Twitter
Advertisement

Chutney For Uric Acid Control: यूरिक एसिड के मरीज खाएं ये देसी चटनी, जोड़ों के दर्द और गठिया में मिलेगा आराम   

किसी से भी दोस्ती करने में नहीं होगी हिचकिचाहट, अपनाएं ये 5 असरदार तरीके

IND vs ENG 5TH Test Day 4 Highlights: बारिश के कारण दिन का खेल खत्म, मुश्किल में इंग्लैंड; जीत के लिए चाहिए 35 रन

नहीं मिल रही है नौकरी, तो अपनाएं ये 5 टिप्स; तुरंत आएगा ऑफर लेटर

Rashifal 04 August 2025: कर्क और धनु वाले सेहत का रखें खास ध्यान, जानें आज मेष से मीन तक की राशियों का भाग्यफल

UP News: ड्रोन से डर फैलाने वालों पर योगी सरकार का वार, NSA और गैंगस्टर एक्ट में होगी कार्रवाई

Joe Root Century: ब्रूक के बाद जो रूट का शतक, दांव पर लगा सचिन तेंदुलकर का रिकॉर्ड; संगकारा को भी पछाड़ा

जब टीचर ने पूछा, फोन क्यों नहीं देखना चाहिए? बच्चों ने दिए ऐसे जवाब, सुनकर हैरान रह जाएंगे आप! Video Viral

IND vs ENG: कैच पकड़ने के बाद कैसे मिला हैरी ब्रूक को छक्का? सिराज की एक गलती से हारेगी टीम इंडिया, मांगनी पड़ी माफी

दुनिया के इन 5 देशों के पास है सबसे ज्यादा UNESCO वर्ल्ड हेरिटेज साइट्स! जानें कहां है भारत

Ramadan 2024: क्यों ईद की नमाज से पहले इस्लाम में देना होता है जकात और फितरा, क्या है मान्यता?

इस्लाम में ईद की नमाज से पहले जकात और फितरा देने से जुड़ी मान्यता क्या है, चलिए जानें.

Ramadan 2024: क्यों ईद की नमाज से पहले इस्लाम में देना होता है जकात और फितरा, क्या है मान्यता?

ईद में जकात और फितरा क्यों है जरूरी

रमजान इस्लामिक कैलेंडर का 9वां माह है. इस पाक महीने में रोजा रखकर लोग खुदा की इबादत करते हैं. लेकिन क्या आपको पता है कि ईद की नमाज से पहले जकात और फितरा देना सबसे पाक काम माना गया है.

होपमिरर फाउंडेशन के अध्यक्ष रमझान शेख बताते हैं कि पाक महीने में हर हैसियतमंद मुसलमान को ज़कात देना जरूरी होता है. कुरान पढ़ने के साथ-साथ जकात और फितरा देने का भी बहुत महत्व है. जकात इस्लाम के 5 स्तंभों में से एक है. रमजान के महीने में ईद की नमाज से पहले ससुरा और सका देना हर मुसलमान के लिए जरूरी माना जाता है.

ईद में जकात और फितरा क्यों है जरूरी

रमजान के पाक महीने में रमझान शेख ने गरीब बच्चों का जन्मदिन मनाना, उनको फितरा और जकात देने के बारे में बताते हुए कहा कि इस्लाम के मुताबिक जिस मुसलमान के पास इतना पैसा यह संपत्ति हो कि वह अपनी और अपने परिवार की जरूरतें पूरी करने के बाद भी धन की बचत हो तो वह दान करने का पात्र बन जाता है. इस्लाम के अनुसार इस दान को दो भागों में विभाजित किया गया है, फितरा और जकात मुफ्ती.

जकात और फितरा का इस्लाम में महत्व
इस्लाम में रमजान के पाक महीने में और ईद की नमाज अदा करने से पहले हैसियतमंद हर मुसलमान पर ज़कात देना जरूरी बताया गया है. आमदनी से पूरे साल में जो बचत होती है. उसका 2.5 फ़ीसदी हिस्सा किसी गरीब या जरूरतमंद को दिया जाता है, जिसे ज़कात कहते हैं.

अगर किसी मुसलमान के पास तमाम खर्च करने के बाद 100 रुपये बचते है. तो उसमें से 2.5 रुपये किसी गरीब को देना जरूरी होता है. जिसे जकात माना गया है ज़कात में 2.5 फिसदी देना तय होता है. जबकि फितरे की कोई सीमा नहीं होती इंसान अपनी हैसियत के हिसाब से कितना भी फितरा दे सकता है.

अल्लाह ताला ने ईद का त्यौहार हर गरीब और अमीर सभी के लिए बराबर बनाया है गरीबी की वजह से लोगों की खुशी में कमी ना आए इसलिए हर हैसियतमंद मुसलमान पर ज़कात और फितरा देना ज़रूरी कायम किया है.

DNA हिंदी अब APP में आ चुका है.. एप को अपने फोन पर लोड करने के लिए यहां क्लिक करें.

https://play.google.com/store/apps/details?id=com.idpl.dna&pcampaignid=web_share

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

देश-दुनिया की Latest News, ख़बरों के पीछे का सच, जानकारी और अलग नज़रिया. अब हिंदी में Hindi News पढ़ने के लिए फ़ॉलो करें डीएनए हिंदी को गूगलफ़ेसबुकट्विटरइंस्टाग्राम और वॉट्सऐप पर.

 

Read More
Advertisement
Advertisement
पसंदीदा वीडियो
Advertisement