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डीएनए मनी
सोमवार को रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रिकॉर्ड निचले स्तर 86.62 पर बंद हुआ. यह गिरावट पिछले दो वर्षों में एक दिन की सबसे बड़ी मानी जा रही है. इसका असर भारतीय अर्थव्यवस्था और आम आदमी के जीवन पर सीधा पड़ सकता है.
सोमवार को भारतीय मुद्रा में भारी गिरावट देखने को मिली. रुपया 58 पैसे की गिरावट के साथ 86.62 के नए रिकॉर्ड निचले स्तर पर बंद हुआ. यह दो वर्षों में एक दिन की सबसे बड़ी गिरावट मानी जा रही है. करेंसी मार्केट में रुपया 86.12 पर खुला और दिनभर नकारात्मक दायरे में रहा. डॉलर इंडेक्स की मजबूती, विदेशी निवेशकों की बेरुखी और कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों जैसे कई कारण इस गिरावट के लिए जिम्मेदार हैं.
पिछले एक दशक में गिरावट का आंकड़ा
अप्रैल 2014 में डॉलर के मुकाबले रुपया 60.32 के स्तर पर था. वहीं, जनवरी 2025 में यह 86.62 के स्तर पर पहुंच चुका है. इस दौरान रुपए की कीमत में लगभग 43.60% की गिरावट दर्ज की गई है. पिछले एक महीने में ही रुपए की कीमत में करीब 2% की गिरावट हुई है, जो चिंता का विषय है.
डॉलर की मजबूती के कारण
आम आदमी पर असर
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आम आदमी के लिए भी चुनौतियां
रुपए की गिरावट न केवल भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए बल्कि आम आदमी के लिए भी चुनौतियां बढ़ा रही है. आने वाले समय में यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि सरकार और रिजर्व बैंक इस स्थिति से निपटने के लिए क्या कदम उठाते हैं.
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