Dark Lips Remedy: स्मोकिंग ही नहीं, शरीर में इन पोषक तत्वों की कमी से भी हो जाते हैं होंठ काले
Tooth Pain: दांतों के दर्द को यूं ही न करें नजरअंदाज, पड़ सकते हैं लेने के देने, जानें कैसे?
Numerology: स्मार्ट और अट्रैक्टिव होते हैं इन मूलांक के लड़के, आसानी से जीत लेते हैं लड़कियों का दिल
Bigg Boss 19 Teaser: फुल स्वैग में लौटे सलमान खान, जानें कब-कहां शुरू होगा नया सीजन, नोट कर लें डेट
डीएनए एक्सप्लेनर
Donald Trump Tariff for BRICS: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत, चीन, रूस समेत 11 देशों के BRICS गठबंधन को अमेरिकी हितों के खिलाफ बताया है. उन्होंने इस गठबंधन में शामिल देशों का सामान अमेरिका आने पर 10% का एक्स्ट्रा टैरिफ लगाने का ऐलान किया है. इसे भारत के लिए बेहद चिंताजनक माना जा रहा है.
Donald Trump Tariff for BRICS: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) ने 'टैरिफ वॉर' की आड़ में अपने विरोधी गठबंधनों को ठिकाने लगाने की भी कोशिश शुरू कर दी है. इसके चलते उन्होंने उन समूहों पर शिकंजा कसना शुरू किया है, जिनमें चीन और रूस मौजूद हैं. ट्रंप ने BRICS पर भी 10% का एक्स्ट्रा टैरिफ लगाने का ऐलान किया है, जिसमें भारत, चीन और रूस समेत 11 देश मौजूद हैं. इनमें भारत समेत कई देश अमेरिका के करीबी सहयोगी भी हैं. ट्रंप ने ब्रिक्स को अमेरिकी हितों के खिलाफ बताया है. ऐसे में माना जा रहा है कि इसके सदस्य देशों के माल पर एक्स्ट्रा टैरिफ लगाने की घोषणा अपरोक्ष रूप से उन देशों को यह गठबंधन छोड़ने का इशारा है. ट्रंप ने यह ऐलान ऐसे वक्त में किया है, जब भारत-अमेरिका के बीच ट्रेड डील (India-US Trade Deal) को आखिरी मोड़ पर माना जा रहा है. खुद ट्रंप भी यह बात कह चुके हैं कि जल्द ही दोनों देशों के बीच डील फाइनल हो जाएगी. ऐसे में ट्रंप का ब्रिक्स देशों के खिलाफ उठाया गया यह कदम भारत के लिए कई तरह की मुश्किल खड़ी करने वाला है.
आइए 5 पॉइंट्स में समझते हैं कि भारत पर इसका क्या असर होगा-
1. BRICS की रियो समिट से भड़के हैं ट्रंप
BRICS देशों के इसी महीने ब्राजील की राजधानी रियो डि जनेरियो में हुए सम्मेलन में कई संकल्प लिए गए हैं. इन संकल्पों में अमेरिका का जिक्र नहीं है, लेकिन इसके बावजूद इन घोषणाओं से डोनाल्ड ट्रंप भड़क गए हैं. दरअसल इस घोषणा में टैरिफ बढ़ोतरी से ग्लोबल व्यापार के पटरी से उतरने की बात कही गई है. साथ ही ग्लोबल गवर्नेंस को बदलने का संकल्प लिया गया है. इन दोनों घोषणाओं का मतलब है कि अमेरिका की 'ग्लोबल दादागिरी' पर शिकंजा कसना. साथ ही इसमें एकतरफा आर्थिक उपायों को चुनौती दी गई है. यह भी अमेरिका के प्रभुत्व के खिलाफ कदम माना जा रहा है.
2. डॉलर की कीमत प्रभावित करेगी भारतीय हित
अमेरिकी डॉलर वर्ल्ड ट्रेड सिस्टम की रीढ़ रहा है. अमेरिका इसे हथियार की तरह इस्तेमाल करता रहा है. ईरान को साल 2012 और रूस को 2022 में इसकी मदद से अमेरिका अलग-थलग करके ताकत दिखा चुका है. अमेरिका की इस 'दादागिरी' से निकलने के लिए BRICS देशों ने करेंसी अल्टरनेटिव का प्रस्ताव रखा है. चीन और रूस लंबे समय से डॉलर को बायपास करने वाले नए फाइनेंशियल सिस्टम की वकालत करते रहे हैं. डोनाल्ड ट्रंप इसे ही अमेरिका के लिए खतरे की तरह देख रहे हैं. उन्होंने अपनी घोषणा में साफ कहा कि डॉलर किंग था और किंग ही रहेगा. एक्सपर्ट्स का मानना है कि डॉलर को और ज्यादा मजबूत करने के लिए ट्रंप कई सख्त कदम उठा सकते हैं. ऐसा हुआ तो भारत पर इसका बड़ा असर पड़ेगा, जिसे बड़े पैमाने पर कच्चा तेल और सोना खरीदने के लिए डॉलर की जरूरत पड़ती है. डॉलर के मजबूत होने पर भारतीय रूपया कमजोर होगा, जिससे आयात महंगा होगा और निर्यात पर कम विदेशी मुद्रा मिलेगी. यह स्थिति भारतीय अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाएगी.
3. कूटनीतिक मोर्चे पर भी भारत के लिए बनेगा चुनौती
भारत के लिए कूटनीतिक मोर्चे पर भी डोनाल्ड ट्रंप का यह रुख बड़ी चुनौती बनेगा. अमेरिका और भारत के रिश्तों में पिछले कुछ सालों के दौरान बेहद नजदीकी आई है. आर्थिक से लेकर सामरिक स्तर तक, दोनों देशों में सहयोग बढ़ा है. इसके उलट BRICS में एकतरफ भारत का रणनीतिक व सामरिक प्रतिद्वंद्वी चीन मौजूद है, जिसके साथ भारत का लंबे समय से सीमा विवाद है. कोई भी विरोधी कदम दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ा सकता है. दूसरी तरफ BRICS में भारत का पुराना रक्षा व ऊर्जा सहयोगी रूस मौजूद है, जिससे मिलने वाले उपकरणों पर आज भी भारतीय सेना बड़े पैमाने पर निर्भर है. भारत के लिए अब इन तीनों देशों के साथ कूटनीतिक संतुलन बनाए रखने की चुनौती पैदा हो गई है.
4. भारत के लिए बेहद अहम है यूएस से ट्रे़ड डील
भारत के लिए यूएस के साथ ट्रेड डील बेहद अहम है. यदि अमेरिका अपने यहां भारत से आने वाले उत्पादों पर टैरिफ बढ़ाता है तो इसका सीधा सा असर टेक्सटाइल, फार्मास्यूटिकल्स और इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी सेक्टर पर पड़ेग, जो भारत-अमेरिका द्विपक्षीय व्यापार में अहम भूमिका निभाते हैं. एक्सपर्ट्स के मुताबिक, दिल्ली दोनों तरफ से 10% के समान टैरिफ पर समझौते के लिए तैयार है, लेकिन दोनों के बीच वार्ता की मेज पर 26% तक टैरिफ को लेकर कशमकश है. खासतौर पर कृषि और डेयरी उत्पादों को लेकर दोनों देशों में सहमति नहीं बन रही है. भारत के लिए चिंता की बात वियतनाम का उदाहरण है, जिसके साथ अमेरिका का लंबे समय से चला आ रहा Free TRade Agreement ट्रंप ने एक झटके में खत्म कर दिया है.
5. क्या करना चाहिए अभी भारत को?
फॉरेन पॉलिसी से जुड़े कई एक्सपर्ट्स ने भारत को अभी शांति बनाए रखने के लिए कहा है. इन एक्सपर्ट्स का मानना है कि भारत को ट्रंप और BRICS के बीच तनाव में कोई भी रिएक्शन देने के बजाय फिलहाल 'देखो' की नीति अपनानी चाहिए. इनमें से कुछ का मानना है कि ट्रंप का आक्रामक रुख खुद बैकफायर कर सकता है. ऐसे में भारत को अभी कुछ करने की जरूरत नहीं है. भारतीय नेतृत्व को अभी सारा ध्यान अमेरिका के साथ डील पर लगाना चाहिए. इस बीच वैश्विक परिदृश्य ज्यादा स्पष्ट हो जाएगा और तब भारत को आगामी कदम तय करने चाहिए.
अपनी राय और अपने इलाके की खबर देने के लिए हमारे गूगल, फेसबुक, x, इंस्टाग्राम, यूट्यूब और वॉट्सऐप कम्युनिटी से जुड़ें.