दुनिया
राजा राम | Jun 22, 2025, 12:06 AM IST
1.इजरायल का एक एयर डिफेंस सिस्टम आयरन डोम चर्चा में
मध्य पूर्व में इजरायल और ईरान के बीच हाल के दिनों में तनाव काफी बढ़ गया है. दोनों देशों के बीच मिसाइल हमले और जवाबी कार्रवाई का सिलसिला तेज हो गया है. लेकिन इस पूरे घटनाक्रम में इजरायल का एक एयर डिफेंस सिस्टम आयरन डोम सबसे ज्यादा चर्चा में है. ये प्रणाली इजरायल को दुश्मनों के रॉकेट और ड्रोन हमलों से बचा रही है. इसकी तकनीक और काम करने का तरीका बेहद एडवांस और भरोसेमंद है.
2.क्या है आयरन डोम?
आयरन डोम एक आधुनिक और कम दूरी तक काम करने वाला एयर डिफेंस सिस्टम है, जिसे खासतौर पर रॉकेट, मोर्टार, आर्टिलरी शेल और ड्रोन जैसे खतरों से बचाने के लिए तैयार किया गया है. इसे इजरायल ने 2011 में तैनात किया था. यह प्रणाली लगभग 70 किलोमीटर की रेंज तक हमलों को इंटरसेप्ट करने की क्षमता रखती है.
3.कैसे करता है काम?
जब कोई रॉकेट इजरायल की ओर दागा जाता है, तो आयरन डोम का रडार सबसे पहले उसे डिटेक्ट करता है. इसके बाद युद्ध प्रबंधन और हथियार नियंत्रण प्रणाली एक्टिव हो जाती है और खतरे का आकलन करती है. अगर सिस्टम को लगता है कि रॉकेट आबादी वाले क्षेत्र या अहम ठिकाने की ओर जा रहा है, तो तुरंत इंटरसेप्टर मिसाइल लॉन्च कर दी जाती है.
4.सिस्टम के प्रमुख हिस्से
आयरन डोम में तीन मुख्य घटक होते हैं. डिटेक्शन और ट्रैकिंग रडार, वॉर मैनेजमेंट और कंट्रोल सिस्टम और लॉन्चर यूनिट, जिसमें 20 तामीर मिसाइलें होती हैं. एक बैटरी में आम तौर पर तीन से चार लॉन्चर होते हैं और इजरायल के पास कम से कम 10 से ज्यादा बैटरियां हैं.
5.कितनी है लागत और सफलता दर?
मीडिया रिपोर्ट्स कि माने तो, इस सिस्टम की सफलता दर करीब 90% है। अब तक ये 2,000 से ज्यादा हमलों को रोक चुका है. एक यूनिट की कीमत लगभग 50 मिलियन डॉलर (368 करोड़ रुपये) है, जबकि एक तामीर मिसाइल की कीमत करीब 80,000 डॉलर है. वहीं, हमलावर रॉकेट की लागत सिर्फ 1,000 डॉलर के करीब होती है.
6.क्यों माना जाता है कारगर?
आयरन डोम केवल उन्हीं रॉकेट्स को इंटरसेप्ट करता है जो सीधे नागरिक या जरूरी ढांचे पर गिरने वाले होते हैं. इससे हर बार मिसाइल लॉन्च करने की जरूरत नहीं पड़ती और खर्च भी कम होता है. हालांकि इस सिस्टम की सफलता जबरदस्त रही है, लेकिन इजरायल के कुछ रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार इसे लेकर जरूरत से ज्यादा आश्वस्त हो गई है. उनका कहना है कि केवल इस पर निर्भर न रहकर दूसरे डिफेंस सिस्टम पर भी काम करना चाहिए.