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US: एक नई सुबह एक नया अमेरिका, क्या होंगी डोनाल्ड ट्रंप की दूसरी पारी की अहम चुनौतियां?

डोनाल्ड ट्रंप जब दूसरी बार अमेरिकी राष्ट्रपति पद की जिम्मेदरी संभालने जा रहे हैं, उस समय पूरी दुनिया में कोलाहल मचा हुआ है. चारों ओर युद्ध और अव्यवस्था का पसमंजर फैला हुआ है, ऐसे में उन्हें कई बड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है. आइए जानते हैं पूरी बात.

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US: एक नई सुबह एक नया अमेरिका, क्या होंगी डोनाल्ड ट्रंप की दूसरी पारी की अहम चुनौतियां?

Donald Trump

डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका के नए राष्ट्रपति बन गए हैं. एक राष्ट्रपति के तौर पर ये उनकी दूसरी पारी है. वो इससे पहले भी एक टर्म इस पद पर रह चुके है. जब वो इस पद के लिए दूसरी बार जिम्मेदरी संभालने जा रहे हैं, उस समय पूरी दुनिया में कोलाहल मचा हुआ है. चारों ओर युद्ध का पसमंजर फैला हुआ है. साथ ही ग्लोबल इकॉनमी अपने बुरे दौर में है. ऐसे में ट्रंप का ये कार्यकाल चुनौतियों से भरा रहने वाला है. अमेरिका के लिए रूस और चीन की बढ़ती ताकत और महत्वाकांक्षा से भी दो-चार होना पड़ेगा.

डोनाल्ड ट्रंप की बड़ी चुनौतियां
साथ ही राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को अपने शपथ ग्रहण दिवस के वादे को पूरा करने के लिए एक कठिन चुनौती का सामना करना पड़ सकता है. साथ ही उन्हें कांग्रेस में भारी मतभेद, अपरिहार्य मुकदमे और अड़ियल विश्व नेताओं का सामना करना पड़ सकता है. राष्ट्रपति पद की शपथ लेने के बाद, ट्रम्प ने व्यापक कार्यकारी आदेशों की एक श्रृंखला की रूपरेखा तैयार की है, जो अमेरिका के क्षेत्र का विस्तार करने, इमीग्रेशन पर अंकुश लगाने, जीवाश्म ईंधन के प्रोडक्शन को बढ़ावा देने और पर्यावरणीय नियमों को वापस लेने के दूरगामी एजेंडे को लागू करने की दिशा में पहला कदम था. ट्रंप भारत जैसे देश के साथ रिश्ते मजबूत करना चाहेंगे ताकि वो चीन को घेर सके. क्वाड में भारत और जापान की उपस्थिति को और भी अधिक मजबूत करने की कोशिश होगी. इजरायल और हमास के बीच युद्ध विराम समझौता उसके लिए बड़ी राहत है. वहीं वो एक साल के भीतर ही रुस-युक्रेन युद्ध को रुकवाने के लिए काम करेंगे, और उसका हल ढूंढेंगे. ट्रंप की कोशिश कमजोर हो रहे ईरान से वहां खुमैनी की सत्ता को हमेशा के लिए खत्म करने की भी कोशिश हो सकती है. अमेरिका और दुनियाभर की अर्थव्यवस्था को बेहतर करने के लिए वो कई पूंजीवादी कदम भी जरूर उठा सकते हैं.

ट्रंप की सियासी लड़ाइयां
ट्रंप के सहयोगी और सलाहकार कई महीनों से कार्यकारी आदेशों और एजेंसी विनियमों का मसौदा तैयार कर रहे हैं. वे निजी और सार्वजनिक रूप से तर्क देते हैं कि वे अपने विज़न को लागू करने के लिए ट्रंप के 2017-2021 के कार्यकाल की तुलना में बेहतर तरीके से तैयार हैं, जब रिपब्लिकन की अंदरूनी लड़ाई और दूरदर्शिता की कमी के कारण अदालतों और कांग्रेस में असफलताएं मिलीं. ट्रंप को इस बार एक बेहद रूढ़िवादी सुप्रीम कोर्ट के होने से फायदा मिल सकता है. जहां उन्हें चुनाव अभियान के दौरान कुछ बड़ी कानूनी जीतें मिली हैं. इसके नौ सदस्यों में से एक तिहाई उनके द्वारा ही नियुक्त किए गए हैं.


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