डीएनए मनी
Kusum Lata | Jul 28, 2025, 01:59 PM IST
1.Biggest Mistake: Ignoring your Financial trouble
सबसे बड़ी गलती होती है अपनी आर्थिक स्थिति को लेकर डिनायल में रहना. ये स्वीकार न करना कि आपके पैसों का हिसाब गड़बड़ हो सकता है. अगर क्रेडिट कार्ड का बिल या लोन की EMI में आधी से ज्यादा सैलरी जा रही है, अगर महीना खत्म होने से पहले आपकी सैलरी खत्म हो रही है तो आप आर्थिक परेशानी में हैं और आपको इसके लिए ज़रूरी कदम उठाने होंगे.
2.Random Shopping
सोशल मीडिया पर किसी चीज़ का ऐड देखते ही उसे खरीद लेना, भले ही उसकी जरूरत न हो. पैनडेमिक के बाद ऑनलाइन शॉपिंग हमारी ज़िंदगी का हिस्सा बन चुकी है और इसी का फायदा उठाते हैं ऑनलाइन सेलर्स. घर का कोई सामान हो या बाल उगाने की दवा या फिर कोई फिटनेस प्लान, तब तक न खरीदें जब तक आप इस बात को लेकर पूरी तरह श्योर न हों कि आपको उसकी ज़रूरत है ही.
3.Not making or Following a budget
सबसे बड़ी गलती बजट न बनाने की है. जब तक आप अपनी सैलरी को अपनी अलग-अलग जरूरतों के लिए एलोकेट नहीं करेंगे तब तक आप पैसों की कमी से जूझते रहेंगे. सैलरी आते ही सबसे पहले अपनी ज़रूरतों पर फोकस करें. किराया, राशन, बिजली-पानी का बिल. महीने का ट्रैवल एक्सपेंस आदि. उसके बाद एक तय हिस्सा सेविंग और इनवेस्टमेंट्स में लगाएं, एक छोटा हिस्सा अपने शौक जैसे फिल्म देखना, बाहर खाना आदि के लिए भी रखें. कोशिश करें कि पूरे महीने आपके खर्चे आपके बनाए बजट के अंदर ही हों.
4.Spending more than income
आसानी से मिलने वाले क्रेडिट कार्ड्स ने लोगों के बजट में बंधकर रहने की आदत को पूरी तरह खत्म कर दिया है. लोग क्रेडिट कार्ड के भरोसे अपनी कमाई से ज्यादा रुपये खर्च कर रहे हैं. इससे हर महीने सैलरी आते ही उनकी सैलरी का बड़ृा हिस्सा क्रेडिट कार्ड के बिल में चला जाता है और फिर पूरे महीने के खर्च सैलरी से पूरे नहीं पड़ते. इस तरह वो कर्ज के एक ऐसे ट्रैप में फंस जाते हैं जहां से निकल पाना मुश्किल होता है.
5.Auto renew in subscription
किसी OTT प्लैटफॉर्म का सब्सक्रिप्शन हो या फिर जिम मेंबरशिप या फिर किसी और सर्विस का प्लान. हम अक्सर उसे ऑटो-रिन्यू ऑप्शन पर डालकर छोड़ देते हैं कि बार-बार कौन रीचार्ज करे. इससे होता ये है कि कई सर्विसेस, जो आप इस्तेमाल भी नहीं करते, उनके पैसे आप बेवजह दे रहे होते हैं. कई बार ऐसा भी होता है कि ऑटो डेबिट का मैसेज आने पर हमें रियलाइज़ होता है कि ये प्लान तो हमें बंद करना था लेकिन तब तक पैसे कट चुके होते हैं. इसलिए किसी भी प्लान को ऑटो रिन्यू ऑप्शन के साथ न लें.
6.Running After Brands
ब्रांड्स के पीछे भागते हुए कई बार हम क्वालिटी से ज्यादा उस ब्रांड के टैग को इम्पॉर्टेंस दे देते हैं. उस एक टैग के लिए हम कई गुना ज्यादा कीमत चुकाने को तैयार होते हैं. जबकि उतनी ही या उससे बेहतर क्वालिटी का सामान हमें कम कीमत में मिल सकता है. उदाहरण के लिए हो सकता है कि आप एक सामान्य दुकान पर बिना टैग वाली अच्छी शर्ट 1000 रुपये में खरीद लें, जबकि वही शर्ट ब्रांड टैग के साथ आपको दोगुनी से भी ज्यादा कीमत में मिलेगी.
7.Not understanding Buy More Save More
ज्यादा खरीदो, ज्यादा बचत करो... ये एक ऐसा कॉन्सेप्ट है जिसे ज्यादातर लोग गलत ही समझते हैं. दो खरीदो एक मुफ्त पाओ... इस तरह के ऑफर आपको ब्रांडेड स्टोर्स पर दिखते हैं. यहां खरीदने एक चीज़ जाते हैं और ऑफर देखकर दो के पैसे चुकाकर तीन सामान ले आते हैं. यहां आप उस ट्रिक के शिकार हो जाते हैं जिसके तहत बड़े ब्रांड्स अपना स्टॉक क्लियर करते हैं. लेकिन बाय मोर सेव मोर तब आपके लिए फायदेमंद है जब आप ज़रूरत का ज्यादा से ज्यादा सामान एक साथ खरीदते हैं. उदाहरण के लिए अगर आप किसी क्विक कॉमर्स ऐप से ग्रोसरी खरीदते हैं तो ज्यादा सामान खरीदने पर आपको फ्री डिलिवरी मिल जाती है या डिलिवरी चार्ज कम लगता है. इतना ही नहीं, आप जितनी बार सामान मंगाएंगे आपको उतनी बार डिलिवरी और हैंडलिंग चार्ज देना पड़ेगा.
8.Buying Things without comparing prices
कोई भी सामान खरीदने से पहले अगर आप उसकी कीमत चार जगह से पता नहीं करते तो आप बड़ी गलती कर रहे हैं. कई बार एक ही सामान पर अलग-अलग स्टोर पर अलग-अलग ऑफर मिल रहा होता है. उदाहरण के लिए 1200 रुपये MRP वाली लिपस्टिक हो सकता है कि एक स्टोर पर आपको 1150 की मिले और कहीं पर 800 रुपये में मिल जाए. कीमतों में ये अंतर उस स्टोर और ब्रांड के बीच हुई प्रमोशनल डील्स की वजह से आता है. ब्रांड्स अलग-अलग समय पर अलग-अलग रीटेल या ऑनलाइन स्टोर के साथ प्रमोशनल डील्स करते रहते हैं. इसलिए हमेशा प्राइज़ कम्पेयर करके ही सामान खरीदें.