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Weather Updates: क्यों नहीं पड़ी चिलचिलाती गर्मी, नहीं चली झुलसाने वाली लू, क्या जलवायु परिवर्तन का है असर? पढ़ें 5 पॉइंट्स

Weather Updates: भारतीय उपमहाद्वीप का मौसम पिछले कुछ साल से अजब नजारे दिखा रहा है. इस साल सर्दियां भी देर से आईं और अहसास देने से पहले ही खत्म हो गई थीं. गर्मी का भी हाल कुछ ऐसा ही दिख रहा है. इसके लिए जलवायु परिवर्तन को जिम्मेदार माना जा रहा है.

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Weather Updates: क्यों नहीं पड़ी चिलचिलाती गर्मी, नहीं चली झुलसाने वाली लू, क्या जलवायु परिवर्तन का है असर? पढ़ें 5 पॉइंट्स

Weather Updates: हर साल मई और जून का महीना उत्तर भारत में झुलसाने वाली लू के थपेड़ों और हीटवेव (Heat Wave) से जूझते हुए निकलती है, जिसमें आदमी चिलचिलाती गर्मी के चलते केवल पसीना ही पोंछता हुआ दिखाई देता है. लेकिन साल 2025 में कुछ अलग ही नजारा दिखा है. एकतरफ मौसम विज्ञानी फरवरी-मार्च में ही भीषण गर्मी की शुरुआत होने की चेतावनी दे रहे थे, दूसरी तरफ गर्मी कब आई और कब चली गई, इसका अहसास ही नहीं हो सका है. एकतरफ देश में इस बार मानसून की एंट्री तय समय से 8 दिन पहले ही हो गई है. ऐसे में पूरे देश में प्री-मानसूनी बारिश और तूफानों के दौर के कारण मौसम गर्म ही नहीं हो पा रहा है, वहीं दूसरी तरफ पहाड़ों पर जून के महीने में बर्फबारी और ओलावृष्टि ने हैरानी में डाल रखा है. वैज्ञानिक इसके लिए कई तरह के मौसमी प्रभावों को जिम्मेदार बता रहे हैं, जिन्होंने उत्तर भारत को अपनी चपेट में ले रखा है.

चलिए आपको 5 पॉइंट्स में समझाते हैं कि इस बार गर्मी क्यों नहीं पड़ी है-

1. मई महीने में तापमान में गिरावट के 125 साल के रिकॉर्ड टूटते दिखे
साल 2025 के मई महीने में भीषण लू और हीटवेव चलने के बजाय उल्टा ठंडी हवाएं बहती दिखाई दी हैं. यदि देश की राजधानी दिल्ली का ही उदाहरण लें तो पिछले 125 साल के कई रिकॉर्ड टूटने की नौबत आ गई. भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के मुताबिक, इस बार मई का औसत अधिकतम तापमान 35.08 डिग्री सेल्सियस रहा. यह साल 1917 में आंके गए एक सदी के सबसे कम अधिकतम तापमान 33.09 डिग्री सेल्सियस से थोड़ा ही ज्यादा था. 1920, 1933, 1971, 1977 और 2021 में भी मई महीने का तापमान 35 डिग्री सेल्सियस से नीचे था. इसके साथ ही रात के लिहाज से भी इस बार मई 59वां सबसे ठंडा महीना रहा है. 

2. रिकॉर्डतोड़ बारिश ने नहीं होने दी गर्मी
IMD के मुताबिक, इस साल मई में दिल्ली में 126.7 mm बारिश दर्ज हुई. यह औसत से बहुत ज्यादा है. बारिश ने 125 साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया. 1901 के बाद यह मई के महीने में हुई सबसे ज्यादा बारिश है. तापमान में कमी बने रहने का एक कारण यह भी माना जा रहा है, क्योंकि लगातार बारिश से जहां धरती से गर्मी नहीं निकली, वहीं आसमान में बादलों के छाए रहने से तेज धूप नीचे आकर गर्मी का कारण नहीं बन सकी.

3. सर्कुलेशन पैटर्न और वेस्टर्न डिस्टर्बेंस बने कारण
मौसम विज्ञानियों के मुताबिक, इस बार उत्तर भारत में एटमोसफेरिक सर्कुलेशन पैटर्न बना रहा, जिससे हवाओं का रुख अलग तरह का रहा. सर्दियों में प्रभावी होने वाला वेस्टर्न डिस्टर्बेंस भी मई महीने के आखिर तक एक्टिव बना रहा. अरब सागर से उठकर आने वाली नम हवाओं ने भी वातावरण को प्रभावित किया. इन सारे फेक्टर्स के कारण पहले के मुकाबले ज्यादा आंधी-तूफान आए और बार-बार बारिश हुई. इसके चलते भी मई का महीना पिछले सालों के मुकाबले ज्यादा ठंडा रहा है. 

4. नौतपा में भी नहीं गर्म हो पाया वातावरण
गर्मी के सीजन में सबसे अहम नौतपा को माना जाता है, जब 9 दिन तक वातावरण बुरी तरह गर्म हो जाता है. इसे मानसूनी बारिश से लेकर कीड़े-मकोड़ों के खात्मे और फसलों तक के लिए अच्छा माना जाता है. इस बार नौतपा 23 मई से शुरू हुआ था, लेकिन पूरे उत्तर भारत में लगातार आंधी-तूफान के कारण नौतपा में भी मौसम बहुत ज्यादा गर्म नहीं हो सका. इसे वैज्ञानिक अच्छा संकेत नहीं मान रहे हैं.

5. पिछले साल और इस बार का अंतर है चिंताजनक
साल 2024 में मई के महीने मे लगातार हीटवेव के कारण तापमान करीब 50 डिग्री सेल्सियस था. इससे नदी-तालाब सूखने लगे थे और कई राज्यों में सूखे जैसे हालात बन गए थे. इसके चलते साल 2024 को मानव इतिहास के सबसे गर्म साल की कैटगरी में शामिल किया गया था. इसके उलट इस बार मई का महीना बहुत ठंडा रहा है. इसे मौसम विज्ञानी बेहद चिंताजनक मान रहे हैं. उन्होंने इस अंतर के आधार पर दावा किया है कि ग्लोबल वार्मिंग के कारण जलवायु परिवर्तन का चक्र अब पहले से भी ज्यादा तेज हो गया है. 

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