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Guru Teg Bahadur के 400वें पर्व पर लाल किले में क्यों आयोजित किया जा रहा है कार्यक्रम? जानिए खास वजह

Guru Teg Bahadur के प्रकाश पर्व पर लाल किले में कार्यक्रम आयोजित करने की वजह बेहद खास है. पढ़िए पुष्पेंद्र कुमार की रिपोर्ट.

Guru Teg Bahadur के 400वें पर्व पर लाल किले में क्यों आयोजित किया जा रहा है कार्यक्रम? जानिए खास वजह

डीएनए हिंदीः सिखों के गुरु तेग बहादुर की 400वीं जयंती पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लाल किले से देश को संबोधित करेंगे. आमतौर पर देश के पीएम सिर्फ स्वतंत्रता दिवस के मौके पर ही लाल किले की प्राचीर से देश को संबोधित करते थे. पीएम मोदी के शासनकाल में यह दूसरा मौका होगा जब लाल किले में स्वतंत्रता दिवस के अलावा राष्ट्रीय महत्व के किसी कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सिख समुदाय के 9वें गुरु के प्रकाश पर्व पर उनके सम्मान में सिक्का और डाक टिकट भी जारी करेंगे. केंद्रीय संस्कृति मंत्री जी. किशन रेड्डी ने बताया इस मौके पर लाल किले पर 400 रागी शबद कीर्तन करेंगे. लाल किले पर दो दिन तक चलने वाला यह कार्यक्रम 20 अप्रैल को शुरू होगा. इस कार्यक्रम में गृह मंत्री अमित शाह पहले दिन शामिल होंगे. वो श्री गुरु तेग बहादुर के जीवन पर बने एक मल्टीमीडिया शो का उद्घाटन करेंगे. आजादी के अमृत महोत्सव के तहत यह कार्यक्रम किया जा रहा है.

ये भी पढ़ेंः Guru Tegh Bahadur Jayanti 2022: कैसे शहीद हुए थे गुरु तेग बहादुर और क्यों बांटा जाता है जयंती पर शरबत

लाल किले में क्यों आयोजित किया जा रहा है कार्यक्रम?
आखिर क्या कारण है कि केंद्र सरकार ने लाल किले में इस कार्यक्रम का आयोजन किया. लाल किले और गुरु तेग बहादुर का क्या संबंध है. इस सवाल के जवाब के लिए हमने पंजाबी और अंग्रेजी भाषा में कई किताबें लिख चुके डॉ. गुरुतेज सिंह से बात की. उन्होने बताया, "गुरु तेग बहादुर ने हिंदुओं की धार्मिक आजादी की रक्षा के लिए मुगलों से युद्ध किया. मुगल शासक औरंगजेब ने इसके लिए उन्हे मौत की सजा दी. गुरु तेग बहादुरकी मौत की सजा का यह आदेश दिल्ली में बने लाल किले से ही दिया गया था."

'हिंद की चादर' हैं गुरु तेग बहादुर
औरंगजेब के शासनकाल में जब हिंदुओं पर अत्याचार हो रहे थे उस समय गुरु तेग बहादुर उनकी रक्षा के लिए मुगलों के सामने खड़े हो गए. इसलिए गुरु तेग बहादुर जी को “हिंद की चादर” भी कहा जाता है. गुरु तेग बहादुर ने धार्मिक आजादी के लिए मुगलों का विरोध किया था. हिंदुओं के खासतौर पर कश्मीरी पंडितों के अधिकार के लिए जबरन धर्मपरिवर्तन का विरोध करते हुए मुगलों से लोहा लिया. 24 नवंबर, 1675 को दिल्ली के चांदनी चौक में गुरु तेग बहादुर ने हंसते-हंसते खुद को कुर्बान कर दिया. उनके महान बलिदान को इस दिन शहीदी दिवस के रूप में याद किया जाता है.

सुभाष जयंती पर भी पीएम ने फहराया था तिरंगा
इससे पहले 2018 में 21 अक्टूबर को भी पीएम मोदी ने लाल किले पर तिरंगा फहराया था. मौका था नेताजी सुभाष चंद्र बोस द्वारा बनाई गई आजाद हिंद सरकार के 75 साल पूरे होने का. वरिष्ठ पत्रकार के. विक्रम राव बताते है, "ये पहली सरकार है कि लाल किले में इस तरह के कार्यक्रम हो रहे हैं. इससे पहले सिर्फ स्वतंत्रता दिवस के कार्यक्रम होते थे. इस तरह के कार्यक्रम पहले की सरकारों को भी करने चाहिए थे. राष्ट्र की चेतना को जगाने का काम होना ही चाहिए. ये ऐसा काम है जो राष्ट्रहित में उपयोगी है."

(रिपोर्ट - पुष्पेंद्र कुमार)

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