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जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई बने भारत के नए CJI, जानें अमरावती की झुग्गी से लेकर मुख्य न्यायाधीश तक का सफर

जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई ने बुधवार को भारत के 52वें मुख्य न्यायाधीश (CJI) के रूप में शपथ ली. गवई देश के पहले बौद्ध और दूसरे दलित मुख्य न्यायाधीश बने हैं.

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जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई बने भारत के नए CJI, जानें अमरावती की झुग्गी से लेकर मुख्य न्यायाधीश तक का सफर

Justice Bhushan Gavai: जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई ने बुधवार को भारत के 52वें मुख्य न्यायाधीश (CJI) के रूप में शपथ ली. गवई देश के पहले बौद्ध और दूसरे दलित मुख्य न्यायाधीश बने हैं. गवई से पहले न्यायमूर्ति के.जी बालकृष्णनन दलित समुदाय से पहले सीजेआई बने थे. नए सीजेआई का कार्यकाल 23 नवंबर, 2025 तक रहेगा. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें शपथ दिलाई. 

सीजेआई बीआर गवई के पिता रामकृष्ण सूर्यभान गवई एक जाने-माने अम्बेडकरवादी नेता और रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया के संस्थापक थे. वह बिहार, केरल और सिक्किम के पूर्व राज्यपाल भी रहे हैं. जस्टिस गवई के सुप्रीम कोर्ट में प्रमोशन होने के चार साल पहले ही साल 2015 में आरएस गवई का निधन हो गया था. जस्टिस गवई ने अपने पिता का सपना अब पूरा किया है. उनके पिता चाहते थे कि उनका बेट जज बने और आज वह दिन आ गया है. 

आसान नहीं था CJI तक का सफर

सीजेआई बीआर गवई यानी भूषण रामकृष्ण गवई का जन्म 24 नवंबर 1960 को महाराष्ट्र के अमरावती में हुआ. 2014 में दिए एक भाषण में उन्होंने कहा था, 'यह पूरी तरह से डॉक्टर अंबेडर के प्रयासों का परिणाम है कि मेरे जैसा कोई व्यक्ति, जो एक झुग्गी के नगरपालिका के स्कूल से पढ़कर इस पद तक पहुंच सका है. गवई ने अपना भाषण 'जय भीम' के नारे के साथ खत्म किया था.' 


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जस्टिस गवई का करियर

  • 16 मार्च, 1985 को वकालत शुरू करने वाले न्यायमूर्ति भूषण रामकृष्ण गवई ने नागपुर नगर निगम, अमरावती नगर निगम और अमरावती विश्वविद्यालय के स्थायी वकील के रूप में काम किया.
  • उन्होंने अगस्त 1992 से जुलाई 1993 तक बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ में सहायक सरकारी वकील और अतिरिक्त लोक अभियोजक के रूप में सेवा दी.
  • 17 जनवरी, 2000 को उन्हें नागपुर खंडपीठ के लिए सरकारी वकील और लोक अभियोजक नियुक्त किया गया.
  • 14 नवंबर, 2003 को वे बॉम्बे हाईकोर्ट के अतिरिक्त न्यायाधीश बने और 12 नवंबर, 2005 को स्थायी न्यायाधीश नियुक्त हुए. 24 मई, 2019 को उन्हें सर्वोच्च न्यायालय का न्यायाधीश बनाया गया.
  • न्यायमूर्ति गवई सर्वोच्च न्यायालय में कई ऐसी संविधान पीठों में शामिल रहे, जिनके फैसलों का महत्वपूर्ण प्रभाव रहा.
  • दिसंबर 2023 में, उन्होंने पांच जजों की संविधान पीठ में जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के केंद्र के फैसले को सर्वसम्मति से बरकरार रखा.

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