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Uttarkashi: कैसे सुरंग से बाहर आएंगे मजदूर, क्या हैं 6 प्लान जिन पर रेस्क्यू टीम कर रही काम?

उत्तराखंड के उत्तरकाशी में रेस्क्यू ऑपरेशन की रफ्तार धीमी हो गई है. बचावकर्मी अलग-अलग विकल्पों की तलाश में जुटे हैं.

Uttarkashi: कैसे सुरंग से बाहर आएंगे मजदूर, क्या हैं 6 प्लान जिन पर रेस्क्यू टीम कर रही काम?

उत्तरकाशी में युद्धस्तर से चल रहा है बचाव अभियान. (तस्वीर-PTI)

डीएनए हिंदी: उत्तराखंड के उत्तरकाशी में चल रहा रेस्क्यू ऑपरेशन धीमी रफ्तार से चल रहा है. सिल्क्यारा सुरंग के अंदर ऑगर मशीन टूटने की वजह से ड्रिलिंग के साथ-साथ कई दूसरे विकल्पों पर भी काम चल रहा है. रविवार को सुरंग में ऊर्ध्वाधर ड्रिलिंग शुरू की गई है. रेस्क्यू टीम 6 सूत्रीय योजनाओं पर काम कर रही है. अब NDRF के साथ-साथ भारतीय सेना भी रेस्क्यू ऑपरेशन में शामिल हो गई है. बीते 15 दिनों से चल रहे रेस्क्यू ऑपरेशन को लेकर पूरा देश चिंतित है.

NDRF के सदस्य लेफ्टिनेंट जनरल सैयद अता हसनैन (रिटायर्ड) ने रविवार को कहा कि निर्माणाधीन सुरंग में फंसे 41 श्रमिक स्वस्थ हैं और उन्हें भोजन और दवा मिल रही है. वे संचार लाइनों के जरिए अपने रिश्तेदारों के साथ लगातार संपर्क में हैं. बचाव दल और सभी एजेंसियां मिलकर सभी विकल्पों पर काम कर रही हैं. उर्ध्वाधर ड्रिलिंग की वजह से उम्मीद जगी है कि जल्द ही मजदूरों तक पहुंचा जा सकेगा.

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प्लान 1: ऑगर मशीन के टुकड़ों को निकालने के बाद क्षैतिज मैनुअल ड्रिलिंग
एनडीएमए सदस्य ने बताया कि योजना ए सबसे अच्छी होगी जिसमें ऑगर मशीन के टूटे हुए हिस्सों को निकालने के बाद मैन्युअल ड्रिलिंग की जाएगी. ऑगर मशीन फंस गई थी, अब उसके ब्लेड निकाले जा रहे हैं. भारतीय वायु सेना और की मदद से कुछ ऐसे उपकरण आए हैं जिनसे टूटे हिस्सों को निकालने में मदद मिलेगी.

ऑगर मशीन के सभी हिस्से सुरंग से बाहर आने के बाद मैन्युअल खुदाई शुरू हो जाएगी. यह एक सुरक्षित उपाय होगा लेकिन इसकी रफ्तार धीमी होगी. ऑगर मशीन सुरंग के अंदर 47 मीटर तक ड्रिल कर चुकी है. इसके बाद मैनुअल खुदाई शुरू होगी और बाकी 15 मीटर तक खुदाई की जाएगी. ड्रिलिंग खत्म होने के बाद, पहले 800 मिमी की पाइप लगाई जाएगी. अगर यह पाइप अंदर नहीं भेजी जा सकती है तो रेस्क्यू टीम 700 मिमी का पाइप लगाएगी.

प्लान 2: लंबवत ड्रिलिंग
वर्टिकल ड्रिलिंग की योजना बी पहले ही शुरू हो चुकी है और 86 मीटर के लक्ष्य में से 15 मीटर पूरा हो चुका है. यह कार्य सतलुज जल विद्युत निगम द्वारा किया जा रहा है. अगर यह सफल रहा तो मजदूरों को एक-एक करके ट्रॉलियों का रस्सी के सहारे खींच लिया जाएगा. विशेषज्ञों के मुताबिक यह दूसरा सबसे अच्छा विकल्प है.

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प्लान 3: बगल में ड्रिलिंग
बचावकर्मियों की तीसरी योजना किनारे पर ड्रिलिंग करने की है लेकिन इस पर काम अभी तक शुरू नहीं हुआ है क्योंकि इसके लिए आवश्यक उपकरण साइट पर नहीं पहुंचे हैं.

प्लान 4: ONGC बड़कोट की ओर से लंबवत ड्रिलिंग
रविवार को शुरू हुई ऊर्ध्वाधर ड्रिलिंग सुरंग की तरफ है, वहीं रेस्क्यू टीम सुरंग के दूसरी तरफ भी ऐसा करने की योजना बना रही है. बड़कोट के किनारे कुल 24 इंच की वर्टिकल ड्रिलिंग होनी है, जिसके लिए BRO द्वारा 5 किमी लंबी सड़क बनाई जा रही है. इसे एक विकल्प के तौर पर तैयार किया गया है.

प्लान 5: बड़कोट की तरफ ब्लास्टिंग
NDMA सदस्य ने बताया कि रविवार सुबह सुरंग के बड़कोट की तरफ ब्लास्टिंग की गई और 10-12 मीटर का क्षेत्र खाली हुआ है.

प्लान 6: बहाव तकनीक
लेफ्टिनेंट जनरल सैयद अता हसनैन (रिटायर्ड) ने कहा कि 6वीं योजना में ड्रिफ्ट तकनीक शामिल है जिसमें सुरंग के किनारों को कम करने पर जोर दिया जाएगा. सेना के इंजीनियर इस पर नजर रख रहे हैं. रेस्क्यू में अभी और वक्त लग सकता है.

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