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Delhi Mayor: डेढ़ महीने में ही दिल्ली को मिलेगा नया मेयर, समझिए क्या है इसकी वजह

MCD Mayor Election: दिल्ली में एक बार फिर से नगर निगम के मेयर का चुनाव होना है. शैली ओबेरॉय को मेयर बने हुए अभी डेढ़ महीने ही हुए हैं.

Delhi Mayor: डेढ़ महीने में ही दिल्ली को मिलेगा नया मेयर, समझिए क्या है इसकी वजह

MCD Mayor Election

डीएनए हिंदी: दिल्ली नगर निगम (Delhi Municipal Corporation) के चुनावों के नतीजे 7 दिसंबर 2022 को आए थे. कई बार हंगामे के बाद मेयर के चुनाव हो पाए और 22 फरवरी 2023 को आम आदमी पार्टी की शैली ओबेरॉय एमसीडी की मेयर (MCD Mayor) चुनी गईं. उनके मेयर बने डेढ़ महीने भी नहीं हुए हैं कि अब फिर से मेयर के चुनाव होने वाले हैं. आम आदमी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी की आपसी खींचतान को देखते हुए एक फिर आशंका जताई जा रही है कि मेयर के चुनाव में दोबारा जोरदार हंगामा होने वाला है.

अब यहां सबसे बड़ा सवाल यह है कि आखिरी इतने हंगामे के बाद हुए मेयर चुनाव के डेढ़ महीने बाद ही फिर से चुनाव क्यों होंगे? दिल्ली नगर निगम की अहमियत को देखते हुए बीजेपी और AAP के लिए भी यह लड़ाई काफी अहम होने वाली है. जहां AAP सबसे ज्यादा सीटें जीतकर अपना ही मेयर चाहती है, वहीं बीजेपी भी कैसे भी करके दिल्ली में मेयर की सीट पर अपना कब्जा वापस लेना चाहती है. आइए समझते हैं कि पूरा खेल क्या है...

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दिल्ली में हर साल बदलते हैं मेयर
आमतौर पर कोई भी मुख्यमंत्री या प्रधानमंत्री 5 साल के लिए चुना जाता है. दिल्ली नगर निगम में ऐसा नहीं होता है. नगर निगम में पांच साल में पांच मेयर बनते हैं और हर साल अप्रैल के महीने में मेयर का चुनाव होना होता है. इसी के तहत शैली ओबेरॉय का कार्यकाल खत्म हो जाएगा और दिल्ली को अपने नए मेयर का चुनाव करना होगा. इसी प्रक्रिया जल्द ही शुरू की जा सकती है. 

दिल्ली म्युनिसिपिल कॉर्पोरेशन ऐक्ट के मुताबिक, हर बार जब 1 अप्रैल को एमसीडी के सदन की कार्यवाही शुरू होती है तो मेयर, डिप्टी मेयर और 6 सदस्यों वाली स्टैंडिंग कमेटी का चुनाव होता है. हालांकि, बीती घटनाओं के चलते इस बार स्टैंडिंग कमेटी का चुनाव नहीं होगा. दिल्ली में अगले मेयर का चुनाव कराने का काम मौजूदा मेयर का होता है क्योंकि वह पीठासीन अधिकारी होता है. वही चुनाव की तारीख करता है जिसे दिल्ली सरकार को और फिर उपराज्यपाल को भेजा जाता है. मंजूरी के बाद अधिसूचना जारी कर दी जाती है.

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कौन बनेगा मेयर?
सूत्रों के हवाले से AAP एक बार फिर से शैली ओबेरॉय को ही चुनाव में उतारेगी. ऐसी स्थिति में पीठासीन अधिकारी कौन होगा इस पर सवाल है. नियमों के मुताबिक, अगर मेयर खुद चुनाव लड़ता है तो वह पीठासीन अधिकारी की भूमिका नहीं निभा सकता. अब उपराज्यपाल फैसला करेंगे कि पीठासीन अधिकारी कौन होगा. आपको यह भी बता दें कि एमसीडी के मेयर के लिए पहले साल का पद महिला के लिए तो दूसरे साल के लिए जनरल कैटगरी के लिए आरक्षित होता है.

क्यों नहीं होगा स्टैंडिंग कमेटी का चुनाव?
नियमों के मुताबिक, मेयर और डिप्टी मेयर के चुनाव के साथ ही स्टैंडिंग कमेटी का भी चुनाव होना चाहिए लेकिन इस साल ऐसा नहीं होगा. दरअसल, 6 सदस्यों की इस कमेटी के चुनाव हो चुके हैं और दिल्ली हाई कोर्ट ने इनके नतीजों पर रोक लगा रखी है. इस पर अगली सुनवाई 24 अप्रैल तक के लिए स्थगित की गई है. ऐसे में कोर्ट से कोई फैसला आए बिना स्टैंडिंग कमेटी का चुनाव हो नहीं सकता और मेयर का चुनाव अब टाले जाने की उम्मीद बहुत ही कम है.

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