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अंबेडकर की तस्वीर के पास पैर रखना लालू यादव के लिए बना मुसीबत, मिला नोटिस हो रही है चौतरफा आलोचना!   

अंबेडकर की तस्वीर की तरफ पैर करने के कारण लालू यादव मुसीबत में पड़ गए हैं. घटना से राजनीतिक हलकों और दलित अधिकार कार्यकर्ताओं में व्यापक आक्रोश फैल गया है. भाजपा ने राजद पर लगातार अंबेडकर और दलित भावनाओं का अनादर करने का आरोप लगाया है.

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अंबेडकर की तस्वीर के पास पैर रखना लालू यादव के लिए बना मुसीबत, मिला नोटिस हो रही है चौतरफा आलोचना!   

राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) द्वारा एक वीडियो पोस्ट किए जाने के बाद राजनीतिक विवाद में फंस गए हैं, विरल हो रहे वीडियो में लालू के 78वें जन्मदिन समारोह के दौरान उनके चरणों में कथित तौर पर डॉ. बी.आर. अंबेडकर की तस्वीर रखी गई है.  ताजा घटनाक्रम में, राज्य अनुसूचित जाति आयोग ने रविवार को लालू यादव को नोटिस जारी कर 15 दिनों के भीतर लिखित स्पष्टीकरण मांगा है.

आयोग के उपाध्यक्ष देवेंद्र कुमार द्वारा जारी नोटिस में कहा गया है कि निर्धारित समय सीमा के भीतर जवाब न देने पर कानूनी कार्रवाई की जा सकती है.

शुरू हो गई राजनीतिक बयानबाजी 

इस घटना से राजनीतिक हलकों और दलित अधिकार कार्यकर्ताओं में व्यापक आक्रोश फैल गया है. भाजपा ने राजद पर लगातार अंबेडकर और दलित भावनाओं का अनादर करने का आरोप लगाया है. भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने दावा किया कि इस घटना ने राजद की 'गैर-संवैधानिक विचारधारा' को उजागर कर दिया है.

पूनावाला ने समाचार एजेंसी एएनआई को दिए साक्षात्कार में कहा, 'अनुसूचित जातियों और दलितों का अपमान राजद और उसके सहयोगियों, कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी गठबंधन की असली पहचान को दर्शाता है. जिस तरह से लालू प्रसाद यादव के पैरों के नीचे बीआर अंबेडकर की तस्वीर रखी गई और अंबेडकर की छवि के साथ अभद्रता दिखाई गई, यह राजद का असली चरित्र है.'

उन्होंने आगे आरोप लगाया कि राजद के लिए संविधान या सामाजिक न्याय से ज़्यादा 'परिवार और सत्ता' मायने रखती है.

'बिहार के उपमुख्यमंत्री और भाजपा नेता सम्राट चौधरी ने भी इसी तरह की भावना व्यक्त की और इस कृत्य की निंदा करते हुए इसे 'अक्षम्य अपमान' बताया और इसे 'बिहार के राजनीतिक इतिहास का काला अध्याय' बताया. उन्होंने लालू यादव से सार्वजनिक रूप से माफ़ी मांगने की मांग की.

बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी ने भी राजद प्रमुख की आलोचना करते हुए कहा, 'डॉ. अंबेडकर की तस्वीर को अपने पैरों पर रखना न केवल हमारे आदर्श का अपमान है, बल्कि सभी दलितों का अपमान है. यहां तक ​​कि लालू का अपना समुदाय भी इसे बर्दाश्त नहीं करेगा.'

राजद की पूर्व सहयोगी पार्टी जेडी(यू) ने भी इस घटना की निंदा की. पार्टी महासचिव श्याम रजक, जो खुद राजद के पूर्व नेता हैं, ने इस कृत्य को 'क्षुद्र और अक्षम्य' बताया. एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बोलते हुए उन्होंने कहा, 'बिहार के लोग बाबासाहेब के प्रति इस अहंकार और अनादर को माफ नहीं करेंगे.'

वरिष्ठ भाजपा नेता रविशंकर प्रसाद ने इस अधिनियम को 'संविधान का घोर अपमान' करार दिया और कहा कि इसने 'सामंती मानसिकता' को उजागर किया है. लोजपा (रामविलास) सांसद शांभवी चौधरी ने राजद पर 'लगातार दलित और महादलित समुदायों को गुमराह करने और उनका अपमान करने' का आरोप लगाया.

राजनीतिक रणनीतिकार से कार्यकर्ता बने प्रशांत किशोर भी इस विवाद में कूद पड़े और कांग्रेस की चुप्पी पर निशाना साधा. मुजफ्फरपुर में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने राहुल गांधी को लालू यादव की निंदा करने की चुनौती दी.

किशोर ने कहा, 'कांग्रेस बिहार में राजद की सहयोगी बन गई है. अगर राहुल गांधी इसके विपरीत साबित करना चाहते हैं, तो उन्हें लालू प्रसाद की आलोचना करते हुए एक बयान जारी करना चाहिए.'

'तेजस्वी ने कुछ ऐसे किया पिता का बचाव 

इस बीच, राजद नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने अपने पिता का बचाव करते हुए भाजपा पर झूठ फैलाने और मुद्दे का राजनीतिकरण करने का आरोप लगाया.

तेजस्वी ने कहा, 'इन (भाजपा) लोगों का बाबा साहब, संविधान और आरक्षण से कोई लेना-देना नहीं है. लालू यादव ने बिहार में बाबा साहब अंबेडकर की कई प्रतिमाएं स्थापित की हैं. हम अंबेडकर की विचारधारा में विश्वास रखने वाले लोग हैं. भाजपा केवल झूठ फैलाती है.'

उन्होंने कहा कि उनके पिता 78 साल के होने और बीमार होने के बावजूद लगातार काम कर रहे हैं और लोगों से मिल रहे हैं. 'वह दिन में 10 घंटे काम करते हैं. फिर भी वे उन पर ऐसे बेबुनियाद आरोप लगा रहे हैं.'

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