भारत
अपने एक लेख में सोनिया गांधी ने नरेंद्र मोदी सरकार पर इजरायल के साथ एक स्वतंत्र फिलिस्तीन की परिकल्पना वाले शांतिपूर्ण द्वि-राष्ट्र समाधान के प्रति भारत की दीर्घकालिक और सैद्धांतिक प्रतिबद्धता को त्यागने का आरोप लगाया है.
कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने शनिवार को गाजा और ईरान में इजरायल की तबाही पर भारत की चुप्पी की कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि यह 'न केवल उसकी आवाज का नुकसान है, बल्कि मूल्यों का भी समर्पण है'. अपने एक लेख में सोनिया ने नरेंद्र मोदी सरकार पर आरोप लगाया कि वह इजरायल के साथ एक स्वतंत्र फिलिस्तीन की कल्पना करते हुए शांतिपूर्ण दो-राष्ट्र समाधान के लिए भारत की दीर्घकालिक और सैद्धांतिक प्रतिबद्धता को त्याग रही है. लेख में गांधी ने अमेरिका के अंतहीन युद्धों के खिलाफ बोलने के बाद पश्चिम एशिया में 'विनाशकारी रास्ते' पर चलने के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की भी आलोचना की.
कांग्रेस नेता ने 'द हिंदू' में अपने लेख में कहा, 'गाजा में तबाही और अब ईरान के खिलाफ बिना उकसावे के बढ़ते तनाव पर नई दिल्ली की चुप्पी हमारी नैतिक और कूटनीतिक परंपराओं से विचलित करने वाली विदाई को दर्शाती है. यह न केवल आवाज का नुकसान है, बल्कि मूल्यों का भी समर्पण है.'
अपने लेख में सोनिया ने जोर देकर इस बात को कहा कि,'अभी भी बहुत देर नहीं हुई है. भारत को स्पष्ट रूप से बोलना चाहिए, जिम्मेदारी से काम करना चाहिए और तनाव को कम करने तथा पश्चिम एशिया में बातचीत की वापसी को बढ़ावा देने के लिए उपलब्ध हर कूटनीतिक चैनल का उपयोग करना चाहिए.'
उन्होंने यह भी कहा कि इस मानवीय आपदा के सामने, 'नरेंद्र मोदी सरकार ने शांतिपूर्ण दो-राज्य समाधान के लिए भारत की दीर्घकालिक और सैद्धांतिक प्रतिबद्धता को लगभग त्याग दिया है, जो एक संप्रभु, स्वतंत्र फिलिस्तीन की कल्पना करता है जो आपसी सुरक्षा और सम्मान के साथ इजरायल के साथ कंधे से कंधा मिलाकर रह रहा है.'
सोनिया गांधी ने कहा कि 13 जून, 2025 को, दुनिया ने एक बार फिर,'एकतरफा सैन्यवाद के खतरनाक परिणामों को देखा है, जब इजरायल ने ईरान और उसकी संप्रभुता के खिलाफ एक बेहद परेशान करने वाला और गैरकानूनी हमला किया'.
उन्होंने कहा कि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने ईरानी धरती पर इन बम विस्फोटों और लक्षित हत्याओं की निंदा की है, जो गंभीर क्षेत्रीय और वैश्विक परिणामों के साथ एक खतरनाक वृद्धि का प्रतिनिधित्व करता है.
सोनिया के अनुसार, 'इजरायल की हाल की कई कार्रवाइयों की तरह, जिसमें गाजा में उसका क्रूर और असंगत अभियान भी शामिल है, इस ऑपरेशन को नागरिकों के जीवन और क्षेत्रीय स्थिरता की पूरी तरह से अनदेखी करते हुए अंजाम दिया गया. ये कार्रवाइयां केवल अस्थिरता को बढ़ाएंगी और आगे संघर्ष के बीज बोएंगी.'
गांधी ने यह भी आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के नेतृत्व में मौजूदा इज़रायली नेतृत्व का 'शांति को कमजोर करने और चरमपंथ को बढ़ावा देने का एक लंबा और दुर्भाग्यपूर्ण रिकॉर्ड है'. उन्होंने आरोप लगाया कि रिकॉर्ड को देखते हुए,'यह आश्चर्य की बात नहीं है कि नेतन्याहू ने संलग्नता के बजाय तनाव को बढ़ावा देने का विकल्प चुना'.
अमेरिकी राष्ट्रपति का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि 17 जून को ट्रंप का बयान जिसमें उन्होंने अपने ही खुफिया प्रमुख के आकलन को खारिज कर दिया और दावा किया कि ईरान परमाणु हथियार हासिल करने के 'बहुत करीब था, 'बेहद निराशाजनक' है. उन्होंने कहा, 'दुनिया को ऐसे नेतृत्व की उम्मीद और जरूरत है जो तथ्यों पर आधारित हो और कूटनीति से प्रेरित हो, न कि बल या झूठ से.'
गांधी ने कहा कि ईरान भारत का पुराना मित्र रहा है और हमारे साथ गहरे सभ्यतागत संबंधों से बंधा हुआ है. उन्होंने कहा, 'जम्मू और कश्मीर सहित महत्वपूर्ण मोड़ों पर इसका दृढ़ समर्थन का इतिहास रहा है. 1994 में, ईरान ने कश्मीर मुद्दे पर मानवाधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र आयोग में भारत की आलोचना करने वाले प्रस्ताव को रोकने में मदद की थी.'
लेख में सोनिया ने इस बात का भी जिक्र किया कि, 'वास्तव में, इस्लामी गणराज्य ईरान अपने पूर्ववर्ती, शाही राज्य ईरान की तुलना में भारत के साथ बहुत अधिक सहयोगी रहा है, जो 1965 और 1971 के युद्धों में पाकिस्तान की ओर झुका था.'
हाल के दशकों में भारत-इज़राइल रणनीतिक संबंधों का उल्लेख करते हुए, उन्होंने कहा, 'यह अनूठी स्थिति हमारे देश को नैतिक जिम्मेदारी और कूटनीतिक लाभ देती है ताकि तनाव कम करने और शांति के लिए एक पुल के रूप में कार्य किया जा सके.'
'यह केवल एक अमूर्त सिद्धांत नहीं है. लाखों भारतीय नागरिक पश्चिम एशिया में रह रहे हैं और काम कर रहे हैं, जो इस क्षेत्र में शांति को राष्ट्रीय हित का महत्वपूर्ण मुद्दा बनाता है.
गांधी ने कहा, 'ईरान के खिलाफ इजरायल की हालिया कार्रवाई दंड से मुक्ति के माहौल में हुई है, जो शक्तिशाली पश्चिमी देशों से लगभग बिना शर्त समर्थन द्वारा सक्षम है.'
लेख में सोनिया ने यह भी कहा कि जबकि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस 7 अक्टूबर, 2023 को हमास द्वारा किए गए 'बिल्कुल भयानक और पूरी तरह से अस्वीकार्य हमलों की स्पष्ट रूप से निंदा करती है, 'हम इजरायल की भयावह और असंगत प्रतिक्रिया के सामने चुप नहीं रह सकते.
उन्होंने कहा, '55,000 से अधिक फिलिस्तीनियों ने अपनी जान गंवा दी है. पूरे परिवार, पड़ोस और यहां तक कि अस्पताल भी नष्ट हो गए हैं. गाजा अकाल के कगार पर खड़ा है, और इसकी नागरिक आबादी अकल्पनीय कठिनाई से पीड़ित है.'