क्रिकेट
इग्लैंड के खिलाफ ओवल टेस्ट में जसप्रीत बुमराह के बिना टीम इंडिया ने शानदार जीत हासिल की है. इस जीत में अहम भूमिका मोहम्मद सिराज ने निभाई है.
तीसरे टेस्ट के पांचवें दिन का पांचवां सेशन. पांच मैचों की सीरीज 1-1 से बराबरी पर थी. लॉर्ड्स के मैदान पर पहली पारी में टीमें बराबरी पर रही थीं. सेकंड इनिंग शूटआउट में इंग्लैंड ने भारत के सामने जीत के लिए 192 रनों का लक्ष्य रखा था. मैदान पर जडेजा के साथ मोहम्मद सिराज थे. रन बनाने की जिम्मेदारी जडेजा की थी. सिराज को उनका साथ देना था जो वो बखूबी कर भी रहे थे. शोएब बशीर की एक गेंद पर उन्हें डिफेंसिव शॉट खेला. पता नहीं गेंद कैसे बल्ले से लगने के बाद उनके पैरों के पीछे से निकलकर विकेट से टकरा गई. भारत 22 रनों से मैच हार गया. सिराज की तमाम कोशिशों के बावजूद वो भारत को जिता नहीं सके.
पांचवें टेस्ट में दिलाई जीत
20 दिन बाद एक बार फिर वही हालत, लेकिन इस बार दांव पर मैच नहीं सीरीज था. पांचवें टेस्ट के पांचवें दिन इंग्लैंड को जीत के लिए केवल 35 रन चाहिए थे और उसके 6 विकेट बाकी थे. इस बार भी मैच में असंभव सी लगने वाली जीत को संभव बनाने की जिम्मेदारी सिराज के कंधों पर थी. फर्क सिर्फ इतना था कि इस बार उनके हाथ में बल्ले की जगह गेंद थी. और इस बार सिराज जैसे मैदान पर सोच कर आए थे कि कुछ भी हो जाए, इंग्लैंड को जीतने नहीं देना है. पांचवें दिन के पहले सेशन में करीब 9 ओवर का खेल हुआ. सिराज ने इंग्लैंड के बाकी बचे चार में से तीन विकेट लेकर उसकी हार तय कर दी. विकेट से ज्यादा सिराज जिस लय में गेंदबाजी कर रहे थे, लग रहा था जैसे हर गेंद पर विकेट गिरने वाली हो. भारत न सिर्फ मैच जीतने में सफल रहा, बल्कि सीरीज भी 2-2 की बराबरी पर छूटी. सिराज मैन ऑफ द मैच बने. इससे भी ज्यादा वो मैन ऑफ द मोमेंट बने. मैच के उस पड़ाव पर भारत के लिए जो जरूरी था, सिराज ने कर दिखाया.
सिराज पर बुमराह इंपैक्ट
41 टेस्ट खेल चुके सिराज का करियर कुछ ऐसा ही रहा है. आम धारणा यही है कि वे हमेशा अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास करते हैं, लेकिन मैच विनर बनने से चूक जाते हैं. उनकी गेंदें बैटर को बीट तो करती हैं, लेकिन आउट नहीं कर पातीं. टीम इंडिया में उनकी भूमिका जसप्रीत बुमराह के साये में छिपी रहती है. हालांकि, सच्चाई ये है कि जब टीम में बुमराह नहीं होते तो सिराज न केवल उनकी कमी पूरी करते हैं, बल्कि टीम के नंबर 1 मैच विनर बन जाते हैं. दूसरी ओर, ये भी सच है कि बुमराह मौजूद हों तो सिराज के प्रदर्शन में कमी आ जाती है. भरोसा नहीं हो तो जरा इन आंकड़ों को देखें.
...तब मारक बन जाते हैं सिराज
सिराज ने अपने करियर में 41 टेस्ट मैचों में 31.05 की औसत से 123 विकेट लिए हैं. इनमें से 25 मैचों में बुमराह टीम में शामिल रहे हैं. इन 35 मैचों में सिराज ने 35 की औसत से 74 विकेट लिए हैं. वहीं, बुमराह के बिना खेले 16 टेस्ट में उन्होंने 25.10 की औसत से 49 विकेट अपने नाम किए हैं. इसकी वजह शायद ये है कि सिराज, बुमराह को अपना आदर्श मानते हैं. उनके टीम में रहने पर शायद सिराज को लगता है कि मैच जिताने की पहली जिम्मेदारी बुमराह की है. जब बुमराह नहीं होते हैं तो सिराज टीम की पेस अटैक के लीडर बन जाते हैं और तब इनका असली मारक रूप सामने आता है.
टीम इंडिया के लिए अच्छी खबर
इंग्लैंड के खिलाफ एंडरसन-तेंदुलकर ट्रॉफी में देखें तो सिराज ने सबसे ज्यादा विकेट तो लिए ही, एक सीरीज में सबसे ज्यादा गेंदें फेंकने का रिकॉर्ड भी बनाया. क्रिस वोक्स के अलावा दोनों टीमों में वो इकलौते गेंदबाज थे जिन्होंने पांचों मैच खेले. अंतिम पारी आते-आते वोक्स भी चोटिल हो चुके थे, लेकिन सिराज मैच के आखिरी पलों में भी 140 किलोमीटर प्रति घंटे की ज्यादा रफ्तार से गेंदबाजी कर रहे थे. उनके चेहरे पर थकान का नामोनिशान तक नहीं था. कप्तान कहते भी तो शायद वो बॉलिंग करना नहीं छोड़ते, जब तक कि टीम को जीत न दिला दें. यही सिराज की खासियत है. वो कोशिश में कोई कमी नहीं छोड़ते, नतीजा चाहे जो भी हो. यदि नतीजा वैसा हो जैसा पांचवें टेस्ट में हुआ तो बुमराह पर टीम की निर्भरता भी कम हो जाएगी.
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