सेहत
Alcohol, cigarette or gutka, which addiction is worse: शराब,सिगरेट और गुटखा या कोई भी नशा कभी या कितनी भी मात्रा में सही नहीं होता है. सभी नशे के अपने अलग ही शारीरिक नुकसान हैं, किसी नशे से दिल तो किसी से लिवर और किसी से कैंसर का खतरा होता है.
Which addiction takes the longest to get rid of: यह तो सभी जानते हैं. शराब, सिगरेट, गुटखा-तंबाकू और ड्रग्स ये सभी स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं. कई लोग सिगरेट और शराब आदि कभी कभी लेते हैं लेकिन कुछ के लिए ये लत बन जाती है. बात गुटके की करें तो शौक से शुरू किए जाने वाला गुटखा कब लत में बदल जाता है लोगों को इसका पता ही नहीं चलता है. अगर आप ये सोचते हैं कि सिगरेट, शराब और गुटके से बेहतर है या गुटके से बेहतर शराब या सिगरेट है तो ये केवल आपके मन को बहलाने के लिए ख्याल अच्छा हो सकता है. लेकिन किसी भी तरह का नशा शरीर के किसी न किसी अंग के लिए नुकसानदायक होता ही है.
चलिए आज आपको बताएं कि शराब-सिगरेट- तंबाकू यानी गुटके में किसकी लत सबसे पहले लगती है और सबसे देरी से छूटती है.
इस नशे लत लगती है सबसे तेज और जल्दी
एक अनुमान के मुताबिक, सिगरेट और शराब की तुलना में व्यक्ति को हेरोइन या कोकीन की लत ज़्यादा लगती है. यह एक नशा है. एक या दो बार लेने के बाद व्यक्ति को नशे का नशा चढ़ता है और पांच बार लेने के बाद उसे इसकी लत लग जाती है. वहीं दूसरी ओर, मारिजुआना की लत धीरे-धीरे लगती है, इसका नशा चढ़ने में लगभग 6 महीने लगते हैं और फिर 2 साल बाद इसकी लत लगनी शुरू हो जाती है.
गुटखा खाने की लत
गुटखा खाने की लत लगने में लगने वाला समय, व्यक्ति की शारीरिक और मानसिक स्थिति, और गुटखे के सेवन की मात्रा और आवृत्ति पर निर्भर करता है. गुटखा एक अत्यधिक नशीला पदार्थ है, और इसकी लत लगने में ज्यादा समय नहीं लगता है.हफ्ते भर में आप इसके आदी हो सकते हैं.
सिगरेट-बीड़ी या शराब की लत
इसके बाद सिगरेट या बीड़ी आती है, इनकी लत लगने में 6 महीने लगते हैं और 2-3 साल बाद लत लगनी शुरू होती है. शराब की लत लगने की गति थोड़ी धीमी होती है. आमतौर पर लोगों को 1-2 साल में शराब की लत लग जाती है, लेकिन लगातार 5 साल तक इसका सेवन करने के बाद व्यक्ति इसका आदी हो जाता है.
डोपामाइन की वजह से धीरे-धीरे लत बढ़ती जाती है
गुटके-सिगरेट, बीड़ी या ड्रग्स की लत लगना सबसे बुरा माना जाता है. इस लत के पीछे एक वैज्ञानिक सिद्धांत है. गुटखा इसलिए क्योंकि ये लंबे समय तक मुंह में रहता है और मुंह की नर्म दीवारों को ये नुकसान पहुंचा रहा होता है साथ ही ये दिमाग को स्थिर करता है इससे कंसंट्रेशन पावर बढ़ती है और लोगों को इससे अच्छा लगता है और यही नशा लत में बदल जाता है
वहीं कोई सिगरेट पीता है, तो उसमें मौजूद जलता हुआ तंबाकू निकोटिन छोड़ता है. यह निकोटिन खून के ज़रिए फेफड़ों तक पहुंचता है, वहाँ से दिमाग में पहुंचता है और फिर दिमाग में मौजूद निकोटिन एसिटाइलकोलाइन रिसेप्टर्स को सक्रिय कर देता है. सक्रिय रिसेप्टर्स न्यूरोट्रांसमीटर डोपामाइन छोड़ते हैं, जिसका असर दिमाग के एक खास हिस्से पर पड़ता है. इसी डोपामाइन की वजह से धीरे-धीरे लत बढ़ती जाती है.
क्यों नहीं छोड़ते लोग नशा
जब भी कोई व्यक्ति सिगरेट- गुटखा या किसी अन्य प्रकार की लत से छुटकारा पाना चाहता है, तो वह आसानी से नहीं छूटती. इसके पीछे का कारण उस लत से मिलने वाली खुशी होती है. जब वह व्यक्ति लत छोड़ना चाहता है, तो उसकी खुशी के एहसास की कड़ी टूटने लगती है और वह उस एहसास को फिर से पाना चाहता है. यही कारण है कि किसी भी व्यक्ति के लिए लत छोड़ना आसान नहीं होता.
सबसे ज्यादा किस नशे को छोड़ने में छूटते हैं पसीने
कोई भी नशा जिसके आप आदी हो चुके हैं उसे छोड़ने में दिक्कत, तकलीफ होगी. कोई भी नशा छोड़ने पर व्यक्ति को शारीरिक ही नहीं मानसिक रूप से भी दिक्कतों का समाना करना पड़ता है. चिड़चिड़ापन, अकेलापन, उदासी या कई बार डिप्रेसिंग भी होता है. ऐसे वक्त में परिवार को साथ देना होता है. कोई भी नशा चाहे वो शराब, गुटखा या सिगरेट का हो उसे छोड़ने के लिए दृढ़ इच्छा शक्ति चाहिए होती है. इसलिए ध्यान रहे कोई भी नशा जिसे छोड़ना है तुरंत छोड़ें. कम करने से नशा छूटता नहीं बल्कि टलता है.
Disclaimer: यह खबर सामान्य जानकारी पर आधारित है और कोई भी नशा शरीर और उसके अंक को डैमज कर सकता है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.
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