डीएनए मनी
ED ने 3000 करोड़ रुपये के मनी लॉन्डरिंग मामले में अनिल अंबानी ग्रुप के खिलाफ जांच शुरू कर दी है. CBI ने इस मामले में अनिल अंबानी ग्रुप के खिलाफ दो मामले दर्ज कराए थे.
प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने रिलायंस अनिल अंबानी ग्रुप (RAAGA कंपनियों) के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग की जांच शुरू की है. यह कार्रवाई CBI की दो FIR दर्ज होने के बाद शुरू हुई है. ईडी की शुरुआती जांच में सामने आया है कि एक सोची-समझी साजिश के तहत बैंकों, निवेशकों, शेयरहोल्डर्स और आम जनता के पैसे की हेराफेरी की गई.
इसमें यस बैंक के प्रमोटर समेत कई बैंक अधिकारियों को घूस देने का भी शक है. ED ने इस मामले में 24 जुलाई को देशभर के 35 ठिकानों पर छापेमारी की है, जिसमें 50 कंपनियों और 25 से ज्यादा लोगों के नाम सामने आए हैं. ये कार्रवाई मनी लॉन्ड्रिंग कानून की धारा 17 के तहत की गई है.
जांच में पता चला है कि साल 2017 से 2019 के बीच यस बैंक से करीब 3000 करोड़ रुपये के लोन गलत तरीके से दिए और दूसरी कंपनियों में घुमा दिए गए. खास बात ये है कि लोन पास होने से ठीक पहले, यस बैंक के प्रमोटर से जुड़ी कंपनियों को बड़ी रकम भेजी गई थी. ईडी अब इस पूरे लेनदेन की जांच "लोन के बदले रिश्वत" के एंगल से भी कर रही है.
ईडी ने पाया है कि यस बैंक ने लोन पास करते वक्त अपने ही नियमों का उल्लंघन किया. जैसे- लोन से जुड़े दस्तावेज (CAMs) पीछे की तारीख में बनाए गए, बिना किसी जांच-पड़ताल के कंपनियों में पैसा निवेश किया गया, जिन कंपनियों को लोन दिया गया, उनकी आर्थिक हालत कमजोर थी, सभी कंपनियों का पता और डायरेक्टर एक जैसे थे, लोन पास करने और पैसे भेजने की तारीख एक ही थी, कई लोन मंजूरी से पहले ही भेज दिए गए थे.
इन अनियमित लोन्स को पास कराने में Yes Bank के सीनियर अधिकारियों और प्रमोटर्स का हाथ होने की भी आशंका है. ईडी को शक है कि लोन के बदले इन अधिकारियों को बड़ा फायदा पहुंचाया गया है. इस मामले में नेशनल हाउसिंग बैंक, SEBI, नेशनल फाइनेंशियल रिपोर्टिंग अथॉरिटी और बैंक ऑफ बरोडा भी अपनी-अपनी जांच रिपोर्ट ED को सौंपी है.
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