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धर्म
PM Modi Deoghar Visit : माना जाता है कि इस ज्योतिर्लिंग की स्थापना लंकापति रावण ने की थी. देवघर (Baba Baidyanath Dham, Deoghar) को इसलिए भी बेहद सम्मानजनक स्थान प्राप्त है कि यहां शिव के ज्योतिर्लिंग के साथ सती भी विराजमान हैं.
डीएनए हिंदी : आज प्रधानमंत्री मोदी (PM Modi) झारखंड के देवघर के दौरे पर हैं. देवघर का हिन्दू धर्म में काफ़ी अधिक सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व है. माना जाता है कि बाबा बैद्यनाथ शिवलिंग, सबसे अधिक प्रमुख 12 ज्योतिर्लिंगों में एक है. इसे कामना ज्योतिर्लिंग कहा जाता है. माना जाता है कि इस ज्योतिर्लिंग की स्थापना लंकापति रावण ने की थी. देवघर (Baba Baidyanath Dham, Deoghar) को इसलिए भी बेहद सम्मानजनक स्थान प्राप्त है कि यहां शिव के ज्योतिर्लिंग के साथ सती भी विराजमान हैं. माना जाता है कि यहां सती का हृदय गिरा था और शिव ने उनका अंतिम संस्कार यहीं किया था. इस वजह से इस जगह को चिताभूमि भी कहा जाता है.
क्या है रावण वाला किस्सा
कहा जाता है भोलेनाथ की घोर तपस्या कर उन्हें प्रसन्न करने के बाद लंकापति रावण कैलाश से ज्योतिर्लिंग लेकर चले थे. शिव ने ज्योतिर्लिंग ले जाने की अनुमति तो दे दी पर साथ में शर्त यह लगा दी कि लंका पहुंचने तक वे कहीं भी यह ज्योतिर्लिंग नीचे नहीं रखेंगे. देवघर (Baba Baidyanath Dham, Deoghar) पहुंचते ही रावण को लघुशंका का अहसास हुआ. उन्होंने ज़मीन पर शिवलिंग रख दिया और निवृत्त होने लगे. बियाबान में जब शुद्धि के लिए जल की आवश्यकता महसूस हुई तो उन्होंने धरती पर मुट्ठी का प्रहार किया जिससे पानी का सोता फूट पड़ा. बाबा बैद्यनाथ मंदिर के बगल में स्थित शिवगंगा झील को रावण के मुट्ठी प्रहार की वजह से प्रवाहित होने वाली पाताल गंगा माना जाता है.
इस कथा के अनुसार रावण के द्वारा शिवलिंग को वहीं रख देने की वजह से शिव उसी जगह स्थापित हो गए. इस तरह कामना ज्योतिर्लिंग देवघर में स्थापित हुआ. देवघर में भोलेनाथ की पूजा का महत्व यहां से शुरू होता है.
सावन का महीना है ख़ास
सावन को शिव की पूजा के लिए सबसे ख़ास महीना माना जाता है. कहा जाता है कि इस महीने में बाबा बैद्यनाथ की पूजा करने से विशेष फल मिलते हैं. हर साल लाखों श्रद्धालु इस महीने में बैद्यनाथ धाम की यात्रा करते हैं. शिव के साथ जयदुर्गा (Baba Baidyanath Dham, Deoghar) के मंदिर की आराधना भी होती है. इस मंदिर का स्थापत्य प्राचीन और आधुनिक स्थापत्य का मज़मून है जिसे राजा पूरन मल ने बनवाया था. यहां शिव और दुर्गा के मंदिर लाल रेशम की पट्टियों से जुड़े हुए हैं जिसे पारम्परिक हिंदू वैवाहिक गठजोड़ का प्रतीक भी माना जाता है.
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