एजुकेशन
जया पाण्डेय | Aug 05, 2025, 03:29 PM IST
1.नहीं रहे सत्यपाल मलिक
जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल और राष्ट्रीय राजनीति की अहम हस्ती का आज दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल में निधन हो गया. जम्मू-कश्मीर के अलावा वह बिहार, ओडिशा, गोवा और मेघालय के राज्यपाल भी रह चुके हैं. वह 79 साल के थे.
2.लोहिया के समाजवादी दर्शन से प्रेरित होकर राजनीति में हुए थे शामिल
मलिक 1960 के दशक के मध्य में राम मनोहर लोहिया के समाजवादी दर्शन से प्रेरित होकर राजनीति में शामिल हुए थे. 2004 में वे बीजेपी में शामिल हुए और 2012 में उन्हें पार्टी का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया. 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रचार अभियान दल का हिस्सा थे.
3.उत्तर प्रदेश के बागपत में हुआ था जन्म
सत्यपाल मलिक के पिता का देहांत मात्र दो वर्ष की आयु में हो गया था. उनका जन्म 24 जुलाई 1946 को उत्तर प्रदेश के बागपत के हिसावदा गांव में हुआ था. छात्र जीवन से ही वे राजनीति में शामिल हो गए थे. चौधरी चरण सिंह को उन्हें सक्रिय राजनीति में लाने का श्रेय दिया जाता है.
4.मेरठ यूनिवर्सिटी से ली हैं ये डिग्रियां
उन्होंने मेरठ यूनिवर्सिटी से बीएससी और एलएलबी की डिग्री हासिल की. 1968-69 में मलिक छात्र संघ अध्यक्ष चुने गए जिससे उनके राजनीतिक जीवन की शुरुआत हुई. इसके बाद चौधरी चरण सिंह के साथ अपने घनिष्ठ संबंधों के कारण उन्होंने 1974 में चुनावी प्रक्रिया में प्रवेश किया और बागपत से विधानसभा चुनाव जीतकर पहली बार विधायक बने.
5.कई राजनीतिक दलों में रहे हैं मलिक
बाद में वह और चरण सिंह लोकदल में शामिल हो गए. चरण सिंह ने उन्हें पार्टी का महासचिव नियुक्त किया. बाद में उन्हें 1980 में जनता दल के टिकट पर राज्यसभा भेजा गया. हालांकि वे वहां ज़्यादा समय तक नहीं रहे. मलिक 1984 में कांग्रेस पार्टी में शामिल हुए और 1986 में राज्यसभा में वापस आए.
6.मलिक के कार्यकाल में जम्मू-कश्मीर में निरस्त हुआ अनुच्छेद 370
मलिक अगस्त 2018 से अक्टूबर 2019 तक पूर्व जम्मू-कश्मीर राज्य के अंतिम राज्यपाल रहे. उनके कार्यकाल में ही अनुच्छेद 370 को निरस्त किया गया और 5 अगस्त 2019 को राज्य का विशिष्ट दर्जा समाप्त कर दिया गया.
7.इन 5 राज्यों के राज्यपाल रहे थे सत्यपाल मलिक
पूर्व केंद्रीय राज्य मंत्री और तीन बार संसद सदस्य रहे मलिक क्षेत्र में आतंकवाद शुरू होने के बाद से जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल नियुक्त होने वाले पहले राजनेता थे. वह गोवा के राज्यपाल बने और फिर अक्टूबर 2022 तक मेघालय के राज्यपाल रहे. इससे पहले उन्होंने 2017 में कुछ समय के लिए बिहार के राज्यपाल के रूप में काम किया था.
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