भारत
केंद्र ने इस वर्ष मानसून के दौरान बाढ़ और भूस्खलन से प्रभावित छह राज्यों के लिए 1,066 करोड़ रुपये से अधिक की सहायता राशि स्वीकृत की है.जिन छह राज्यों को सरकार से वित्तीय सहायता मिलेगी वे हैं उत्तराखंड, असम, केरल, मणिपुर, मेघालय और मिजोरम.
केंद्र सरकार ने इस वर्ष मानसून के दौरान बाढ़ और भूस्खलन से प्रभावित छह राज्यों के लिए 1,066 करोड़ रुपये से अधिक की सहायता राशि स्वीकृत की है.बताया जा रहा है कि यह धनराशि राज्य आपदा प्रतिक्रिया कोष (एसडीआरएफ) के अंतर्गत केंद्र के हिस्से के रूप में जारी की गई है. ध्यान रहे कि उत्तराखंड को सबसे अधिक 455.60 करोड़ रुपये, असम को 375.60 करोड़ रुपये और केरल को 153.20 करोड़ रुपये मिलेंगे. मणिपुर, मेघालय और मिज़ोरम को क्रमशः 29.20 करोड़ रुपये, 30.40 करोड़ रुपये और 22.80 करोड़ रुपये मिलेंगे.
गृह मंत्रालय ने कहा कि केंद्र प्राकृतिक आपदाओं के दौरान राज्यों की मदद के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है. मंत्रालय ने कहा है कि, 'प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के मार्गदर्शन में, सरकार संकट के समय सभी राज्यों के साथ मजबूती से खड़ी है.'
गौरतलब है कि इस वर्ष अब तक केंद्र सरकार ने एसडीआरएफ से 14 राज्यों को 6,166 करोड़ रुपये और राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया कोष (एनडीआरएफ) से 12 राज्यों को 1,988.91 करोड़ रुपये जारी किए हैं. आपदा न्यूनीकरण कोष से भी अतिरिक्त धनराशि दी गई है.
वित्तीय सहायता के अलावा, सरकार ने ज़मीनी स्तर पर भी मदद प्रदान की है, बचाव और राहत कार्यों के लिए एनडीआरएफ की टीमें, सेना की इकाइयां और वायु सेना की सहायता भेजी है. वर्तमान में 21 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 100 से ज़्यादा एनडीआरएफ टीमें तैनात हैं.
वहीं भारतीय सेना ने भी ऑपरेशन जल राहत-2 के तहत पूर्वोत्तर में लोगों की सहायता के लिए कदम बढ़ाया है. अब तक असम, मणिपुर और नागालैंड में 40 राहत टीमें तैनात की जा चुकी हैं और लगभग 3,820 लोगों को बचाया जा चुका है.
असम के ऊपरी ज़िलों में, गोलाघाट में धनसिरी नदी के खतरे के स्तर को पार करने के बाद राहत अभियान शुरू कर दिया गया. नागालैंड में, दीमापुर के उपायुक्त ने सबसे बुरी तरह प्रभावित इलाकों में से एक, सिंगरिजन कॉलोनी में बाढ़ राहत प्रदान करने के लिए सेना की सहायता मांगी. एक इंजीनियर टास्क फोर्स (ईटीएफ) को तुरंत तैनात किया गया.
मणिपुर भी अलर्ट पर है, इम्फाल पश्चिम और बिष्णुपुर जिलों में नाम्बोल नदी का जलस्तर खतरे के निशान को पार कर गया है.
भोजन, पानी और चिकित्सा सहायता उपलब्ध कराई जा रही है, और बाढ़ का पानी धीरे-धीरे कम होने के साथ ही कई इलाकों में सेना को तैयार रखा गया है.