिहार के चंपारण जिले में स्थित है. भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने केसरिया स्तूप को राष्ट्रीय महत्व का संरक्षित स्मारक घोषित किया है. यह स्तूप दुनिया का सबसे बड़ा और सबसे ऊंचा बौद्ध स्तूप है.

4.किसने खोज निकाला था केसरिया स्तूप?

किसने खोज निकाला था केसरिया स्तूप?
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स्तूपों की खोज 19वीं शताब्दी के प्रारंभ में शुरू हुई थी और इसे 1814 में कर्नल मैकेंजी ने खोजा था. बाद में 1861-1862 में जनरल कनिंघम ने इसकी खुदाई की और 1998 में एएसआई की टीम का नेतृत्व केके मुहम्मद ने किया. 

5.बोरोबुदुर स्तूप से भी एक फीट ऊंचा है यह स्तूप

बोरोबुदुर स्तूप से भी एक फीट ऊंचा है यह स्तूप
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अपनी मूल ऊंचाई से काफी कम होकर 104 फीट ऊंचा होने के साथ यह जावा स्थित विश्व धरोहर स्थल प्रसिद्ध बोरोबुदुर स्तूप से एक फीट ऊंचा है. बिहार में 1934 में आए भूकंप से पहले केसरिया स्तूप 123 फीट ऊंचा था. वहीं ASI के मुताबिक यह स्तूप शुरुआत में 150 फीट ऊंचा था.

6.दो महान विदेशी यात्रियों ने किया था इस जगह का दौरा

दो महान विदेशी यात्रियों ने किया था इस जगह का दौरा
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सम्राट अशोक के स्तंभ का ऊपरी अवशेष यहां पाया गया है. दो महान विदेशी यात्रियों ह्वेन त्सांग और फाहियान ने भी इस जगह का दौरा किया और इसके बारे में काफी डिटेल्स भी लिखे हैं.

7.बौद्ध काल के गौरवशाली अतीत का प्रतीक है यह स्तूप

बौद्ध काल के गौरवशाली अतीत का प्रतीक है यह स्तूप
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केसरिया स्तूप बौद्ध काल के गौरवशाली अतीत का प्रतीक है. इसका आधार बहुभुज है और यह ऊपर से भी बहुभुज आकार के ईंटों से ढका हुआ है. जिन लोगों को पुरात्तव स्थलों में दिलचस्पी है, उनके लिए यह खासतौर से देखने लायक जगह है.

8.केसरिया स्तूप के निर्माण के पीछे क्या है कहानी?

केसरिया स्तूप के निर्माण के पीछे क्या है कहानी?
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इस स्तूप के पीछे यह कहानी है कि जब भगवान बुद्ध कुशीनगर जा रहे थे तो वह एक जिन के लिए केसरिया में ठहरे थे. बाद में इसी जगह पर सम्राट अशोक ने इस स्तूप का निर्माण करवाया था.

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