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Nepal Plane Crash: नेपाल में प्लेन क्रैश का क्या है हिम मानव येति से कनेक्शन, क्यों रखा गया कंपनी का नाम Yeti Airlines?

Nepal Plane Crash: नेपाल के काठमांडु में येति एयरलाइंस का विमाग हादसे का शिकार हुआ, इसमें भारतीय नागरिकों की मौत हुई है.

Nepal Plane Crash: नेपाल में प्लेन क्रैश का क्या है हिम मानव येति से कनेक्शन, क्यों रखा गया कंपनी का नाम Yeti Airlines?

डीएनए हिंदी: नेपाल में जिस एयरलाइन का विमान दुर्घटनाग्रस्त हुआ, वह येतिु एयरलाइंस का था जो कि एक नेपाली कंपनी है. इस एयरलाइन का नाम चुनने की कहानी भी बड़ी दिलचस्प ही है. हिमालय की बर्फीली वादियों में रहने वाले बर्फ-मानव को येति कहते हैं. यह शारीरिक तौर पर इंसानों और आदिमानव का मिला जुला स्वरूप माना जाता है. कहा जाता है कि इस येति ने कई बार लोगों की जान तक बचाई है.  बर्फ के बीहड़ों में अकेले फंस चुके कई देशी-विदेशी लोगों ने वहां अजीबोगरीब चीज की मौजूदगी का दावा किया, जिससे येति की धारणा को बल मिलता है और उसकी मौजूदगी का दावा मजबूत होता जाता है. 

दरअसल, येति शेरपा शब्द है, जिसका मतलब है खराब लगने वाला जानवर. कुछ रिसर्चर ये भी मानते हैं कि येति संस्कृत के शब्द यक्ष से बना है, जो इंसानों जैसा तो होता है, लेकिन जिसके पास सुपरह्यमन ताकत भी होती है. नेपाल, तिब्बत, भूटान समेत भारत में अक्सर लोकगाथाओं में इसकी चर्चा हुई है. इसके अलावा मंगोलिया में इसे अल्मास कहते हैं, जबकि तिब्बती इसे केमो कहते हैं. 

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पहली बार कब हुआ था जिक्र 

बता दें कि इसे भारत के ही अलग अलग हिस्सों में अलग अलग नामों से जाना जाता है. सिक्किम में इसे मेगुर या लत्सन कहा जाता है, जिसका अर्थ है बर्फीले पहाड़ों पर भटकती आत्माएं है. अंग्रेजी में इसे स्नोमैन कहा जाता है, तब कोलकाता के द स्टेट्समैन अखबार के लिए एक रिपोर्टर हेनरी न्यूमन हिमालय से लौटे लोगों के इंटरव्यू ले रहे थे. इसी दौरान कईयों ने माना कि उन्हें बर्फ पर कुछ ऐसे पैर दिखे, जो किसी इंसान या जाने-पहचाने जानवर के नहीं हो सकते.

येति नाम इतना अलग और मजेदार था कि जल्द ही लोगों की जबान पर चढ़ गया. इसी दौरान पता लगा कि तिब्बतियों में पहले से ही इस स्नोमैन की बातें होती थीं. वे मानते थे कि बर्फ से ढंकी वे जगहें, जहां कोई नहीं जा सकता, वहां ये अजीबोगरीब चीज रहती है. ये इंसानों की तरह दो पैरों पर चलते तो हैं, लेकिन इंसान नहीं होते. उनका पूरा शरीर लंबे-लंबे बालों से ढंका होता है, और ये कपड़े भी नहीं पहनते. 

चीन के तिब्बत पर कब्जा करने की कोशिशों के बाद जब तिब्बती शरणार्थी भारत आने लगे तो एक बार फिर बर्फ पर रहती इस रहस्यमयी चीज की बात होने लगी. येति को लेकर तिब्बतियों के लगाव या ऑब्सेशन के पीछे एक वजह ये भी रही कि वहां की लोकगाथाओं में इसे खूब जगह मिली. 

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लोगों ने बताया महामानव

बता दें कि अलग-अलग लोकगाथाओं में इसे हिमालय की रक्षा करने वाले सिपाही की तरह देखा जाने लगा. डिसिप्लिन तोड़ने पर ये सजा भी देता. जैसे अगर कोई शख्स ऊंची बर्फीली चोटियों पर जाकर येति के जीवन में बाधा डालने की सोचे तो वो बीमार हो जाएगा, या कोई हादसा होगा. इसके अलावा यदि कोई शख्स किसी मुश्किल में होता है तो यह येति उसकी मदद भी करता है और उसकी जान बचाता है. 

हिमालय पर घूमने वाले कई सैलानियों ने इसके होने की बात कही. साल 1951 ब्रिटिश एक्सप्लोरर एरिक शिंप्टन ने बर्फ पर कुछ फुटप्रिंट देखे, जो इंसान या किसी जाने-पहचाने जानवर के नहीं थे. इसके अलावा 1960 में सर एडमंड हिलेरी ने दावा किया कि उन्होंने येति का सिर देखा है, जो हेलमेट की तरह होता है. इसी तरह से हाल में कुछ शोधकर्ताओं को बर्फ पर एक ऊंगली मिली, जो लंबी-मोटी थी. उन्होंने इसे येति की ऊंगली माना, लेकिन DNA में ये इंसानी ऊंगली साबित हुआ था. 

अब कहा है येति और क्या कहतें हैं वैज्ञानिक 

इसके अलावा येति पर बहस ने साल 2019 में दिलचस्प मोड़ ले लिया, जब इंडियन आर्मी ने बर्फ पर उसके पैरों के निशान देखने का दावा किया. सेना ने 32×15 इंच के निशान देखे, जिससे साफ था कि ये इंसानी पैर नहीं हैं. पैरों की तस्वीर के साथ किया गया ट्वीट तब जमकर वायरल हुआ था. सेना ने तस्वीर को एक्सपर्ट्स को सौंपने की भी बात की, जिसके बाद इसपर कोई अपडेट नहीं आया. 

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इन सबसे इतर विज्ञान की बात करें तो  नवंबर 2017 में रॉयल सोसायटी की पत्रिका प्रोसिडिंग्स ने कहा कि आधे इंसान- आधे स्नोमैन लगने वाले लोग असर में बर्फीले भालू हैं. वैज्ञानिकों ने हिमालय की सूनी कंदराओं-वादियों में तीन तरह के भालुओं की बात की, जो इंसानों से बहुत ऊंचे और भारी-भरकम होते हैं, और जो लोगों की येति की धारणा से मेल खाते हैं. हालांकि हिमालयन संभ्यता में येति को लेकर अलग-अलग तरह की धारणाएं और लोककथाएं व्याप्त हैं. 

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