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ओडिशा में बीएड की एक छात्रा ने यौन उत्पीड़न से तंग आकर खुद को आग के हवाले कर दिया. इलाज के दौरान देर रात छात्रा की मौत हो गई. वहीं पुलिस ने छात्रा की मौत के बाद आरोपियों को गिरफ्तार कर जांच शुरू कर दी है.
ओडिशा के बालासोर की 22 वर्षीय छात्रा ने खुद को आग लगाकर मौत को गले लगा लिया. 95 प्रतिशत तक जली स्टूडेंट की इलाज के बाद दौरान मौत हो गई. उसके पास से एक सुसाइड नोट भी बरामद हुआ, जिसमें छात्रा ने शिक्षा विभाग के प्रमुख समीर कुमार साहू पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया. अब इस मामले में एक और हैरान कर देने वाला खुलासा हुआ है, जिसके अनुसार छात्रा ने ग्यारह दिन पहले कॉलेज की आंतरिक शिकायत समिति को पत्र लिखकर वरिष्ठ संकाय सदस्य पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था. साथ ही उसने चेतावनी दी थी कि अगर आरोपी पर कार्रवाई नहीं की गई तो वह आत्महत्या कर लेगी.
जानकारी के अनुसार, छात्रा के शिकायत देने के बाद भी जब आरोपी शिक्षा विभाग के प्रमुख समीर साहू पर कार्रवाई नहीं की गई तो छात्रा ने 11 दिन बाद प्रिंसिपल कार्यालय के बाहर पेट्रोल डालकर आग लगा ली. यहां चीख पुकार सुनकर पहुंचे लोगों ने छात्रा को अस्पताल पहुंचाया. यहां आज सुबह छात्रा की एम्स भुवनेश्वर में मौत हो गई.
शिक्षा विभाग के प्रमुख समीर कुमार साहू, जिन पर पीड़िता ने यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था, और कॉलेज के प्रिंसिपल दिलीप घोष को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है. बताया जा रहा है कि कॉलेज की आंतरिक शिकायत समिति को 1 जुलाई को लिखे पत्र में पीड़िता ने मांग की थी कि साहू के खिलाफ आरोपों की जांच करने और आवश्यक कार्रवाई करने के लिए एक अनुशासन समिति गठित की जाए.
ओडिशा बालोसार की 22 वर्षीय युवती बीएड सेकंड ईयर में थी. उसने कुछ महीनों से बीएड विभाग के एचओडी, असिस्टेंट प्रोफेसर समीर कुमार साहू के खिलाफ कॉलेज समीति को शिकायत दी थी. इसमें छात्रा ने कहा कि साहू मानसिक रूप से परेशान कर रहे हैं. वह मुझे हमेशा धमकी देते हैं कि वह मुझे फेल कर देंगे. उन्होंने मेरे निजी मामलों को मेरे परिवार के साथ साझा करने की भी धमकी दी है. सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि एचओडी बार-बार यौन संबंध बनाने की मांग कर रहे हैं. मैंने लगातार इससे इनकार किया है. मैंने अपनी मानसिक शांति खो दी है और आत्महत्या का प्रयास किया है. भविष्य में, यदि कॉलेज प्रशासन कोई कार्रवाई नहीं करता है, तो मैं आत्महत्या कर लूंगी और इसके लिए एचओडी और कॉलेज प्रशासन जिम्मेदार होंगे," उसने पत्र में लिखा है.
चेतावनी देने के बाद भी जब कोई कार्रवाई नहीं की गई तो पीड़िता ने खुद को आग लगा ली. उसे पहले बालासोर जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया और फिर एम्स, भुवनेश्वर भेज दिया गया.
एम्स के बर्न सेंटर विभाग ने एक बयान में कहा, "मरीज को अंतःशिरा द्रव, अंतःशिरा एंटीबायोटिक्स, ट्यूब लगाकर पुनर्जीवित किया गया और यांत्रिक वेंटिलेशन पर रखा गया। बर्न आईसीयू में गुर्दे की रिप्लेसमेंट थेरेपी सहित पर्याप्त पुनर्जीवन और सभी संभव सहायक प्रबंधन के बावजूद, उसे पुनर्जीवित नहीं किया जा सका और 14 जुलाई को रात 11 बजकर 46 बजे पर छात्रा की मौत हो गई.
ओडिशा के मुख्यमंत्री मोहन चरण मांझी ने छात्रा की मौत पर दुख व्यक्त किया है. उन्होंने कहा कि सभी दोषियों को कानून के तहत कड़ी सजा दी जाएगी. उन्होंने एक्स पर पोस्ट करते हुए कहा कि "मैं छात्रा की दिवंगत आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करता हूँ. भगवान जगन्नाथ उनके परिवार को इस अपूरणीय क्षति को सहन करने की शक्ति प्रदान करें. मैं मृत छात्रा के परिवार को आश्वस्त करता हूँ कि इस मामले के सभी दोषियों को कानून के अनुसार कड़ी से कड़ी सजा मिलेगी. मैंने व्यक्तिगत रूप से अधिकारियों को निर्देश जारी कर दिए हैं. सरकार परिवार के साथ पूरी तरह खड़ी है."
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