धर्म
Shivling Puja And Niyam: आपने देखा होगा कि लगभग हर शिव मंदिर में भगवान शिव की मानव रूप में कोई मूर्ति नहीं होती.
Sawan Month 2025: दुष्टों के संहारक और सभी देवताओं में सबसे दयालु भगवान शिव की व्यापक रूप से लिंगम के रूप में पूजा की जाती है. आपने देखा होगा कि लगभग हर शिव मंदिर में भगवान शिव की मानव रूप में कोई मूर्ति नहीं होती, बल्कि एक शिवलिंग होता है, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि शिव की इस रूप में पूजा क्यों की जाती है?
"लिंगम" शब्द संस्कृत से आया है और इसका अर्थ है "प्रतीक" या "चिह्न"। शिवलिंग भगवान शिव के निराकार और अनंत स्वरूप का प्रतीक है. यह दर्शाता है कि ईश्वर जन्म, आकार या अंत से परे है. अन्य देवताओं, जिन्हें मानव रूप में दर्शाया जाता है, के विपरीत, शिव का लिंगम रूप हमें याद दिलाता है कि परम सत्ता निराकार, असीम और शाश्वत है.
शिव पुराण के अनुसार, एक बार भगवान ब्रह्मा (निर्माता) और भगवान विष्णु (पालक) के बीच इस बात पर बहुत बहस छिड़ गई कि दोनों में सबसे शक्तिशाली कौन है. विवाद को सुलझाने के लिए, उनके बीच प्रकाश का एक विशाल, अनंत स्तंभ (ज्योतिर्लिंग) प्रकट हुआ. यह दिव्य ऊर्जा से प्रज्वलित था. विष्णु ने एक सूअर (वराह) का रूप लिया और इसका आधार खोजने के लिए नीचे की ओर गए. ब्रह्मा एक हंस (हंस) में बदल गए और इसके शीर्ष को खोजने के लिए ऊपर की ओर उड़ गए. हजारों वर्षों की खोज के बाद, न तो इस ब्रह्मांडीय स्तंभ की शुरुआत और न ही अंत का पता लगा सके. वह अनंत प्रकाश स्वयं भगवान शिव थे, जो तब स्तंभ से प्रकट हुए और बताया कि वे सर्वोच्च चेतना (परम ब्रह्म) हैं. जन्म और मृत्यु से परे, रूप और निराकार से परे. प्रकाश का यह स्तंभ बाद में शिवलिंग के रूप में जाना जाने लगा.
- इसका गोलाकार आधार (योनि) शक्ति, स्त्री ऊर्जा का प्रतिनिधित्व करता है.
- ऊर्ध्वाधर स्तंभ (लिंग) शिव, पुरुष ऊर्जा का प्रतिनिधित्व करता है.
- ये दोनों मिलकर ऊर्जा और चेतना के मिलन को दर्शाते हैं, जो सृष्टि का स्रोत है.
- अतः शिवलिंग केवल एक पत्थर या आकार नहीं है - यह सम्पूर्ण ब्रह्मांड और उसकी रचना का एक गहन प्रतीक है.
Disclaimer: यह खबर सामान्य जानकारी और धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.
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