सेहत
What Is Corneal Blindness: कॉर्नियल ब्लाइंडनेस अब भारत में अंधेपन की दूसरी सबसे बड़ी वजह बन गया है, चिंता की बात ये है कि ये बीमारी अब युवाओं में तेजी से बढ़ रही है..
भारत में कॉर्नियल ब्लाइंडनेस (Corneal Blindness) नौजवानों के लिए एक बड़े खतरे के रूप में उभर रहा है. आंकड़ों पर नजर डालें तो कॉर्नियल ब्लाइंडनेस अब भारत में अंधेपन की दूसरी सबसे बड़ी वजह बन गया है, इतना ही नहीं यह सालाना हजारों लोगों को अपना शिकार बना रही है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इंडियन सोसायटी ऑफ कॉर्निया और केराटो-रिफ्रैक्टिव सर्जन के एक्सपर्ट ने हाल ही में दिल्ली में एक तीन दिन के सेमिनार में बताया कि भारत में हर साल 20-25000 कॉर्नियल ब्लाइंडनेस के नए केस दर्ज हो रहे हैं, चिंता की बात ये है कि यह नंबर लगातार बढ़ रहा है.
कॉर्नियल ब्लाइंडनेस भारत में दूसरा और दुनिया भर में अंधेपन का चौथा कारण है, हेल्थ एक्सपर्ट्स के मुताबिक तब होता है जब आंखों के सामने का पारदर्शी हिस्सा, कॉर्निया धुंधला या धब्बेदार बन जाता है. इस स्थिति में इसका रिस्क इंफेक्शन, चोट, लैंस, स्टेरॉयड आई ड्रॉप के कारण बढ़ जाता है. आमतौर पर इसे बढ़ती उम्र की बीमारियों में शामिल किया जाता रहा है, पर अब इसके मामले नौजवानों में भी देखने के लिए मिल रहे हैं.
हेल्थ एक्सपर्ट्स के मुताबिक, कभी भी आंखों का लाल होना और धुंधलापन जैसे सामान्य लक्षणों को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए. इसके अलावा जल्दी जांच करने, आंखों का ख्याल रखने पर जोर दें.
इसके लक्षणों में आमतौर पर आंखों में दर्द, लालिमा, धुंधली दृष्टि, प्रकाश के प्रति संवेदनशीलता और आंखों से पानी आना शामिल हैं. आंखों से जुड़े किसी भी लक्षण को हल्के में न लें और तुरंत हेल्थ एक्सपर्ट्स से मिलें.
एक्सपर्ट्स के मुताबिक भारत में कॉर्नियल ब्लाइंडनेस के बहुत सारे केस सामने आ रहे हैं, जिनमें से ज्यादातर मरीज 30 साल से कम उम्र के हैं. एक्सपर्ट्स के मुताबिक नौजवान लोग अपनी आंखें खो रहे हैं, वो भी ऐसे कारणों से जिन्हें टाला जा सकता है.
(डिस्क्लेमर-ये खबर सामान्य जानकारी और रिपोर्ट्स पर आधारित है, अधिक जानकारी के लिए आप डॉक्टर से संपर्क करें.)
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